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राकेश टिकैत बोले- हरियाणा के सीएम अपने ही प्रदेश में सभा नहीं कर सकते, इस्तीफा दें

हरियाणा के यमुनानगर में राकेश टिकैत ने प्रेसवार्ता की। यहां कृषि सुधार कानूनों पर जमकर विरोध किया। उन्होंने कहा कि सरकार तीन कृषि सुधार कानूनों के बाद अब सीड बिल भी लाने की तैयारी में है। इस बिल को भी रोकना होगा।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 01:34 PM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 02:02 PM (IST)
राकेश टिकैत बोले- हरियाणा के सीएम अपने ही प्रदेश में सभा नहीं कर सकते, इस्तीफा दें
यमुनानगर के कलानौर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते राकेश टिकैत।

यमुनानगर, जेएनएन। भाकियू नेता राकेश टिकैत बुधवार को यमुनागर पहुंचे। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार तीनों कानून वापस नहीं लेती तब तक किसान आंदोलन करेंगे। कानून वापसी के बाद आंदोलनरत किसान भी अपने घर वापसी करेंगे। राकेश टिकैत यमुनानगर के कलानौर में प्रेस वार्ता कर रहे थे। कलानौर हरियाणा यूपी बॉर्डर पर गांव है। यहां के बाद टिकैत हिमाचल प्रदेश के पोंटा साहिब में किसानों की सभा को संबोधित करने के लिए जाएंगे।

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टिकैत ने कहा कि हरियाणा के सीएम अपने ही प्रदेश में सभा नहीं कर सकते। उन्होंने कहा सीएम को त्यागपत्र देना चाहिए। उन्होंने पंजाब से आने वाले किसानों के रास्ते में खाई को दी थी और किसानों पर लाठियां चलवाईं। उन्होंने कहा कि सरकार तीन कृषि सुधार कानूनों के बाद अब सीड बिल भी लाने की तैयारी में है। इसमें जुर्माना और सजा दोनों का प्रावधान है। इस बिल को भी रोकना होगा। 

मैं किसान हूं, जो साथ हैं, सभी किसान हैं

टिकैत ने कहा कि सरकार विदेश से दूध का कॉन्ट्रैक्ट कर यहां के किसानों को बर्बाद करना चाहती है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यदि मैं भाजपा का आदमी होता तो मैं भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन क्यों करता। मेरे साथ जो हैं, सभी किसान हैं। मैं भी किसान हूं। सभी लोग खेती करते हैं।

गेहूं काटने के बाद दोबारा जुटेंगे किसान

टिकैत ने धरनास्थल पर किसानों की कम होती किसानों की संख्या पर तर्क दिया। किसानों को मैसेज दिया है। गेहूं की फसल किसानों के पूरे साल की मेहनत है। उसे सहेजकर वापस आंदोलन में आने को कहा है। सरकार भी तो बाहर गई है। हमने भी किसानों को भेज दिया है। गेहूं काटने के बाद फिर किसान आंदोलन में शामिल होंगे। पश्चिम बंगाल में सरकार किसकी बनेगी, इस पर कुछ नहीं कह सकते। संयुक्त किसान मोर्चा में कोई फूट नहीं है। फूट की बातें सिर्फ अफवाहें हैं।

जो किसान हितैषी नहीं, उनका विरोध

करनाल में सीएम के कार्यक्रम में हंगामे के मामले में बोले कि किसान चाहते नहीं थे कि मनोहरलाल आएं इसलिए विरोध हुआ। सबका विरोध इसीलिए हो रहा है कि, वे किसान हितैषी नहीं हैं। किसानों पर अत्याचार कर रहे हैं। लाल किले पर बवाल के लिए भी सरकार जिम्मेदार है। किसानों को सरकार व पुलिस वहां लेकर गई थी। यहां तक कह दिया था कि लाल किला सरकार की संपत्ति नहीं है। सरकार ने तो लाल किला बेच दिया। 

हिमाचल में भी किसानों का शोषण हुआ

एक प्रदेश के सीएम ने तिरंगा उतारकर भगवा झंडा फहराया था, जो धारा उस पर लगती है, वही धारा इन पर भी लगा दो। कानून तो सबके लिए बराबर है। अब हिमाचल में जनसभा है। वहां 10 लाख किसान हैं, जिसमें से 6 लाख बागबानी करते हैं। वहां पर भी किसानों पर अत्याचार हो रहा है। किसानों को अपने साथ जोड़ना है। पहले जो कंपनी आई थी, उसने दो-तीन साल ज्यादा रेट में फसल खरीदी थी। मगर, अब वो अपनी मर्जी से फसल खरीद रही है। अब उस कंपनी का एकाधिकार हो गया है।

चढ़ूनी भी पहूंचे यमुनानगर

गुरनाम सिंह चढ़ूनी भी यमुनागर में पहुंचे। हिमाचल से सटे प्रतापनगर में किसानों से मुलाकात की। यहां पर उन्होंने सभी पार्टियों को ललकारा। कहा कि पार्टी का तमगा उतारकर चुनाव लड़ो तो पंच भी नहीं बन सकते। सभी पार्टियां एक जैसी हैं। किसानों का शोषण कर रही हैं। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि अब फटाफट अपनी फसल उठाकर आंदोलन में हिस्सा लें। 

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