आलू की फसल से किसानों को नुकसान, दोहरी मार का खतरा
हरियाणा में आलू की फसल से किसानों को नुकसान हो रहा है। दोहरी मार का खतरा मंडरा रहा है। अभी आलू पर झुलसा का प्रभाव नहीं लेकिन अधिक कीटनाशक से हो सकता है नुकसान। बढ़ते पाले में प्रभावित हो सकती आलू की फसल।
कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। तेजी से गिरे तापमान से अब किसान आलू की फसल को लेकर चिंतित हैं। किसानों को बढ़ रही ठंड में आलू की फसल में झुलसा रोग तथा ब्लाइट का खतरे की आशंका पैदा हो गई है। वहीं कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अधिक कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग करने से फसल को नुकसान हो सकता है। जिले में न्यूनतम तापमान चार डिग्री पहुंच जाने के साथ पाला पड़ना शुरू हो गया है। ऐसे में किसानों को दोहरा नुक्सान हो सकता है।
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. सीबी सिंह ने बताया कि उन्होंने क्षेत्र के खेतों में आलू और सब्जी की फसलों का निरीक्षण किया है लेकिन अभी तक बचाव है। अब मौसम में बदलाव का असर फसलों पर भी दिख रहा है। पाला से जहां सर्दी बढ़ी है वहीं फूल वाली फसलों के फूल खराब हो सकते हैं और जिसका सीधा प्रभाव उत्पादन पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सर्दी के चलते कोहरा एवं पाला पड़ने लगता है। कोहरे एवं पाला के कारण आलू की फसल को भी भारी नुकसान होता है जिससे उसमें पौधे की ग्रोथ रुक जाती है। आलू की फसल भी नष्ट होने लगती है और जिससे पैदावार कम हो जाती है। डा. सीबी सिंह ने बताया कि कृषि वैज्ञानिकों ने आलू की नई किस्मों और बीजों का गहन अनुसंधान के उपरांत किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है।
आलू उत्पादन में भारत विश्व में अग्रणी
डा. सीबी सिंह ने बताया कि सब्जी उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। आलू उत्पादन में भी भारत विश्व में अग्रणी है। यह कृषि वैज्ञानिकों एवं किसानों की मेहनत से संभव हुआ है। डा. सिंह के अनुसार आलू का उत्पादन अन्य फसलों के मुकाबले कई गुणा है। आज किसान भी नई किस्म के आलू के बीजों के लिए हर समय प्रयत्नरत रहते हैं और विभिन्न कृषि संस्थाओं से बीजों के लिए संपर्क करते हैं। डा. सिंह ने कहा कि आलू के उन्नत बीज किस्मों के साथ उपचार भी बहुत जरूरी है। केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान ने आलू की तीन नई किस्में तैयार की है और इन पर प्रयोग सफल रहे हैं। संस्थान के कुफरी गंगा, कुफरी नीलकंठ और कुफरी लीमा आलू की प्रजातियां मैदानी इलाकों में आसानी से पैदा हाेगी।