अब आफत नहीं बनेेेेगा गीला कचरा, प्रबंधन कर बना रहे रिसोर्स
घरों में छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग भी कचरा प्रबंधन में कर रहे सहयोग। कुरुक्षेत्र शहर से ही हर रोज 70 टन के करीब गीला और सूखा कचरा निकल रहा है। ग्रुप से जुड़े पर्यावरण विशेषज्ञों ने लोगों एक दिन का कचरे प्रबंधन को दिया प्रशिक्षण।
कुरुक्षेत्र, जेएनएन : शहरों में लोगों के लिए आफत बने गीले कचरे को अब आफत नहीं रिसोर्स बोलिए। ग्रीन अर्थ संस्था इसके लिए वाट्सएप ग्रुप बनाकर लोगों की धारणा को बदल रही है और उन्हें गीले कचरे के बेहतर प्रबंधन के गुर सिखा रही है। पिछले सात माह से शुरू किए गए इस ग्रुप के साथ जुड़कर अभी तक 300 के करीब परिवारों ने अपने घरों पर ही गीले और सूखे कचरे का प्रबंधन करना शुरू कर दिया है। संस्था की ओर से गीले कचरे को रिसोर्स माना जा रहा है। गीला कचरा अलग होते ही सूखा कचरा भी कचरा एकत्रित करने वाले के लिए आय का साधन बन गया है। अब यह परिवार गीले कचरे से घरों पर कंपोस्ट तैयार कर रहे हैं और इसी कंपोस्ट को किचन गार्डन में इस्तेमाल कर रहे हैं। ग्रुप से जुड़कर घरों में प्लास्टिक का उपयोग तक बंद कर पर्यावरण संरक्षण में जुटे हैं।
कुरुक्षेत्र शहर से ही हर रोज 70 टन के करीब गीला और सूखा कचरा निकल रहा है। एक भी दिन कूड़ा एकत्रित करने वाले टीप्पर के न पहुंचने पर यही कचरा लोगों के लिए आफत बन जाता है। लोग पॉलीथिन में बंद कर कूड़े को इधर-उधर सड़कों किनारे और खाली प्लाटों में फेंक कर कचरे की इस समस्या को और बढ़ा रहे हैं। जिला प्रशासन हर रोज निकलने वाले इस कचरे के प्रबंधन का कोई स्थायी हल नहीं निकाल पा रहा है। ऐसे में ग्रीन अर्थ संगठन ने कोविड 19 के चलते लागू लॉकडाउन में लोगों को जागरूक करने का फैसला लिया था।
वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से दिया प्रशिक्षण
ग्रुप से जुड़े पर्यावरण विशेषज्ञों ने लोगों एक दिन का कचरे प्रबंधन को प्रशिक्षण दिया। इसके बाद लोगों ने कचरा प्रबंधन को लेकर अपनी हर रोज की गतिविधियों को ग्रुप में साझा करना शुरू किया तो अन्य लोग भी इसे अपनाने लगे। अप्रैल माह में शुरू किए गए इस ग्रुप से अभी तक 300 के करीब परिवार गीला-सूखा कचरे प्रबंधन का प्रशिक्षण ले चुके हैं और इसे अपना रहे हैं। आज भी ग्रुप में 100 के करीब परिवार सक्रिय हैं और रूटीन प्रैक्टिस को इसमें साझा कर नए जुड़ने वालों को प्रेरणा दे रहे हैं।
कचरा प्रबंधन ही सबसे बेहतर उपाय
ग्रीन अर्थ संगठन के संस्थापक सदस्य डा. नरेश भारद्वाज ने बताया कि घरों से निकलने कचरे का बेहतर प्रबंधन ही इसके निस्तारण का सबसे बेहतर उपाय है। लोग घरों में ही गीला व सूखा कचरा अलग करें तो यह कचरा नहीं एक रिसोर्स बन रहा है। रसोई से निकलने वाले गीले कचरे को किसी बाल्टी, ट्रे या मिट्टी के गड्ढे में डालकर कंपोस्ट खाद तैयार हो जाती है और दूसरी ओर सूखा कचरा कागज, कांच, प्लास्टिक, खाली बोतल व डिब्बे अलग रखने से इनको बेचकर आय भी हो सकती है। खास बात यह है कि घरों में सूखे कचरे को अलग रखने पर इसे कई-कई माह तक आसानी से स्टोर भी किया जा सकता है।