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किसानों को राहत, फसल अवशेष को जलाने की जरूरत नहीं, 20-25 दिन में सड़ जाएगी पराली

फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को बड़ी राहत मिली है। अब पराली को जलाने की जरूरत नहीं है। अब कुछ ही दिन में पराली गल जाएगी। नेचर फार्म की टीम ने जमालपुर गांव में किया बायो डिकंपोजर का छिड़काव।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 08 Oct 2021 06:40 AM (IST)Updated: Fri, 08 Oct 2021 07:40 AM (IST)
किसानों को राहत, फसल अवशेष को जलाने की जरूरत नहीं, 20-25 दिन में सड़ जाएगी पराली
अब पराली को जलाने की जरूरत नहीं है।

घरौंडा (करनाल), संवाद सहयोगी। फसल अवशेष प्रबंधन किसानों के लिए बड़ी चुनौती है। सरकार व प्रशासन के लाख प्रयासों के बावजूद किसान फसल अवशेषों में आग लगाने से नहीं चूकते है। पराली जलाने की समस्या पूसा बायो-डिकंपोजर के छिड़काव से दूर की जा सकती है। विशेषज्ञों की मानें तो फसल अवशेषों पर छिड़काव करने के बाद 20 से 25 दिन में फाने सड़ जाते हैं और जमीन अगली फसल की बुआई के लिए तैयार हो जाती है। डिकंपोजर फानों को गलाकर भूमि के लिए खाद के रूप में काम करती है।

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वीरवार को नेचर फार्म की टीम ने जमालपुर गांव पहुंचकर धान के फसल अवशेषों में बायो डिकंपोजर का छिड़काव किया गया और किसानों को इसके बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। फार्म द्वारा करीब 20 दिन पहले एक खेत में दवाई का छिड़काव किया गया था, जिसमें सरसों की बुआई भी भी जा चुकी है। इस दौरान फार्म प्रतिनिधि प्रणव तिवारी ने कहा कि धान की फसल लेने के बाद किसान को अगली फसल लेने के लिए भूमि को तैयार करना होता है। चूंकि परंपरागत तरीको से फसल अवशेष नष्ट करने में महीनों लग जाते हैं इसलिए वह फसल अवशेषों को आग की भेंट चढ़ा देते है। नतीजन पर्यावरण प्रदूषण तो बढ़ता ही है। साथ ही भूमि का उपजाऊपन भी खराब हो जाता है और भूमि के मित्र किट भी मर जाते है।

उन्हाेंने बताया कि पराली के अपघटन से कार्बनिक कार्बन और मिट्टी के स्वास्थ्य में वृद्धि होती है और अगले फसल चक्र के लिए उर्वरकों की लागत में उल्लेखनीय कमी आती है। जब कुछ समय के लिए इस सिस्टम को अपनाया जाता है, तो यह मिट्टी के पोषक तत्वों और माइक्रोबियल गतिविधि में काफी वृद्धि करता है, जिससे किसानों के लिए कम लागत पर बेहतर उपज और उपभोक्ताओं के लिए जैविक उत्पाद सुनिश्चित होते हैं। उन्होंने बताया कि पंजाब और हरियाणा में 26 हजार किसानों के स्वामित्व वाली पांच लाख एकड़ भूमि में छिड़काव किया जा रहा है।

जमालपुर के किसान प्रवीन शर्मा ने बताया कि उसने दवाई का छिड़काव करवाया था। 20 दिन बाद ही उसने अपना खेत दूसरी फसल के लिए तैयार कर दिया था और अब उसमें सरसों लगाई हुई है। इसका खर्च 500 से 700 रुपए प्रति एकड़ आता है।


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