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पढि़ए दो वीरों के साहस की कहानी, एक ने देश तो दूसरे ने समाज के दुश्‍मन को सिखाया सबक

रेलवे सुरक्षा बल के कांस्‍टेबल पूर्णानंद ने अपराधी के तीन वार सीने पर सहकर उसका पीछा किया लेकिन लेकिन चोर भागने में सफल रहा। वहीं बालाकोट एयर स्ट्राइक में स्‍क्‍वाड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दोनों को सम्‍मानित किया गया।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 10 Oct 2020 04:46 PM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2020 04:46 PM (IST)
पढि़ए दो वीरों के साहस की कहानी, एक ने देश तो दूसरे ने समाज के दुश्‍मन को सिखाया सबक
स्‍क्‍वाड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल और रेलवे सुरक्षा बल का कांस्‍टेबल पूर्णानंद।

पानीपत/अंबाला, जेएनएन। 27 फरवरी 2019 बालाकोट एयरस्ट्राइक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली अंबाला कैंट की स्‍क्‍वाड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल को वायुसेना दिवस पर हिंडन एयरबेस में हुए समारोह में युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया गया है। स्‍क्‍वाड्रन लीडर मिंटी अंबाला के गोबिंद नगर की रहने वाली हैं। एयरस्ट्राइक में अपनी भूमिका निभाने के चलते ही उनको राष्ट्रपति ने पहले ही इसकी घोषणा कर दी थी।

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उल्लेखनीय है कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भारत और पाकिस्तान की वायुसेना के बीव संघर्ष हुआ था। पने मिशन में विंग कमांडर अभिनंदन सहित अन्य कमांडर रवाना हुए। उनकी हर मूवमेंट पर मिंटी की भूमिका रही। एयरस्ट्राइक के 24 घंटे भीतर ही जब पाक के विमान देश की सीमा में प्रवेश कर रहे थे तो उस समय भी अलर्ट करते हुए श्रीनगर से भी स्पेशल विमानों को उड़ान भरवाई थी। दुश्मन के विमानों को मुंह तोड़ जवाब दिया और वह वापिस लौट गए। इस मिशन में शुरुआत के आखिरी तक मिंटी की मॉनिटरिंग से सफल हुए मिशन को काफी प्रशंसा मिली थी। उल्लेखनीय है कि स्‍क्‍वाड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल के पिता मेहर सिंह भी एयरफोर्स में कार्यरत थे। अंबाला छावनी के एयरफोर्स स्कूल में बारहवीं कक्षा तक पढ़ी मिंटी एसडी कॉलेज से बीएससी नॉनमेडिकल की थी। वह शूटिंग में भी चैंपियन रहीं हैं। युद्ध सेवा मेडल हासिल करने वाली वायुसेना की वह पहली महिला अधिकारी हैं।

अपराधी के तीन वार सीने पर सहकर भी किया पीछा

अंबाला रेल मंडल के अधीन शिमला रेलवे स्टेशन पर 8 सितंबर को रात ड्यूटी के दौरान रेलवे सुरक्षा बल का कांस्टेबल पूर्णानंद ने चोरी करने की नियत से आए चोर को खदेड़ लिया। भागते हुए चोर ने पूर्णानंद पर चाकुओं से वार कर दिया। चाकू लगने से घायल होने के बाद भी कांस्टेबल ने उसे दौड़ाया, लेकिन चोर भागने में सफल रहा। इसके बाद घायल कांस्टेबल को इलाज के लिए भर्ती कराया गया। घटना के बाद रेलवे सुरक्षा बल की विशेष टीम ने जब अपराधियों की फोटो से पहचान कराई तो हमला करने वाला अपराधी पहचान लिया गया। इस पर आरपीएफ की विशेष टीम ने उसे धर दबोचा। कांस्टेबल पूर्णानंद के साहसिक कार्य को देखते हुए मंडल रेल प्रबंधक गुरिंदर मोहन सिंह ने सराहना पुरस्कार दिए जाने की संस्तुति की। इसके बाद रेलवे मंत्रालय से रेलवे सुरक्षा बल के कांस्टेबल पूर्णानंद को वीरता पुरस्कार एक लाख रुपए से नवाजा।

प्राचीन वस्तुओं से चोरी करने की फिराक में था चोर

शिमला रेलवे स्टेशन की सुंदरता को बढ़ाने के लिए प्राचीन वस्तुएं लगी है। इन्हीं प्राचीन वस्तुओं को चुराने की फिराक में चोर रेलवे स्टेशन परिसर में घुसा था, लेकिन रेलवे सुरक्षा बल के कांस्टेबल ने उसके मंसूबे पर पानी फेरने का काम किया और स्टेशन पर लगी प्राचीन वस्तुएं चोरी होने से बचा लिया।

कांस्टेबल के ललकारने पर तीन वार किए

रेलवे स्टेशन शिमला पर रात्रि ड्यूटी में कांस्टेबल पूर्णानंद रेसुब बाहरी चौकी शिमला तैनात था। रात लगभग 02.30 बजे एक बाहरी व्यक्ति, रेलवे स्टेशन शिमला से प्राचीन वस्तुओं की छेड़छाड़ व चोरी करने के उद्देश्य से अनाधिकृत रूप से प्रवेश किया। जिसे कांस्टेबल ने देखा और ललकारा तो वह भागने लगा जिसे पकडऩे की कोशिश करने पर पूर्णानंदपर चाकू से छाती पर तीन वार किये जिससे वह गम्भीर रूप से घायल हो गया था। गम्भीर रूप से घायल होने के बावजूद भी पराधी का लगभग 50 मीटर पीछा किया था। पकड़े जाने के डर से अपराधी लगभग 20 फीट उंचाई से छलांग लगा कर भागने में कामयाब रहा था।


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