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गुरुद्वारा छठी पातशाही में पहुंची सिख संगत, श्रद्धा एवं उत्साह से मनाया जा रहा गुरुनानक देव जी का प्रकाश पर्व

कुरुक्षेत्र में श्रद्धा एवं उत्साह से गुरुनानक देव जी का प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है। सुबह ही गुरुद्वारा छठी पातशाही में सिख संगत पहुंची। गुरुद्वारा साहिब में शबद कीर्तन शुरू हो गया। साथ ही अटूट लंगर वितरित हुआ।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 12:53 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 12:53 PM (IST)
गुरुद्वारा छठी पातशाही में पहुंची सिख संगत, श्रद्धा एवं उत्साह से मनाया जा रहा गुरुनानक देव जी का प्रकाश पर्व
श्री गुरुनानक देव जी महाराज का प्रकाश पर्व कुरुक्षेत्र में भी मनाया जा रहा।

पानीपत/कुरुक्षेत्र, जेएनएन। श्री गुरुनानक देव जी महाराज का प्रकाश पर्व कुरुक्षेत्र भर में श्रद्धा एवं उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। ऐतिहासिक गुरुद्वारा छठी पातशाही में सुबह ही संगत पहुंचना आरंभ हो गई। सिख संगत ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष नत-मस्तक होकर सुख-समृद्धि की कामना की। गुरुद्वारा साहिब में सुबह ही शबद कीर्तन आरंभ हो गया। सिख पंथ के विद्वानों ने गुरु जी की महिमा का गुणगान किया। गुरुद्वारा साहिब में गुरु का अटूट लंगर वितरित हुआ।

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ऐतिहासिक गुरुद्वारा छठी पातशाही के प्रबंधक अमरेंद्र सिंह ने कहा कि गुरु नानक जी ने अपने अनुयायियों को दस उपदेश दिए जो कि सदैव प्रासंगिक बने रहेंगे। गुरु नानक जी की शिक्षा का मूल निचोड़ यही है कि परमात्मा एक, अनंत, सर्वशक्तिमान और सत्य है। वह सर्वत्र व्याप्त है। मूर्ति पूजा आदि निरर्थक है। नाम स्मरण सर्वोपरि तत्त्व है और नाम गुरु से ही प्राप्त होता है। गुरु नानक की वाणी भक्ति, ज्ञान और वैराग्य से ओत-प्रोत है। गुरु जी ने स्त्री-पुरुष को एक समान कहा है और नारी शक्ति का सदैव सम्मान करने की शिक्षा दी है।

उन्होंने कहा कि संगत से बच्चों को गुरबाणी से जोड़ने का आह्वान किया।  बच्चे कौम और देश का भविष्य हैं, इसलिए इन्हें अच्छे संस्कार देना अनिवार्य है। बच्चों को अच्छे संस्कार देने और आदर्श नागरिक बनाने का सबसे सरल माध्यम श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी हैं। यदि बच्चों को बचपन में ही गुरबाणी से जोड़ दिया जाए, तो फिर वे सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ने में न केवल सक्षम बनेंगे, बल्कि कौम तथा देश हित में अपनी अहम भूमिका भी निभाएंगे। गुरुद्वारा साहिब में पहुंची संगत को उन्होंने गुरु पर्व की बधाई दी। गुरुद्वारा सातवीं पातशाही में अमृत संचार कराया गया।


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