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पशु-पक्षियों को बचाने के संस्कार, बेटियां बोलीं इनके बिना प्रकृति अधूरी

बागों में कोयल की मीठी बोली और घरों में सुबह-सवेरे पक्षियों की आवाज से नींद खुलना। यह सब भरी पूरी प्रकृति का नजारा होता है। सही मानें तो इनके बिना प्रकृति अधूरी सी लगती है। युवा पीढ़ी में पशु और पक्षियों का प्रेम केवल वाट्सएप और सोशल मीडिया तक ही सिमट कर रह गया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Oct 2019 06:25 AM (IST)Updated: Wed, 09 Oct 2019 06:25 AM (IST)
पशु-पक्षियों को बचाने के संस्कार, बेटियां बोलीं इनके बिना प्रकृति अधूरी
पशु-पक्षियों को बचाने के संस्कार, बेटियां बोलीं इनके बिना प्रकृति अधूरी

जागरण संवाददाता, पानीपत : बागों में कोयल की मीठी बोली और घरों में सुबह-सवेरे पक्षियों की आवाज से नींद खुलना। यह सब भरी पूरी प्रकृति का नजारा होता है। सही मानें तो इनके बिना प्रकृति अधूरी सी लगती है। युवा पीढ़ी में पशु और पक्षियों का प्रेम केवल वाट्सएप और सोशल मीडिया तक ही सिमट कर रह गया है। काल्पनिक जीवन से उन्हें निकालकर प्रकृति में रंग में आने की जरूरत है।

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यह सब दैनिक जागरण की संस्कारशाला में उभरकर सामने आया। आर्य ग‌र्ल्स पब्लिक स्कूल में शनिवार को आयोजित संस्कारशाला में मुख्य वक्ता डॉ. श्रेया मिड्ढा रहीं। उन्होंने छात्राओं को नन्हीं मीरा की कहानी सुनाई। कहानी में मीरा के पशु और पक्षी प्रेम के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मीरा अक्सर अपनी मां को पशुओं और पक्षियों के बारे में बातें करती रहती थीं। उसके इसी प्रेम ने उसको फैन ऑफ एनिमल का खिताब मिला। प्रिसिपल मीनाक्षी अरोड़ा का कहना है कि संस्कारशाला हर वर्ग के लिए शिक्षाप्रद है। दैनिक जागरण का प्रयास सराहनीय है। स्कूल में पहले कई बार संस्कारशाला आयोजित की गई। इससे छात्राओं को नया सीखने को मिलता है। आज का समय विषय से हटकर आगे बढ़ने का है।

अंग्रेजी की को-आर्डिनेटर सुनैना ने बताया कि युवा पीढ़ी पशु और पक्षियों से दूर होती जा रही है। वे अपने विषय की पढ़ाई तक सीमित है। इससे प्रकृति प्रेम खत्म होता जा रहा है। युवा प्रकृति से जुड़ कर आगे आ सकते हैं। इससे प्रकृति मजबूत होगी। सामाजिक विज्ञान की अध्यापिका साधना ने कहा कि कहानियों से जागरूकता आती है। पुराने समय में दादी-नानी की कहानियों में शिक्षा और संदेश होते थे। अब पहले वाली बात नहीं रही। युवा पीढ़ी अपने मोबाइल और सोशल मीडिया से चिपककर रह गया है। छात्रा किशोरी ने बताया कि पशु पक्षियों के बिना पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है। इनके बिना पर्यावरण को संरक्षण नहीं है। हमें इसे लेकर जागरूक होना होगा। पक्षी प्रेम ही प्रकृति की वास्तविकता को दर्ज कराता है। छात्रा रीतिका ने बताया मीरा की कहानी से किसी एक वर्ग नहीं बल्कि पूरे समाज को शिक्षा देने वाली है। हमें पक्षियों की देखभाल करनी चाहिए। उनके लिए छतों पर दाना-पानी रखना चाहिए। इससे प्रकृति में वास्तविकता आएगी।

छात्रा वाणी ने बताया कि पशु पक्षी लगातार खत्म होते जा रहे हैं। इससे प्रकृति का ढांचा लगातार बिगड़ रहा है। हमें इनको बचाने के लिए आगे आना होगा। इसके बिना प्रकृति अधूरी रहती है।

छात्रा चंचल ने बताया कि पक्षी विलुप्त होते जा रहे हैं। इससे प्रकृति भी नजर नहीं आती। हमें इसके लिए आगे आना होगा। युवा पीढ़ी में जागरूकता आएगी तो पशु और पक्षी सुरक्षित रहेंगे।

श्रेया ने बताया कि पशु पक्षियों की संख्या लगातार घटती जा रही है। चिड़िया की चहचहाहट अब सुनने को नहीं मिल रही। अब हमें इसके लिए कुछ करना होगा। पशु-पक्षियों को संभालकर ही प्रकृति को बचा सकते हैं। यह युवा पीढ़ी की जिम्मेदारी भी बनती है।


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