जल संकट से उबरने के लिए राज और समाज को एक साथ आना होगा : राजेंद्र सिंह
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के डौला गांव में जन्मे और राजस्थान में नौ नदियों को पुनर्जीवित करने वाले रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित राजेंद्र सिंह एसडी पीजी कॉलेज में विद्यार्थियों और स्टाफ से रूबरू हुए। वे कॉलेज में मंगलवार को डेढ़ वर्ष तक चलने वाली अविरल गंगाजल साक्षरता यात्रा के साथ पहुंचे थे।
जागरण संवाददाता, पानीपत : उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के डौला गांव में जन्मे और राजस्थान में नौ नदियों को पुनर्जीवित करने वाले रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित राजेंद्र सिंह एसडी पीजी कॉलेज में विद्यार्थियों और स्टाफ से रूबरू हुए। वे कॉलेज में मंगलवार को डेढ़ वर्ष तक चलने वाली अविरल गंगाजल साक्षरता यात्रा के साथ पहुंचे थे। जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने 'मानो तो मैं गंगा मां हूं.' विषय पर हृदयस्पर्शी व्याख्यान दिया। राजेंद्र सिंह समेत 51 लोगों की गंगा नदी पर तैयार श्वेत पत्र और एक पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
राजेंद्र सिंह ने कहा कि पानी समेत पांच तत्वों से भगवान को पाया जा सकता है। यही भारतीय संस्कृति की पहचान है। आज हम इसे ही भूल बैठे हैं। जिसकी वजह से आज सबकी दुर्गति हो रही है। जल ही जीवन है को बचपन से सुनते आ रहे हैं, लेकिन पानी का सम्मान करना भूल बैठे। जल संकट का यही सबसे बड़ा कारण है। नदी, नीर और नारी का रिश्ता अटूट है और पानी की समस्या दूर करने के लिए राज और समाज को एक साथ आना होगा। प्रत्येक व्यक्ति पानी को लेकर पूरी तरह से सरकारों पर निर्भर हो गया है। आज राज और समाज को एक होकर काम करना होगा। प्रधान डॉ. एसएन गुप्ता ने कहा कि युवाओं को जल संरक्षण के लिए आगे आना होगा। प्राचार्य डॉ. अनुपम अरोड़ा ने कॉलेज की एनएसएस व एनसीसी इकाई को अविरल गंगाजल साक्षरता यात्रा के साथ जोड़ने का भरोसा दिया।
इससे पहले कॉलेज के प्रधान डॉ. एसएन गुप्ता, प्राचार्य डॉ. अनुपम अरोड़ा और प्रो. एसएन शर्मा ने उनका स्वागत किया। मंच संचालन डॉ. संगीता गुप्ता ने किया। इस अवसर पर डॉ. एसके वर्मा, डॉ. संगीता गुप्ता, डॉ. रवि कुमार, डॉ. प्रियंका चांदना, डॉ. प्रवीण कुमारी, डॉ. प्रवीण कत्याल, डॉ. हरविद्र जोधका, डॉ. संतोष कुमारी व दीपक मित्तल मौजूद रहे।