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महाशिवरात्रि पर 117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग, विष दोष व सर्प दोष से मिलेगी मुक्ति

इस बार महाशिवरात्रि पर ग्रहों का दुर्लभ योग बन रहा है। 117 साल बाद शनि और शुक्र ग्रह का यह दुर्लभ योग बन रहा है। कुछ उपायों से इस दिन विष और सर्प योग से मुक्ति मिलेगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 17 Feb 2020 09:31 AM (IST)Updated: Tue, 18 Feb 2020 09:04 AM (IST)
महाशिवरात्रि पर 117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग, विष दोष व सर्प दोष से मिलेगी मुक्ति
महाशिवरात्रि पर 117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग, विष दोष व सर्प दोष से मिलेगी मुक्ति

कुरुक्षेत्र, जेएनएन। इस बार महाशिवरात्रि बेहद खास होगी। महाशिवरात्रि बेहद फलदायी होने के साथ ही ज्‍योतिषिय रूप से भी बहुत महत्‍वपूर्ण है। इस मौके पर 117 वर्ष बाद ग्रहों का दुर्लभ योग बन रहा है। ज्‍योतिषियों के अनुसार इससे व्‍यक्ति के जन्‍म कुंडली में बने विष दोष और सर्प दोषों से कुछ उपाय करने से मुक्ति मिलेगी।

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ज्‍योतिषियों के अनुसार, इस बार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी यानि शुक्रवार 21 फरवरी को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। ज्योतिष में जब सूर्य कुंभ राशि और चंद्र मकर राशि में होता है, तब फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की रात ये पर्व मनाया जाता है। 21 फरवरी की शाम 5.22 बजे तक त्रयोदशी तिथि रहेगी, उसके बाद चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी।

ज्‍योतिषियों का कहना है कि महाशिवरात्रि रात्रि का पर्व है और 21 फरवरी की रात चतुर्दशी तिथि रहेगी, इसलिए इस साल ये पर्व 21 फरवरी को मनाया जाएगा। इस बार 117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग शिवरात्रि पर बन रहा है। शनि अपनी स्वयं की राशि मकर में और शुक्र ग्रह अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा।

गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक डॉ. रामराज कौशिक के मुताबिक यह एक दुर्लभ योग है। 25 फरवरी 1903 को ठीक ऐसा ही योग बना था। इस साल गुरु भी अपनी राशि धनु में हैं। इस योग में शिव पूजा करने पर शनि, गुरु, शुक्र ग्रहों के दोषों से भी मुक्ति मिल सकती है। 21 फरवरी को सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। पूजन के लिए और नए कार्यों की शुरुआत करने के लिए यह योग बहुत ही शुभ माना गया है।

विष योग से दूर होंगे सारे कष्ट

डॉ. रामराज कौशिक के मुताबिक शिवरात्रि पर शनि के साथ चंद्र भी रहेगा। शनि-चंद्र की युति की वजह से विष योग बन रहा है। शिवरात्रि पर विष योग करीब 28 साल पहले 2 मार्च 1992 को बना था। इस योग में शनि और चंद्र के लिए विशेष पूजा करनी चाहिए। कुंडली में शनि और चंद्र के दोष दूर करने के लिए शिव पूजा करने की सलाह दी जाती है।

बुध-आदित्य और सर्प योग भी रहेंगे शिवरात्रि पर

डॉ. रामराज कौशिक के मुताबिक बुध और सूर्य कुंभ राशि में एक साथ रहेंगे। इस वजह से बुध-आदित्य योग भी बनेगा। इसके अलावा इस दिन सभी ग्रह राहु-केतु के मध्य रहेंगे, इस वजह से सर्प भी बन रहा है। शिवरात्रि पर राहु मिथुन राशि में और केतु धनु राशि में रहेगा। शेष सभी ग्रह राहु-केतु के बीच रहेंगे।

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