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नौकरी और खेती के साथ की आइएएस की तैयारी, अब 242वां रैंक

दरियावाला गांव के विवेक चहल ने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में 242वां रैंक हासिल किया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Apr 2018 04:58 PM (IST)Updated: Sat, 28 Apr 2018 04:58 PM (IST)
नौकरी और खेती के साथ की आइएएस की तैयारी, अब 242वां रैंक
नौकरी और खेती के साथ की आइएएस की तैयारी, अब 242वां रैंक

कर्मपाल गिल, जींद

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दरियावाला गांव के विवेक चहल ने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में 242वां रैंक हासिल किया है। यह उनका चौथा प्रयास था। अभी विवेक गांव में ही रहता है। खास बात यह है कि वीएलडीए की नौकरी करते हुए उन्होंने यह कामयाबी हासिल की है। सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी के दौरान वह पिता के साथ खेती में भी हाथ बंटाते थे।

विवेक चहल ने 12वीं नॉन मेडिकल से की। इसके बाद वीएलडीए का कोर्स किया। उसके बाद पत्राचार से ग्रेजुएशन की और पिता धर्मबीर के साथ खेती में हाथ बंटाने लगे। घर की मात्र ढाई एकड़ जमीन है। उसमें गुजारा होना मुश्किल था, इसलिए दस एकड़ जमीन ठेके पर लेकर खेती करते थे। दैनिक जागरण से बातचीत में विवेक ने कहा कि इस कामयाबी में सबसे बड़ा योगदान बड़े भाई फिजिक्स के लेक्चरर कृष्ण चहल और वीप्लसयू सेंटर संचालक रमेश चहल का है। विवेक कहते हैं कि कृष्ण भाई साहब ने ही यूपीएससी की परीक्षा देने के लिए हौसला बढ़ाया था। दोनों भाई लगातार गाइड करते रहे। पहली बार प्री एग्जाम भी क्लीयर नहीं हुआ। तब यह पता चल गया कि प्री की तैयारी कैसे करनी है। इसके बाद अगला रास्ता खुद तैयार किया। दूसरी बार प्री क्लीयर हुआ, लेकिन मेन्स नहीं हुआ। तीसरी बार मेन्स में 27 नंबर से रह गया था। इस दौरान एक बार यह लगा कि मुश्किल है। लेकिन मां मुन्नी और पिता हौसला बढ़ाते हुए। दोनों ने यही कहा कि तुम लगे रहो, कामयाबी जरूर मिलेगी। कुरुक्षेत्र विवि से एमए (अंग्रेजी) कर रही छोटी बहन अंशुल भी कहती रही कि भैया पीछे मत हटो। इस दौरान बड़े भाई रमेश चहल से भी लगातार मार्गदर्शन लेता रहा। लाइब्रेरी से 135 बुक इश्यू कराई

विवेक ने बताया कि बीए पत्राचार से की थी, इसलिए अंग्रेजी थोड़ी कमजोर थी। इसके लिए अंग्रेजी की खूब नॉवेल पढ़ीं। वह डिस्ट्रिक्ट लाइब्रेसी का सदस्य बने। यहां से स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी सहित कई विदेशी लेखकों की किताबें ले पढ़ाई थी। करीब 135 किताबें यहां लेकर आया और घर बैठकर इन्हें पढ़ता रहता था। फायदा यह हुआ कि पांच-छह घंटे की लगातार सी¨टग बन गई और अंग्रेजी भी सुधर गई। विवेकानंद और महात्मा गांधी की किताबों से प्रेरणा भी मिली। --इंटरव्यू से पहले डीसी अमित खत्री से लिये टिप्स

विवेक चहल ने बताया कि इंटरव्यू के लिए जाने से पहले वह जींद के उपायुक्त अमित खत्री से मिले थे। करीब 15 मिनट की बातचीत में उन्होंने अच्छा गाइड किया। मेरी एग्रीकल्चर बैकग्राउंड को देखकर उन्होंने कहा कि खेती पर विशेष फोकस रखना है। हिस्ट्री मेरा सब्जेक्ट था, इसलिए उसके बारे में भी टिप्स दिए। उनके साथ हुई मुलाकात इंटरव्यू में मेरे लिए बहुत फायदेमंद रही। विवेक ने कहा कि वह एक-दो दिन में ही डीसी साहब का मुंह मीठा कराने के लिए जाएंगे। --नौकरी के साथ मैनेज करना मुश्किल था

विवेक ने कहा कि यहां तक पहुंचने में संघर्ष बहुत ज्यादा हुआ। अभी वह पिल्लूखेड़ा के गांव आलनजोगी खेड़ा में वीएलडीए हैं। कई बार ड्यूटी से थक-हार कर ड्यूटी पर पहुंचता था। इस कारण हर रोज सिलेबस कवर करने का जो टारगेट बनाता था, वह पूरा नहीं हो पाता था। इस कारण कई बार विदाउट पे छुट्टी पर रहा। --माता-पिता ने रखा सिर पर हाथ

विवेक ने बताया कि मोबाइल पर परिणाम देखने के बाद करीब 20 मिनट में सहज हुआ। फिर पिताजी को बताया कि सेलेक्शन हो गया है। उन्होंने उठकर सिर पर हाथ रखा। अनपढ़ मां मुन्नी देवी ने भी सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया। फिर जींद से बड़े भाई कृष्ण और रमेश चहल भी बधाई देने के लिए गांव पहुंच गए।


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