कुश्ती में दांव नहीं लगा सका तो फेसिंग में उतरा, नेशनल में दिलाया पहला पदक
नेशनल स्कूली गेम्स में प्रहलाद ने अंडर-14 में कांस्य पदक जीता। वहीं धर्मनगरी कुरुक्षेत्र का फेंसिंग में पहला मेडल रहा।
पानीपत/कुरुक्षेत्र, [जगमहेंद्र सरोहा]। पतला शरीर और लंबाई कुश्ती में बाधा बनी तो कुश्ती कोच जसमिंद्र सिंह के बेटे प्रह्लाद जांगड़ा ने फेंसिंग खेल को चुना। इसमें भी पहली बार में झटका लगा और स्टेट में भी पोजीशन नहीं आई। दिन-रात मेहनत कर दूसरी बार रिंग में उतरा तो स्कूल नेशनल के अंडर-14 आयु वर्ग में कुरुक्षेत्र को राष्ट्रीय स्तर पर फेंसिंग में पहला पदक दिलाया।
नेशनल स्कूल गेम्स फेंसिंग प्रतियोगिता गुजरात के वड़ोदरा में 14 से 18 फरवरी तक हुई। महाराणा प्रताप स्कूल की आठवीं कक्षा के प्रहलाद जांगड़ा ने अंडर-14 आयु वर्ग में कांस्य पदक जीता। उन्होंने फेंसिंग कोच हरप्रीत को इसको श्रेय दिया है। जिला खेल एवं युवा कार्यक्रम अधिकारी यशबीर सिंह और महाराणा प्रताप स्कूल की प्रिंसिपल एन्नी फ्लीप ने उनको कास्य पदक की शुभकामनाएं दी हैं। पिता का कुश्ती में लाने का था सपना प्रह्लाद जांगड़ा के पिता जसमिंद्र सिंह कुश्ती के सरकारी कोच हैं। अब खेल विभाग की ओर से गुरु नानक वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय स्थित सेंटर में कोचिंग दे रहे हैं। मूल रूप से कैथल के राजौंद निवासी जसमिंद्र सिंह ने बताया कि वह अपने बड़े बेटे प्रहलाद को कुश्ती में लाना चाहते थे। उसको कुश्ती के गुर भी सिखाए, लेकिन लंबाई और शरीर पतला होने के चलते कुश्ती में नहीं चल पाया। उसने फेंसिंग कोच हरप्रीत सिंह के साथ चर्चा की तो प्रह्लाद को लेफ्ट हैंड का होने पर सही पाया।
सुबह शाम कोच और फिर ऑनलाइन फेंसिंग देखकर सीखी तकनीक
प्रहलाद ने बताया कि उसने दो साल पहले धन्नाभगत पब्लिक स्कूल स्थित सरकारी सेंटर पर कोच हरप्रीत सिंह की देखरेख में फेंसिंग की कोचिंग शुरू की। गत वर्ष स्कूली खेलों में प्रदेश स्तर तक पहुंचा, लेकिन मेडल नहीं ला सका। उसने हर रोज पांच से सात घंटे तक प्रेक्टिस की। ओलंपिक विजेताओं खासकर फ्रांस व इटली के खिलाडिय़ों की ऑनलाइन वीडियो देखकर तकनीक बारीकी से समझी। स्कूली नेशनल में यह सब पदक दिलाने में सहयोगी रही। उसने बताया कि कुश्ती पावर और तकनीक का खेल है, जबकि फेंसिंग फुट वर्क और तकनीक का खेल है।