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अस्थायी प्रापर्टी आइडी भी बंद, चेकर-मेकर पर उठे सवाल

शहरी क्षेत्र में प्रापर्टी की रजिस्ट्रियों का काम पूरी तरह से ठीक नहीं हो सका। वेब हेलरिश साफ्टवेयर की कमियों में सुधार के बजाय हालात अधिक खराब हुए हैं। अब नगर निगम से अस्थाई प्रापर्टी आइडी भी नहीं बन रही हैं। चेकर-मेकर पदों पर बैठे कर्मचारियों द्वारा अनावश्यक कागजात मांगे जाने पर सवाल उठने लगे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 05:58 AM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 05:58 AM (IST)
अस्थायी प्रापर्टी आइडी भी बंद, चेकर-मेकर पर उठे सवाल
अस्थायी प्रापर्टी आइडी भी बंद, चेकर-मेकर पर उठे सवाल

जागरण संवाददाता, पानीपत : शहरी क्षेत्र में प्रापर्टी की रजिस्ट्रियों का काम पूरी तरह से ठीक नहीं हो सका। वेब हेलरिश साफ्टवेयर की कमियों में सुधार के बजाय हालात अधिक खराब हुए हैं। अब नगर निगम से अस्थाई प्रापर्टी आइडी भी नहीं बन रही हैं। चेकर-मेकर पदों पर बैठे कर्मचारियों द्वारा अनावश्यक कागजात मांगे जाने पर सवाल उठने लगे हैं। दस्तावेज एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को ट्वीट कर दिक्कतों से अवगत कराया है।

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दस्तावेज एसोसिएशन के सदस्य एडवोकेट मनोज मिगलानी ने बताया कि किसी प्रापर्टी की आइडी नहीं जेनरेट हुई है, पार्टी को रजिस्ट्री करानी है तो वह साफ्टवेयर में अस्थायी प्रापर्टी आइडी के लिए आवेदन करता था। मात्र 400 रुपये आनलाइन फीस जमा होती थी। प्रापर्टी टैक्स जमा करने के बाद अस्थायी आइडी मिल जाती थी। अब अस्थायी आइडी बननी बंद हैं।

बताया गया है कि कुछ लोगों ने गलत डिटेल भरकर अस्थायी प्रापर्टी आइडी बनवा ली थी। अब नगर निगम ने चेकर और मेकर, दो पद बनाए हैं। एडवोकेट मिगलानी का आरोप है कि इन पदों पर बैठे निगम के कर्मचारी प्रापर्टी आइडी का एप्रुवल देने और अनावश्यक कागजात की डिमांड कर लोगों को परेशान भी कर रहे हैं। इन्हीं दिक्कतों को लेकर मुख्यमंत्री को ट्वीट किया है। सर्वर डाउन रहने से भी रजिस्ट्री कराने के लिए लोगों को कई-कई घंटे कतार में रहना पड़ता है। पहले से चली आ रही दिक्कतों को भी कोई समाधान नहीं हुआ है। बता दें कि रजिस्ट्रियां कराने में आ रही दिक्कतों के कारण राजस्व भी घटा है। कालांतर में 70-80 रजिस्ट्री प्रत्येक दिन होती थी, अब संख्या 30-35 में अटक गई है। ये भी गिनाईं दिक्कतें :

1. नगर निगम के सर्वे से बाहर या निगम जहां सर्विस-मेंटीनेंस, सड़क-लाइट की सुविधा नहीं दे रहा है, वहां की रजिस्ट्री में प्रापर्टी आइडी जा रही है। इनमें अंसल सुशांत सिटी, टीडीआइ, टीडीआइ कनाट एस्टेट, इंपीरियम रियल्टी, एल्डिको, हशविप्रा और एचएसआइआइडीसी के सेक्टर आदि शामिल हैं।

2. नगर निगम की साइट आनलाइन राजस्व साइट के साथ अपडेट नहीं है। सभी ड्यूज जमा कराने के बाद भी अपडेशन नहीं होता। तहसील में पंजीकरण रुक जाता है।

3. किसी प्रापर्टी का एक हिस्सा बिक रहा है तो भी पूरे रकबे की स्टांप ड्यूटी मांगी जा रही है।

4. तहसील के अधिकांश गांवों को अर्बन एरिया में फीड किया गया है। इसकी वजह से ये गांव नगर निगम के दायरे में आ गए हैं। स्टांप ड्यूटी भी निगम एरिया के मुताबिक मांगी जाती है। प्रापर्टी आइडी कार्य में सुधार नगर निगम को करना है। जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में भी दो बार बैठक हो चुकी है। सुधार नहीं होने पर निगम आयुक्त और राजस्व विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा गया है।

- डा. कुलदीप सिंह, तहसीलदार पानीपत


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