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आम लोगों की पहुंच से बाहर हैं निजी गोताखोर

अजय सिंह पानीपत पूर्व पार्षद हरीश और उनके दोस्त राजेश शर्मा की डूबने से मौत हो गई। नहर

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 07:10 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 07:10 AM (IST)
आम लोगों की पहुंच से बाहर हैं निजी गोताखोर
आम लोगों की पहुंच से बाहर हैं निजी गोताखोर

अजय सिंह, पानीपत

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पूर्व पार्षद हरीश और उनके दोस्त राजेश शर्मा की डूबने से मौत हो गई। नहर में डूबने से हर माह दो से तीन मौत होने के बाद भी स्थानीय प्रशासन ने आज तक आमजन को राहत देने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। हरीश शर्मा की तलाश के लिए एनडीआरएफ टीम तक आ गई। सवाल ये है कि अगर किसी आमजन की डूबने से मौत होती, तो क्या प्रशासनिक अधिकारी इतनी ही तेजी से खोजबीन कराते।

जब भी कोई व्यक्ति डूबा है तो स्वजनों ने उसे ढूंढने के लिए खुद गोताखोर लगाए हैं। रोजाना 500 से 1000 रुपये तक दिहाड़ी लेने वाले स्थानीय गोताखोरों को तो लोग किसी तरह बुला लेते हैं लेकिन पटियाला से आए ऑक्सीजन सिलेंडर किट वाले गोताखोरों के खर्च वहन करने में अच्छे-अच्छे रसूखदारों के हाथ खड़े हो जाते हैं। आर्थिक तंगी के चलते कई बार मजबूर परिवार खुद-ब-खुद शव फूलकर ऊपर आने का इंतजार करता है।

गोताखोरों की गरीब से छह और अमीर से 12 हजार रुपये दिहाड़ी

स्थानीय गोताखोर अगर किसी से 500 रुपये प्रति गोताखोर के हिसाब से शुल्क लेते हैं तो नहर किनारे बैठने वाले 12 गोताखोर छह हजार रुपये दिहाड़ी लेंगे। वहीं उच्चवर्ग के लोगों से ये गोताखोर एक हजार रुपये प्रति गोताखोर के हिसाब से 12 हजार रुपये दिहाड़ी लेते है। आक्सीजन सिलेंडर किट वाले गोताखोरों का एक दिन खर्च 30 से 50 हजार रुपये है। पहले 4 घंटे में नहर में शव मिला तो 30 हजार वर्ना पूरे दिन का 50 हजार रुपये का शुल्क लगेगा।

सरकारी कर्मचारियों को नहीं किट चलाने की जानकारी

कुरुक्षेत्र डेवलेपमेंट बोर्ड(केडीबी) के गोताखोरों ने बताया कि वे डीसी रेट पर भर्ती हुए है। उन्हें 17 हजार रुपये प्रतिमाह के हिसाब से वेतन मिलता है। कुरुक्षेत्र के अलावा अक्सर आस-पास के जिलों में भी उनकी ड्यूटी लगाकर नहर में सर्च अभियान चलाया जाता है। डीसी रेट पर लगे एक गोताखोर ने बताया कि दमकल विभाग के पास ऑक्सीजन सिलेंडर की दो किट हैं लेकिन उन्हें आज तक किट चलाने की ट्रेनिग नहीं मिली है। इसी वजह से वे प्राइवेट गोताखोरों की तरह गहराई तक तलाश नहीं कर पाते।

नहर से हजारों शव निकाल चुके पटियाला के गोताखोर

गोताखोर ओमप्रकाश ने बताया कि वे 13 साल से ये काम कर रहे है। पटियाला में पानीपत के मुकाबलें काफी बड़ी नदियां और नहरें हैं। आज तक नहर में डूब रहे सैकड़ों लोगों की जान बचा चुके हैं। वहीं हजारों शवों को नहर में से बाहर निकाल चुके है। उन्होंने बताया कि पंजाब में अक्सर लोग नहर में कूदकर आत्महत्या कर लेते हैं।


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