Move to Jagran APP

प्रापर्टी टैक्‍स के लिए कमिश्‍नर पर निलंबन की तलवार पर, लोग बिलों के लिए भटक रहे

पानीपत के समालखा में अधर में लटका है नगर पालिका के प्रॉपर्टी टैक्स का सर्वे। वहीं प्रापर्टी टैक्‍सी की रिकवरी तेज कर दी गई है। लोगों को गलत बिल भेजे जा रहे हैं। लोग इन्‍हें ठीक कराने के लिए चक्‍कर काट रहे हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 08:08 AM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 08:08 AM (IST)
प्रापर्टी टैक्‍स के लिए कमिश्‍नर पर निलंबन की तलवार पर, लोग बिलों के लिए भटक रहे
प्रापर्टी टैक्‍सी की रिकवरी तेज कर दी गई है।

पानीपत, जेएनएन। नगर निगम के कमिश्‍नर सुशील कुमार को निलंबित करने की सिफारिश की जा चुकी है। नगर निगम हो या समालखा नगर पालिका। प्रापर्टी टैक्‍सी की रिकवरी तेज कर दी गई है। दूसरी तरफ समालखा नगरपालिका में अजब ही हाल है। पांच साल बाद प्रॉपर्टी टैक्स का सर्वे करवाती है। 2017 में होने वाला सर्वे चार सालों से अधर में लटका है। इस दौरान दो कंपनियों को सर्वे का ठेका दिया गया, लेकिन किसी ने काम पूरा नहीं किया। इससे नए करदाता सूची में शामिल नहीं हो सके। उन्हें बिल भी नहीं दिया गया। तीन साल बाद पुराने बिल को छपवा कर दोबारा बांट दिया गया।

loksabha election banner

कंपनी ने समय बढ़ाया

करनाल की एक कंपनी द्वारा सर्वे पूरा नहीं करने पर याशी कंसलटेंसी सर्विस को बाद में यह काम 2018 में दिया गया था। उसे जून, 2019 तक इसे पूरा करना था। कंपनी का दो बार समय भी बढ़ाया गया। दिसंबर, 2019 तक का समय मिलने के बाद भी काम पूरा नहीं किया। उसने करीब 10 हजार परिवारों का सर्वे कर जियो टैगिंग की, लेकिन एक तिहाई काम शेष रहते सर्वे बंद कर दिया।

सर्वे में गलतियों की भरमार

याशी के सर्वे में गलतियों की भरमार से नपा के लिए उसकी सुधार चुनौती बनी है। सर्वे पूरा नहीं होने से हर साल लाखों रुपये टैक्स की चपत लग रही है। नपा सीमा का 2012 के बाद प्रॉपर्टी टैक्स सर्वे नहीं हुआ है, जो 2017 में होना था। आठ सालों से करदाताओं की संख्या 13 हजार के करीब ही है। नए सर्वे में हर बार दो से तीन हजार की वृद्धि होती है, जिससे लाखों रुपये टैक्स में इजाफा होता है। वित्त वर्ष 2019-20 में नपा को टैक्स रिकवरी से करीब 80 लाख रुपये की आमदनी हुई थी। नए आम बजट में भी नपा ने प्रॉपर्टी टैक्स से 45 लाख रुपये रिकवरी का लक्ष्य रखा है।

लोगों को हो रही परेशानी

सर्वे नहीं होने से सैकड़ों लोगों की प्रॉपर्टी आईडी नहीं बनी है। वे नपा की चक्कर काटते हैं। आईडी के बगैर उनके प्लाट की रजिस्ट्री नहीं होती है। सरकार ने अवैध कॉलोनियों के निर्माण पर नकेल कसने के लिए प्रॉप्रटी आईडी जरूरी कर दिया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.