विनीश गौड़, कुरुक्षेत्र। श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं अस्पताल में आडिट के दौरान पंचकर्म विभाग में 82 लाख रुपये के गैप का मामला एक बार फिर से लाइम लाइट में आ गया है। पंचकर्म प्रोसीजर पर शुल्क लेने और बिना किसी आदेश के बंद करने के मामले में आयुष विभाग ने दोबारा जांच बैठाई है। आयुष विभाग ने इस राशि की रिकवरी के लिए जिम्मेदारी तय करने के लिए यह कमेटी बनाई है, ताकि जिम्मेदार अधिकारियों से रिकवरी हो सके। इसकी जांच असिस्टेंट डायरेक्ट डा. सुषमा को सौंपी गई है। इससे पहले भी इस मामले की जांच हो चुकी है, जिसमें जांच कमेटी ने किसी न किसी स्तर पर कमी रहने की बात तो रिपोर्ट में दी थी, लेकिन जिम्मेदारी किसकी तय हो यह दूसरी कमेटी तय करेगी।
यह हुआ था मामला
दरअसल वर्ष 2015 में आयुष विभाग की ओर से एक पत्र जारी करके पंचकर्म प्रोसीजर पर शुल्क लगाए गए थे। इसके कुछ ही दिनों बाद एक पत्र फिर से जारी हुआ था, जिसमें यह बात पूछी गई थी कि क्या जो शुल्क लगाए गए हैं वह न्यायोचित हैं। इस पर महाविद्यालय प्रशासन की ओर से इसे सही न बताते हुए लिखा था कि यह महाविद्यालय है और शिक्षण संस्थान होने के चलते यहां पर प्रोसीजर का शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए। महाविद्यालय ने जवाब देते ही खुद ब खुद शुल्क लेना बंद कर दिया।
आडिट में 82 लाख का आया अंतर
जब वर्ष 2019 में आडिट हुआ तो 82 लाख रुपये का अंतर आ गया। जांच करने पर पता चला कि पंचकर्म प्रोसीजर पर जो शुल्क लगाए गए थे वह लिए ही नहीं गए। इसे गलत बताते हुए जांच बैठा दी गई। इसी दौरान शुल्क लेना फिर से शुरू कर दिया गया। जांच के दौरान कहीं न कहीं कमी रहने की बात सामने आई थी। अब दोबारा से इस मामले में जांच बैठा दी गई है।
सूचना नहीं पहुंची एचओडी के पास
पंचकर्म प्रोसीजर तो अस्पताल में तीन से चार विभागों द्वारा कराए जा रहे हैं। जब यह सूचना जारी हुई तो उन विभागों के एचओडी को भी शुल्क लेने की सूचना नहीं पहुंच पाई थी। कालेज में उस समय जिस स्तर से यह सूचना लागू हुई वह पूरी तरह से आगे नहीं हो पाई। इस मामले में अब जांच कमेटी जांच कर रही है।
डा. आशीष मेहता, विभाग प्रमुख, पंचकर्म
इस मामले में दोबारा बैठाई गई जांच
श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं अस्पताल के प्रिंसिपल डा. देवेंद्र खुराना ने कहा कि इस मामले में पहले भी जांच हुई थी। अब आयुष विभाग की ओर से दोबारा जांच बैठाई गई है। जांच में जो भी आएगा और उच्चाधिकारियों के जो भी आदेश होंगे उसके मुताबिक आगे की कार्रवाई की जाएगी।