पढि़ए किस हरियाणवी ने चुनाव प्रचार की बांह चढ़ाई, मनमोहन मोड में क्यों कांग्रेसी
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव घोषित हो चुके हैं। पानीपत के नेता पहले से ही इन राज्यों में सक्रिय हैं। सांसद संजय भाटिया तो अमित शाह की रैली करवा चुके। पानीपत में ही मनमोहन मोड यानी चुप्पी साधे हैं कांग्रेसी। पढि़ए इस सप्ताह का जागरण विशेष स्ट्रेट ड्राइव कालम।
पानीपत, [रवि धवन ]। उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चुनाव घोषित हो गए हैं। 10 फरवरी से चुनाव का पहला दौर शुरू होगा। चुनाव भले ही दूसरे राज्यों में होंगे, लेकिन पानीपत के भाजपाइयों ने अपनी बांह चढ़ा ली है। सांसद संजय भाटिया योगी राज फिर लाने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दौरे कर रहे हैं, पानीपत ग्रामीण क्षेत्र से विधायक महिपाल ढांडा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के धाम पहुंच चुके हैं। पूर्व जिला अध्यक्ष गजेंद्र सलूजा, युवा मोर्चा के पूर्व जिला अध्यक्ष मेघराज गुप्ता के अलावा राममेहर मलिक सहारनपुर में वहां के स्थानीय नेताओं को सहारा दे रहे हैं। बंगाल के चुनाव में भी गजेंद्र सलूजा पहुंचे थे। पर तब भाषा की सीमा को पार नहीं कर सके। इस बार हिंदी बेल्ट में चुनाव हो रहे है। भाषा की दिक्कत नहीं, इसलिए चेहरा पहले से ज्यादा खिला है। कहते हैं, उत्तर प्रदेश को फिर योगीमय बनाकर आएंगे।
जनता मचा रही शोर, मनमोहन मोड में कांग्रेसी
नगर निगम में कर्मचारियों और दलालों के बीच सेटिंग की जांच चल रही है। प्रापर्टी आइडी बनवाने के लिए दलाल 15 से 20 हजार लेते हैं। शहर के सबसे बड़े मुद्दे पर इतना हल्ला मचा कि भाजपा का समर्थन करने वाला संयुक्त व्यापार मंडल भी दलालों के खिलाफ खड़ा हो गया। लेकिन हाथ छाप सारे नेता इस पूरे प्रकरण में इस तरह दुबके हैं कि रजाई से हाथ ही नहीं निकाल रहे। प्रदर्शन करना तो दूर, एक बयान भी जारी नहीं कर रहे। अगला विधायक बनने का सपना देख रहे बुल्ले शाह हों या संजय अग्रवाल। यदि वे हीटर वाले रूम से निकलें तो संभव है कि अफसरों पर भी कुछ दबाव बने। पूर्व मेयर सुरेश वर्मा, पूर्व चेयरमैन मुकेश टुटेजा, विनोद वढ़ेरा जैसे नेताओं के भी मनमोहन मोड में जाने पर लोग पूछ रहे हैं, कि आखिरकार क्यों कांग्रेसी अपने आदर्श गांधी जी के बंदर बनने पर मजबूर हैं।
कानून वापस हो सकते हैं तो टोल टैक्स क्यों नहीं
सांसद संजय भाटिया ने देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद में कहा था- पानीपत दुनिया का इकलौता ऐसा शहर होगा, जहां लोग फ्लाईओवर का इस्तेमाल नहीं करते। लेकिन टोल टैक्स देकर ही नाका पार करते हैं। बात उनकी सौ प्रतिशत खरी थी। लेकिन पानीपत के लोगों को टोल से राहत नहीं मिली। किसान आंदोलन खत्म होने के बाद टोल नाका फिर शुरू हुआ तो कुछ गांव के लोगों ने धरना देते हुए कहा, हम टोल नहीं देंगे। टोल कंपनी का जवाब था- पुल बनाते समय ऐसी कोई शर्त नहीं थी कि स्थानीय लोग टोल नहीं देंगे। पास बनवाइये, टोल सस्ता करवा लें। खैर, धरना स्थगित हो गया। इसी तरह डाहर पर टोल शुरू हुआ तो गांव वालों ने अड़कर टोल फ्री करा लिया। लोगों ने कहा, जब तीन कृषि कानून वापस हो सकते हैं तो टोल नाके का नियम क्यों नहीं बदला जा सकता। पानीपत में ये एकता नहीं दिखती।
अपने देस में भी है रोटी
ग्रीस जाते हुए करनाल के युवक विक्रम की हत्या कर दी गई। पैदल चलते-चलते वह इतना असमर्थ हो गया कि आगे जाने से ही इन्कार कर दिया। उस दल के एजेंट ने उसे मरवा दिया। हालांकि अब आरोप उसकी बहन और उसके कथित प्रेमी पर लग रहे हैं। हकीकत कुछ भी हो, लेकिन इतना तय है कि ज्यादा पैसा कमाने की चाह ही युवाओं को विदेश की राह पर मोड़ देती है। करनाल में एक युवक एजेंट के झांसे में अपनी पूर्वजों की सारी जमीन गंवा बैठा। कैथल का युवक जंगल से भटकता हुआ किसी तरह अमेरिका पहुंचा लेकिन पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। बरसों बरस मांएं अपने बेटों से बात नहीं कर पातीं। पत्नी टकटकी निगाह से फोन पर देखती रहती है, कब घंटी बज जाए। बच्चे पिता की गोद को तरस जाते हैं। मांएं अब बेटों से कहने लगी हैं, विदेश न जा पुत्त। ऐथे वी रोटी हैगी।