कर दिया कमाल, महंगी सब्जियों का निकाला तोड़, छत पर ही बना ली बागवानी
यमुनानगर के रहने वाले लेक्चरार राजेंद्र धीमान ने जो काम किया वह दूसरों के लिए नजीर बन गया। महंगी सब्जियां खरीदनी बंद कर दी। घर की छत पर ही सब्जियां उगानी शुरू कर दी। अब उनके आसपास के लोग भी उनसे प्रेरणा लेकर घर पर ही सब्जियां उगा रहे।
पानीपत/यमुनानगर, [संजीव कांबोज]। अर्थशास्त्र के लेक्चरार सेक्टर-18 निवासी राजेंद्र धीमान ने महंगे फल- सब्जियों का तोड़ भी निकाल लिया। थोड़ा का परिश्रम कर छत पर ही बागवानी बना ली। सब्जियों के साथ- साथ छत पर फलदार पौधे भी लगा दिए।
बागवानी में घिया, तोरी, पालक, ब्रोकली, हरी मिर्च, भिंडी, बैंगन, टमाटर, पालक, भिंडी, किन्नु, अमरूद व पेठा व अन्य सब्जियां शामिल हैं। खास बात यह है कि इनमें किसी रासायनिक खाद या दवाई का प्रयोग नहीं करते बल्कि जैविक खाद व मठे का प्रयोग करते हैं। उनका कहना है कि शहर में जगह की कमी होती है। इसलिए छत पर हम सीजन की सब्जियां बेहतरी से उगा सकते हैं। इससे छत धूप में नहीं तपती और मकान गर्मी के मौसम में भी ठंडा रहता है।
चार वर्ष पहले की थी शुरुआत
राजेंद्र धीमान ने बताया कि वे बाजार से ही सब्जियां खरीदते थे, लेकिन उन्होंने महसूस किया कि बाजार से उपलब्ध हो रही सब्जियों में रासायनिक खाद व दवाइयों का प्रयोग भरपूर मात्रा में किया जाता है। इसका असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। केंसर जैसे खतरनाक बीमारी अपनी गिरफ्त में ले रही है। बचाव के लिए हम कम से कम सब्जियां तो अपनी छत पर उगा सकते हैं। उन्होंने भिंडी व घिया से शुरुआत की। अब तो बड़े गमलों में फलों के पौधे भी लगाए हुए हैं। सीजन में अपनी छत पर तैयार अमरूद, कीन्नु व चीकू का स्वाद ले रहे हैं।
दोस्तों व रिश्तेदारों को भी कर रहे जागरूक
उनके घर की छत पर करीब 1500 स्क्वायर फीट एरिया में फल व सब्जियां तैयार की हुई हैं। जब तैयार सब्जी उनके यहां भेज गई। वह स्वाद से प्रभावित हुए। रिश्तेदारों व दोस्तों भी उनकी मुहिम से जुड़ चुके हैं। धीमान का कहना है कि अपनी छत पर हम अपने परिवार की आवश्यकता के लिए तो सब्जियां उगा ही सकते हैं। ताजी व जहर-मुक्त फल सब्जियां उपलब्ध होंगी। सुबह-शाम हम अपनी सब्जियों की देखरेख कर सकते हैं। ऐसा कर हम स्वस्थ भी रहेंगे और पैसे की भी बचत होगी। इस काम में उनकी पत्नी उषा व बेटा हार्दिक भी हाथ बंटाते हैं।