राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र ने कहा, किसानों की सभी मांगें जायज, उनको बिना शर्त स्वीकार करे सरकार
किसान आंदोलन और कृषि कानूनों को लेकर राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने भाजपा सरकार को घेरा। उन्होंने कहा किसानों पर झूठे मुकदमे रद करके गिरफ्तार किए गए नेताओं को रिहा किया जाए। साथ ही उनकी मांगों को बिना शर्त के स्वीकार किया जाए।
पानीपत/जींद, जेएनएन। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि किसान आंदोलन में देश के किसानों के लिए हरियाणा सरकार खलनायक के रूप में उभरी है। किसान नेताओं को रातों-रात गिरफ्तार किया गया। कोई भी ङ्क्षहसक घटना नहीं हुई फिर भी 10 हजार किसानों के खिलाफ केस दर्ज कर दिए। देशभर के किसानों में हरियाणा सरकार के इन कदमों से गुस्सा है। वह सोमवार शाम को युवा कांग्रेस नेता दीपक पिंडारा के फार्म हाउस पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार किसानों से बातचीत से पहले बातचीत का माहौल बनाए। इसके लिए जरूरी है कि किसानों पर दर्ज झूठे मुकदमे तुरंत रद किए जाएं और गिरफ्तार किसान नेताओं को तत्काल प्रभाव से रिहा किया जाए। उन्होंने सरकार को चेताया कि वो किसानों के भोलेपन का फायदा उठाने की कोशिश न करे। राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलनरत किसानों को देश में कहीं किसी ने नहीं रोका, लेकिन हरियाणा की सरकार ने उन्हें बलपूर्वक रोका, वाटर कैनन की बौछारें और आंसू गैस के गोले मारे और हजारों बेगुनाह किसानों पर झूठे मुकदमे दर्ज करा दिए। यह पहली सरकार है जो किसानों को प्रताडि़त करने में नंबर-वन है और किसानों पर मुकदमे दर्ज करने में भी नंबर-वन साबित हो गयी है। दस हजार किसानों पर एक साथ मुकदमा इससे पहले कभी दर्ज नहीं हुआ था।
सरकार का काम रास्ते खोलना है, रोकना नहीं
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि केंद्र और खासकर हरियाणा सरकार का रवैया किसानों के प्रति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण रहा है। सरकार का काम रास्ते खोलना है, रास्ते रोकना नहीं। सरकार का काम सड़क बनाना होता है, सड़क खोदना नहीं। हरियाणा सरकार बताए कि आखिर किसानों का गुनाह क्या है। सामान्य तौर पर देखा जाता था कि आंदोलनकारी रास्ता रोकते थे और सरकार रास्ता खोलती थी। देश के इतिहास में पहली बार ये हो रहा है कि सरकार रास्ते बंद कर रही है और आंदोलनकारी किसान रास्ते खोल रहे हैं।
दोहरी भाषा न बोले सरकार
दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि एक तरफ सरकार कह रही है कि वो बातचीत के लिए तैयार है और दूसरी तरफ इन तीन किसान विरोधी कानूनों को सही ठहरा रही है। यही कारण है कि किसानों को सरकार की जुबानी बात पर भरोसा नहीं हो रहा है। सरकार किसानों के साथ दोगली भाषा बोलना बंद करे। न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी और एमएसपी से कम पर खरीदने वाले के लिए सजा का प्रावधान जब तक नहीं होगा तब तक किसी $कानून का किसानों के लिए कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने मांग करी कि सरकार अपनी हठधर्मिता छोड़े और किसानों की सभी मांगों को स्वीकार करे।