पढि़ए हरियाणा बोर्ड के होनहारों की कहानियां, इस तरह से बने टॉपर
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के 12वीं परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद होनहारों के चेहरे पर खुशी देखने लायक है। पढि़ए ये रिपोर्ट।
पानीपत, जेएनएन। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के होनहारों की मेहनत रंग लाई। 12वीं का परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद उनके चेहरे पर खुशी देखने लायक है। ये खुशी एक दिन या एक हफ्ते की नहीं। बल्कि पूरे सत्र होनहारों ने मेहनत करके गरीबी और मुश्किल पलों में इस खुशी को तरासा है। पढि़ए इनकी कामयाबी की ये रिपोर्ट।
टाइम शेड्यूल से पढ़ाई पर फोकस
बारहवीं की परीक्षा में सफलता का मूल मंत्र टाइम शेडयूल रहा है। अलग-अलग विषय के लिए शेडयूल बना लिया। गणित जैसे विषय पर अधिक समय दिया। मैंने इस तरह से सफलता हासिल की है। यह कहना है पानीपत जिले के टॉपर गुरु रामदास सीनियर सेकेंडरी स्कूल के विद्यार्थी दीपक मेमोरिया का। कुलदीप नगर निवासी दीपक ने बताया कि तीन भाई बहनों में सबसे छोटा है। परीक्षा के समय भी एक घंटे तक बैडङ्क्षमटन और क्रिकेट खेलना नहीं छोड़ा। पुरानी फिल्मों के गाने सुनने का शौकीन दीपक बिजनेस फील्ड में करियर बनाना चाहता है। कंप्यूटर, अकाउंट और बिजनेस स्टडी में 98 अंक और गणित में 99 अंक हासिल कर प्रतिभा का लोहा मनवाया। दीपक दिल्ली विश्वविद्यालय में कामर्स संकाय से स्नातक की डिग्री पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जाने की इच्छा रखता है।
कोचिंग पर नहीं है विश्वास
दुनिया कोचिंग के पीछे भागती है, लेकिन मुझे इस पर विश्वास नहीं है। परीक्षा से पहले सेल्फ स्टडी की। शिक्षकों ने जो राह दिखाई उसे आत्मसात कर लिया। मेरी सफलता का यही राज है। विक्टर पब्लिक स्कूल तहसील कैंप की छात्रा ने दैनिक जागरण से यह बात साझा की। वधावाराम कॉलोनी निवासी रीना ने बताया कि परीक्षा देने के बाद ही अच्छे अंक हासिल करने की उम्मीद जगने लगी। वाणिज्य संकाय में 500 में से 486 अंक हासिल कर पानीपत जिले में द्वितीय स्थान हासिल किया। कॉलेज में बीकॉम आनर्स से दाखिला लेकर सिविल सर्विसेज की तैयारी करूंगी। बचपन से मैंने यह सपना मन में पाल रखा है। माता-पिता और शिक्षकों के आशीर्वाद से इसे साकार करूंगी। रीना के पिता कपिल एक निजी कंपनी में प्रोडक्शन मैनेजर हैं। मां कुशल गृहणी हैं।
ऑटो चालक इकबाल सिंह स्कूल में मेडिकल संकाय में टॉप करने वाली बेटी हरनीत कौर के साथ।
डॉक्टर बनकर ऑटो चालक पिता के सपने पूरे करेगी होनहार हरनीत
रुको नहीं तुम, डिगो नहीं तुम। बस आगे तुमको बढ़ना है। चाहे जितनी चुनौती राहों में हों, हर किसी का मुकाबला करना है। विपरित परिस्थितियों ने घेरा हो, चाहे लाख बखेड़ा हो। रुकना नहीं तुङो, डिगना नहीं तुङो। बस आगे तुमको बढ़ना है। इन पंक्तियों को सार्थक कर दिखाया अंबाला की होनहारी बेटी हरनीत ने। राजकीय प्रेम नगर सीनियर सेकेंडरी स्कूल की हरनीत ने मेडिकल में 88 फीसद अंक पाए। दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में हरनीत कौर ने बताया कि उसके पिता इकबाल ऑटो चलाते हैं। अंबाला शहर से करीब 5 किलोमीटर दूर गांव सारंगपुर से वह रोजाना प्रेम नगर के सरकारी स्कूल में पढ़ने आती है। दो छोटी बहनें हैं व छोटा भाई भी है। हरनीत ने बताया कि उसके पिता ने ही उसकी हिम्मत बढ़ाई। पिता इकबाल सिंह ने ही कहा था कि बेटी तुम सब चिंता छोड़ दो बस पढ़ो। मैं तुम्हे स्कूल से लाऊंगा भी और छोड़कर भी आऊंगा। रिजल्ट आया तो बेटी को साथ लेकर इकबाल ही स्कूल में पहुंचा था। जैसे ही पता चला कि बेटी ने पूरे स्कूल में मेडिकल में टॉप किया है तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। हरनीत डाक्टर बनाना चाहती है और इसके लिए उसने नीट का एग्जाम भी दे दिया है। वह भी बिना किसी कोचिंग के।
कॉमर्स संकाय में टॉप करने के बाद अंकुर जैन ई - रिक्शा चालक पिता के साथ।
पिता ने पार्ट टाइम ई-रिक्शा चला बेटे को पढ़ाया, अंकुर ने टॉपर बन उतारा कर्ज
कॉमर्स में 96.4 लेकर टॉपर बने अंकुर जैन के चेहरे पर जितनी खुशी दिखाई दे रही थी, वहीं इस मुकाम तक पहुंचाने में उससे कई ज्यादा मेहनत उनके पिता संजय कुमार की साफ दिखाई दे रही थी। जिन्होंने दिन में ना केवल कंफेक्शनरी की दुकान चलाई व शाम के समय पार्ट टाइम ई-रिक्शा चलाकर दो बड़ी बेटियों को पढ़ाया संग बेटे अंकुर को इस मुकाम तक पहुंचाया। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर कर्ज भी लिया और कभी कोई परेशानी आने नहीं दी। दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में जैन गल्र्ज सीनियर सेकेंडरी स्कूल रायमार्केट के छात्र अंकुर जैन ने बताया कि टॉपर बनकर पहला कर्ज तो उतार दिया है। केवल इस बात की टिस है कि पिता उसके कारण कर्जदार हुए है वो हर कर्ज वह खुद उतार सके। अंकुर जैन ने टॉपर बनने का श्रेय अपने शिक्षकों के अलावा गृहिणी मां बबीता जैन को भी दिया। दिन हो या फिर रात जब भी वह पढ़ाई करने के लिए बैठता था तो मां हमेशा ही पास बैठ जाती थी। कभी भी किसी चीज की कमी नहीं खलने दी। अंकुर ने बताया कि एक समय था कि पिता की तबीयत बिगड़ने के कारण परिवार की स्थिति काफी खराब हो गई थी, कर्ज लेकर मकान बनाया उसमें भी भारी नुकसान हो गया। फिर भी माता-पिता ने हौंसला नहीं हारा।
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