राजेंद्र चतुर्वेदी ने सुलझाई धरती और बीज की गुत्थी, आचार्य विद्यानिवास मिश्र सम्मान मिलेगा
डा. राजेन्द्र रंजन चतुर्वेदी को वर्ष 2021 का आचार्य विद्यानिवास मिश्र स्मृति सम्मान मिलेगा। डा. राजेन्द्र रंजन चतुर्वेदी ने धरती और बीज के बीच संबंध को समझाया। पानीपत के एसडी कालेज से हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।
पानीपत, जागरण संवाददाता। धरती और बीज। सभ्यता के विकास के साथ भले ही आज हमें यह कहना आसान लगे कि खेतीबाड़ी, वनस्पति विज्ञान और प्रकृति से जो हमने पाया, वो बहुत सहज था। लेकिन कल्पना कीजिए, उस वक्त की, जब मनुष्य खेती के बारे में कुछ जानता ही नहीं था। गुफाओं में रहता था। मांस ही उसका भोजन था। कैसे उसने बीज के बारे में जाना होगा, कैसे उसने फसल उगाई होगी...यह तो उसके लिए सबसे बड़ी क्रांति थी। धरती और बीज का मानव जीवन से क्या संबंध है, ऐसी अनेक गुत्थियों को सुलझाने वाले, इनका रिश्ता सौंदर्यबोध से लेकर कर्म फल तक ले जाने वाले आचार्य डा. राजेन्द्र रंजन चतुर्वेदी को वर्ष 2021 का आचार्य विद्यानिवास मिश्र स्मृति सम्मान मिलेगा। पंडित विद्यानिवास मिश्र की स्मृति में स्थापित विद्याश्री न्यास ने यह घोषणा की है। दो वर्ष के सम्मानों का एलान किया है। पिछले वर्ष कार्यक्रम नहीं हो सका था, इसलिए पिछले वर्ष के नाम भी घोषित किए गए।
राजेन्द्र चतुर्वेदी से समझिए, कैसा है धरती-बीज का संबंध
दैनिक जागरण से बातचीत में राजेन्द्र चतुर्वेदी ने कहा, मनुष्य से पहले धरती पर वृक्ष-वनस्पति मौजूद थे, इसलिए वे मनुष्य के अग्रज हैं। मनुष्य ने ज्ञान का विकास किया। धीरे-धीरे हमने जाना कि बीज क्या है। वृक्ष क्या है। दरअसल, बीज ही वृक्ष है और वृक्ष ही बीज है। बीज सोया हुआ है और वृक्ष जागा हुआ है। यहां बीज और वृक्ष अलग-अलग नहीं हैं। बीज से ही फल पैदा होता है। कर्म से ही फल जुड़ा है। अब देखिये, जैसे एक पत्ता, इस पर हमने कुछ लिखा तो वो पत्र हो गया। वही समाचारपत्र हो गया। शपथ ली गई तो शपथपत्र हो गया। इसी तरह स्वर्णपात्र बना। धरती और बीज के ङ्क्षबब हमारे जीवन दर्शन में आए। हमारी भाषा में आए। एक कहानी से आपको बताता हूं, अवश्य ही वृक्ष का मूल कारण बीज है, किंतु यह भी सत्य है कि वह एक मात्र कारण नहीं है। सूर्य, चंद्र, मेघ, ॠतु, वायु एवं संपूर्ण प्रकृति उसके सहकारी कारण हैं। धरती और बीज की प्रक्रिया एकांत-प्रक्रिया नहीं है, उसका संबंध प्रकृति की संपूर्ण प्रक्रिया से है। कभी आंधी तो कभी तूफान, कभी लू, कभी थरथर कंपा देने वाली रात, कभी ओले तो कभी मूसलाधार वर्षा, रोज-रोज की परेशानी। किसान बोला-Óकैसा है यह विधाता। कोई न कोई उत्पात करता ही रहता है। विधाता किसान की यह बात सुन रहा था, किसान से बोला-Óप्रकृति के संचालन का काम एक वर्ष के लिए तुम संभालो। मुझे भी थोड़ा अवकाश मिल जाएगा। किसान बहुत खुश हुआ। न अधिक गर्मी पड़ी, न अधिक सर्दी, न भयंकर आंधी चली। न भयंकर लू चली तथा न भयंकर धूप ही पड़ी। किसान को गर्व हो रहा था कि मेरे द्वार संचालित प्रकृति कितनी सुखद है। पर जब फसल काटने का समय आया तो उसने देखा कि फसल में दाना नहीं था। दाना कैसे पड़ता? दाने के लिए तो कड़क सर्दी, कठोर धूप और लू तथा आंधी की आवश्यकता थी। अंकुरण, पल्लवन, फूल और फल से संपूर्ण प्रकृति का अंत:संबंध है।
इस तरह लिखी धरती और बीज पुस्तक
आचार्य डा. राजेन्द्र चतुर्वेदी ने वर्ष 1993 में यह पुस्तक लिखनी शुरू की। अलीगढ़ के गांवों में किसानों के जीवन को देखा। उनके साथ रहे। दो वर्ष बाद 1995 में यह प्रकाशित हुई। वह लोकवार्ता पर 1970 से काम कर रहे हैं। मथुरा में 11 नवंबर 1944 को जन्मे राजेंन्द्र रंजन चतुर्वेदी पानीपत के एसडी कालेज से हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के लिए काम कर रहे हैं। इस समय उनके पास भारतीय लोक संस्कृति प्रोजेक्ट है। पिछले सौ वर्षों में लोक संस्कृति पर जो काम हुआ, उसकी समीक्षा कर रहे हैं।
इनको भी मिलेगा सम्मान
वर्ष 2022 का स्मृति सम्मान प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक और कथाकार शहादा, महाराष्ट्र के विश्वास पाटिल को उनकी कृति कस्तूरी परिमल के लिए दिया जाएगा। आचार्य विद्यानिवास मिश्र लोक कवि सम्मान 2021 ङ्क्षहदी-मैथिली के गीतकार देहरादून के बुद्धिनाम को, वर्ष 2022 का लोक कवि सम्मान भोजपुरी के ख्यात कवि-गीतकार बगहा के रविकेश मिश्र को भोजपुरी गंगावतरण के लिए दिया जाएगा। वर्ष 2021 का राधिका देवी लोककला सम्मान स्वर साधक वाराणसी के पंडित छन्नूलाल मिश्र और वर्ष 2022 का सम्मान चित्रकला के लोकपक्ष के मर्मज्ञ लखनऊ के काजी अशरफ को दिया जाएगा। गीतकार श्रीकृष्ण तिवारी की स्मृति में विद्याश्री न्यास की तरफ से दिया जाने वाला गीतकार सम्मान 2021 वाराणसी के महेन्द्र सिंह नीलम और 2022 का सम्मान वाराणसी के ही इन्दीवर को दिया जाएगा।
माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति लखनऊ के अच्युतानन्द मिश्र को आचार्य विधानिवास मिश्र पत्रकारिता सम्मान (2021) और साहित्यिक पत्रिका नवनीत के संपादक मुंबई के विश्वनाथ सचदेव को वर्ष 2022 का सम्मान मिलेगा।