पोस्ट कोविड मरीज रखें ख्याल, मनोरोग ने घेरा, जानिए किस तरह से बचें
कोविड से ठीक हुए मरीजों को अब मनोरोग घेर रहा है। पोस्ट कोविड में कई तरह की समस्या सामने आ रही हैं। डा.देवेंद्र अरोड़ा ने पाठकों के सवालों का जवाब दिया 20 फीसद मरीजों को ही मेडिसिन सेवन की जरूरत।
पानीपत, जागरण संवाददाता। पोस्ट कोविड याददाश्त कमजोर होना, अनिद्रा, घबराहट, बैचेनी, पसीना आना, रोने का दिल करना, तनाव, उदासी, भूख न लगना, नकारात्मक सोच और ध्यान भटकना जैसी दिक्कतें बढ़ी हैं। हर आयु वर्ग के लोगों में परेशानियां देखी गई हैं। समय से काउंसिलिंग-इलाज मिल जाए तो मरीज जल्द रिकवर हो जाता है। करीब 80 फीसद मनोरोगियों को काउंसिलिंग, 20 फीसद को साथ में मेडिसिन भी देनी पड़ती है। सेक्टर-29 पार्ट-टू, प्लाट नंबर-10 स्थित दैनिक जागरण कार्यालय में शुक्रवार को हेलो जागरण के दौरान मस्तिष्क एवं मनोरोग विशेषज्ञ डा. देवेंद्र अरोड़ा ने सुधी पाठकों के प्रश्नों के उत्तर देने के उपरांत यह जानकारी दी।
प्रश्न : सेक्टर छह वासी सतेंद्र ने पूछा कि कोरोना से रिकवर होने के बाद काम में मन नहीं लगता। थकान हो जाती है, तनाव में रहता हूं।
चिकित्सक : कोरोना वायरस मस्तिष्क सहित शरीर के हर अंग पर प्रतिकूल असर डालता। पौष्टिक आहार लें। कम से कम छह घंटे की नींद लें। काम को बोझ न समझें, शेड्यूल बनाकर प्लाङ्क्षनग से काम निपटाएं।
प्रश्न : सेक्टर-12 वासी सतीश ने पूछा कि घर में कोई मिलने आता है तो डर लगता है कि कोरोना साथ में तो नहीं ले लाया, घर से बाहर जाने में भी यही डर सताता है।
चिकित्सक : इसे कोरोना फोबिया कहते हैं। बहुत से लोग बार-बार हाथों को सैनिटाइज करते हैं। इंटरनेट पर कोरोना के लक्षण ढूंढ़ते हैं। निजात पाने के लिए आपकों एक्सपर्ट से काउंसिलिंग करानी चाहिए।
प्रश्न : कलंदर चौक से ज्योति ने बताया कि मेरी बेटी 14 साल की है। वह एक टीवी सीरियल की ऐसी दीवानी है कि हमेशा उसमें खोई रहती है। चैनल ब्लाक कराया तो चीखने-चिल्लाने लगी है।
चिकित्सक : 12-15 साल के बच्चों का स्क्रीनिंग टाइम (मोबाइल फोन, लेपटाप और टीवी के सामने समय बिताना) अधिकतम दो-तीन घंटे (ब्रेक के साथ)होना चाहिए। बेटी को अधिक टीवी देखने के साइड इफेक्ट बताएं। उसकी काउंसिलिंग कराएं।
प्रश्न : माडल टाउन से राजीव ने बताया कि दिसंबर-2020 में कोविड हुआ था। रिकवर होने के बाद भ्रम की स्थिति बन गई कि दोबारा कोरोना तो नहीं हो जाएगा।
चिकित्सक : एक बार कोरोना होने के बाद मरीज के शरीर में एंडीबाडी इतनी बन जाती है कि दोबारा होने के चांस बहुत कम है। हो भी गया तो अधिक नुकसान नहीं पहुंचाएगा। योग-प्राणायाम-ध्यान करें, तनाव बिल्कुल न लें।
प्रश्न : समालखा निवासी नरेश ने बताया कि मेरी पत्नी को टाइफाइड हुआ था। इसके बाद से वह दिन में बड़बड़ाती रहती है। अब तो वह नए कपड़े भी फाडऩे लगी है।
उत्तर : पोस्ट टाइफाइड फीवर कुछ मरीजों में ऐसा असामान्य व्यवहार देखा गया है।आप उसे मनोचिकित्सक को दिखाएं। आपकी पत्नी को काउंसिलिंग के साथ कुछ दिन मेडिसिन लेनी पड़ सकती हैं।
प्रश्न : सेक्टर-छह वासी रविंद्र ने बताया कि पोस्ट कोविड में मन कुछ परेशान रहने लगा है। कभी-कभी तो रोने को मन करता है।
चिकित्सक : एक बार आप मनोरोग विशेषज्ञ को दिखाएं। पूरी हिस्ट्री जानने के बाद ही काउंसिलिंग व मेडिसिन शुरू होगी।
प्रश्न : एनएफएल वासी रमेश ने बताया कि आयु 35 साल है। दो माह पहले कोरोना पाजिटिव आया था। एक्सपोर्ट हाउस में काम करता हूं, काम में मन नहीं लगता।
चिकित्सक : रात्रि 10 बजे के बाद टीवी और मोबाइल फोन बंद कर दें। छह-सात घंटे की नींद लें। सुबह के समय व्यायाम अवश्य करें।
इस डर को न होने दें हावी
पोस्ट कोविड स्ट्रेस डिसआर्डर में एंजायटी, पैनिक अटैक, ऐसा लगना कि पता नहीं क्या हो जाएगा, मौत का डर आदि लक्षण रहते हैं। अकेलापन, गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने का डर भी लोगों को मानसिक रूप से परेशान कर रहा है। इन समस्याओं को हावी न होने दें।
काउंसिलिंग कोई भी कर सकता है :
डा. डीके अरोड़ा ने बताया कि मनोरोग बढ़ गया है तो मरीज की एक्सपर्ट से काउंसङ्क्षलग कराएं। सामान्य स्थिति में माता-पिता, शिक्षक, दोस्त, पड़ोसी, दादा-दादी, नाना-नानी या किसी एनजीओ के सदस्य भी काउंसङ्क्षलग कर सकते हैं।
बुजुर्गों का रखें विशेष ख्याल :
ढलती आयु में याददाश्त कमजोर पडऩे लगती है। कोरोना वायरस ब्रेन, हड्डियों-मांसपेशियों, फेफड़ों, दिल सहित शरीर के सभी अंगों पर दुष्प्रभाव डालता है। पोस्ट कोविड बुजुर्गों की याददाश्त एकदम से कमजोर हो सकती है। उनसे अच्छा व्यवहार करें।
मानसिक रोगों के लक्षण :
-दिल की धड़कन कम होना
-भूख न लगना, चक्कर आना
-कोविड के बारे में लगातार सोचते रहना
-सार्वजनिक समारोह में जाने से डरना
-असामाजिक व्यवहार करना
-खांसी-बुखार को कोविड मान लेना
-सफाई का जूनन पैदा होना
अनिद्रा दूर करने के टिप्स :
-इलेक्ट्रानिक गजेट््स से जरूरी काम ही निपटाएं।
-रात्रि में काम करने से परहेज करें।
-सोने-जागने का का समय निर्धारित करें।
-दिन में सोने से बचें, ताकि रात को अच्छी नींद आए।
-हर समय बिस्तर पर न रहें, दिनचर्या बदलें।
-व्यायाम को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
-समस्या हाने पर डाक्टर से परामर्श लें।