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पानीपत में अजब-गजब, घर में खड़ी थी सेवानिवृत्त डिप्टी डायरेक्टर की कार, दिल्ली में कट गया चालान

पानीपत में अजब-गजब मामला सामने आया है। सेवानिवृत डिप्टी डायरेक्टर सराेज बाला चार दिन से बीमार हैं। उनकी कार पानीपत में घर पर खड़ी थी। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने ट्रैफिक नियमों की अवेहलना करने का हवाला देकर एक हजार रुपये का ई-चालान भेज दिया।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 09:41 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 09:41 PM (IST)
पानीपत में अजब-गजब, घर में खड़ी थी सेवानिवृत्त डिप्टी डायरेक्टर की कार, दिल्ली में कट गया चालान
सेवानिवृत्त डिप्टी डायरेक्टर सरोज बाला गुर के घर में उनकी खड़ी कार।

पानीपत, जागरण संवाददाता। पानीपत में अजब गजब मामला सामने आया है। शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त डिप्टी डायरेक्टर सरोज बाला गुर की चार दिन से कार एल्डिको में उनके घर पर खड़ी थी। लेकिन दिल्ली ट्रैफिक पुलिस (Delhi Traffic Police) ने ट्रैफिक नियम की अवहेलना करने का एक हजार रुपये का चालान (Challan) भेज दिया। ई-चालान (e-challan) को देख सरोज बाला हैरत में पड़ गईं।

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चार दिन से नहीं निकली घर से बाहर

सरोज बाला गुर ने जागरण को बताया कि चार दिन से उनकी तबीयत खराब है। वह घर से बाहर तक नहीं निकली हैं। घर पर ही उनकी आल्टो कार खड़ी है। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने मोबाइल फोन पर चालान भेज दिया। इसमें कहा गया है कि आपने ट्रैफिक नियमों की अवहेलना की है। उनकी गाड़ी का नंबर दिया गया है। एक हजार रुपये का चालान किया गया है।

गलती से हो गया होगा चालान

ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि चालान गलती से हो गया होगा। इस बारे में ई-मेल भेज देना। चालान को कैंसिल कर दिया जाएगा। बता दें कि सरोज बाला के पति सुरेश कुमार इंडियन आयल कारपोरेशन में डीजीएम हैं। उनकी बेटी निधि चौधरी का हाल ही में सहायक कमांडेंट पद पर चयन हुआ हैं।

यमुनानगर में ओवरलोड वाहन नहीं आ रहे काबू, डीटीओ ने वन विभाग को लिखा पत्र

ओवरलोड वाहनों पर जब शिकंजा कसने में अधिकारी बेबस होने लगे हैं तो उन्होंने एक दूसरे के पाले में गेंद डालनी शुरू कर दी है। जगाधरी-पांवटा साहिब नेशनल हाईवे से रोजाना सैकड़ों ओवरलोड वाहन निकल रहे हैं, परंतु जिला ट्रांसपोर्ट अधिकारी की टीम इन पर कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही। जब खुद बेबस हो गए तो उन्होंने वन विभाग को पत्र लिख कर कार्रवाई करने की मांग की है। वन विभाग भला आेवरलोड वाहनों पर कार्रवाई किस आधार पर करेगा। डीटीओ ने जो पत्र वन विभाग को लिखा है उसमें तर्क दिया गया है कि जब वह कार्रवाई करने जाते हैं तो ओवरलोड वाहन ढाबों या फिर सड़क किनारे वन विभाग की जमीन पर खड़े हो जाते हैं।

लोगों के लिए नासूर बने ओवरलोड वाहन

जबकि जिला वन अधिकारी का कहना है कि ढाबे उनकी जमीन पर नहीं बने हैं। ऐसे में ओवरलोड वाहन ऐसे ही लोगों के लिए हमेशा नासूर बने रहेंगे। इनकी चपेट में आने से लोगों की जान जाती रहेगी लेकिन अधिकारी इनके खिलाफ काेई कार्रवाई नहीं कर पाएंगे। डीटीओ डाक्टर सुभाष चंद्र ने वन विभाग को लिखे पत्र में कहा है कि जब उनकी टीम ओवरलोड पर शिकंजा कसने के लिए सड़कों पर चैकिंग करती है तो ओवरलोड वाहन चालक जिले में सड़कों के किनारे बने ढाबों पर खड़े हो जाते हैं। टीम के जाने का इंतजार करते हैं। जब टीम चली जाती है तो ओवरलोड गाड़ियां सड़कों पर तेज गति से दौड़ती हैं ताकि उनकी टीम फिर से चेकिंग पर आकर उनका चालान न कर दे। लोगों की जिंदगी खतरे में होती है इसी को लेकर प्रशासन की ओर पत्र जारी किया गया है।

ढाबे हमारी जमीन पर नहीं है

जिला वन अधिकारी सूरजभान का कहना है कि जिला में नेशनल हाईवे या अन्य सड़कों पर जो ढाबे बने हैं। वह वन विभाग की जमीन पर नहीं है। कई बार सड़क किनारे वाहन खराब होने या थोड़ी बहुत देर के लिए भी खड़ा कर दिया जाता है। जब वाहन वहां से चलेगा तब आरटीए की टीम उस पर कार्रवाई कर सकती है। फिलहाल आरटीए का पत्र उन्हें नहीं मिला है। पत्र देखने के बाद ही उस पर कुछ कहा जा सकता है।


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