Move to Jagran APP

गेहूं बिजाई के लिए 25 तक उचित समय, पछेत होने पर डालें ज्यादा बीज

धान कटाई का काम अंतिम दौर में है। वहीं गेहूं बिजाई का कार्य चरम पर है। किसान दिन रात बिजाई में लगे हैं। कृषि विशेषज्ञों की मानें तो गेहूं बिजाई का उचित समय 25 नवंबर तक है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Nov 2021 08:10 PM (IST)Updated: Sat, 20 Nov 2021 08:10 PM (IST)
गेहूं बिजाई के लिए 25 तक उचित समय, पछेत होने पर डालें ज्यादा बीज
गेहूं बिजाई के लिए 25 तक उचित समय, पछेत होने पर डालें ज्यादा बीज

जागरण संवाददाता, पानीपत : धान कटाई का काम अंतिम दौर में है। वहीं गेहूं बिजाई का कार्य चरम पर है। किसान दिन रात बिजाई में लगे हैं। कृषि विशेषज्ञों की मानें तो गेहूं बिजाई का उचित समय 25 नवंबर तक है। अगर गेहूं बिजाई में पछेत (देरी) होती है तो न केवल किसानों को बीज में बदलाव करना पड़ेगा, बल्कि बीज भी ज्यादा डालना होगा। हालांकि पिछले साल के मुकाबले अबकी बार गेहूं बिजाई का काम सप्ताह भर की देरी से चल रहा है।

loksabha election banner

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डा. वीरेंदर देव आर्य ने बताया कि जिले में 85 हजार हेक्टेयर में गेहूं बिजाई का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से करीब 70 हजार हेक्टेयर यानि 80 प्रतिशत एरिया में गेहूं बिजाई हो चुकी है। बाकी में भी चार से पांच दिन में बिजाई होने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि बिजाई के मुताबिक मौसम भी अनुकूल है। गेहूं जमाव को लेकर 25 से 26 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है। हाल में इतना ही तापमान चल रहा है। उन्होंने किसानों को धान की पराली के अवशेष जलाने की बजाय अवशेष प्रबंधन करने के साथ हैप्पी सीडर और सुपर सीडर व अन्य कृषि यंत्रों से बिजाई करने का आह्वान किया, ताकि पर्यावरण प्रदूषित होने से बचने के साथ खेत की उर्वरक शक्ति भी बनी रहे। पछेत होने पर ज्यादा डाले बीज

उपनिदेशक ने बताया कि गेहूं बिजाई के लिए प्रथम चरण 25 अक्टूबर से 15 नवंबर तक होता है। द्वितीय चरण 15 से 25 नवंबर तक होता है। वहीं तृतीय चरण में 25 नवंबर से 25 दिसंबर तक बिजाई की जा सकती है। जोकि पछेती होती है। वैसे 25 नवंबर तक गेहूं बिजाई का उचित समय होता है। किसान एचडी-2967, 3086 व 1025 किस्म बीज से 25 नवंबर तक बिजाई कर सकते हैं। इससे देरी होने पर न केवल सी-306, राज-3765, डब्लूएच-283 की किस्म बीज से बिजाई करें, बल्कि प्रति एकड़ पांच किलोग्राम बीज भी ज्यादा डालें। जिले में अभी तक आया 8700 मीट्रिक टन डीएपी

किसान गेहूं बिजाई में डीएपी न मिलने की बात कह रहे हैं। वहीं विभागीय अधिकारियों का दावा इससे अलग है। उपनिदेशक डा. वीरेंदर देव आर्य ने बताया कि जिले में गेहूं बिजाई के सीजन में करीब नौ हजार मीट्रिक टन डीएपी की लागत आती है। जबकि अभी तक 8700 मीट्रिक टन डीएपी आ चुका है। हाल में भी 1600 मीट्रिक टन का स्टाक है। इसके अलावा 750 मीट्रिक टन एनपीके आया था। उसमें से 710 एमटी की बिक्री हो चुकी है। वहीं 2700 मीट्रिक टन सिगल सुपर फासपेट आया था, उसमें से 1400 एमटी की बिक्री हुई है। कम आए मजदूर, इसलिए लेट हुआ सीजन

पिछले साल के मुकाबले अबकी बार धान कटाई का सीजन लंबा चलने के साथ गेहूं बिजाई का सीजन लेट है। इसका कारण, किसान कुछ दिन पहले हुई बारिश व धान कटाई को लेकर प्रवासी मजदूर कम आने को मान रहे हैं। ऐसे में अभी तक इसराना व मतलौडा एरिया में बासमती धान की कटाई अभी भी बची है। जिस कारण किसानों के माथे पर चिता की लकीरें हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.