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हरियाणा के यमुनानगर में जहरीली हवा से बिगड़ रही सेहत, एक्‍यूआई 320 पार

हरियाणा के यमुनानगर में प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। एक्‍यूआई लेवल 320 तक पहुंचा गया। प्रदूषण की वजह अवैध खनन और फैक्‍ट्री से निकलने वाला धुआं है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी इसको लेकर गंभीर है। हर रोज हवा का स्तर खराब हो रहा।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 03:38 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 03:38 PM (IST)
हरियाणा के यमुनानगर में जहरीली हवा से बिगड़ रही सेहत, एक्‍यूआई 320 पार
यमुनानगर में एक्‍यूआई लेवल 320 तक पहुंचा गया।

पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। खनन भले ही मुख्यालय से 25 से 30 किलोमीटर दूर हो रहा है लेकिन इससे प्रदूषण शहर में फैल रहा है। खनन जोन से जो रेत, बजरी आ रही है उससे शहर की हवा प्रदूषित हो रही है। इससे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी भी चिंतित हैं। फैक्ट्रियों की चमनियों से निकलने वाला धुंआ और खनन जोन का रेत शहर की हवा को जहरीला बना रहा है। हर रोज हवा का स्तर खराब हो रहा है। प्रदूषण की वजह से जिले का एक्यूआइ 320 माइक्रोग्राम प्रति क्यूब घन मीटर तक पहुंच गया है। इसके अलावा कोहरा भी लोगों की दिक्कत बढ़ा रहा है।

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ट्रकों से सड़कों पर गिर रही रेत

प्रताप नगर, ताजेवाला, दादूपुर के अलावा रणजीतपुर समेत कई अन्य जगहों पर खनन साइट हैं। यहां से हर रोज खनन सामग्री के पांच हजार से ज्यादा ट्रक व डंपर शहर व अन्य रास्तों से होकर निकलते हैं। जो ट्रक शहर से निकलते हैं उनमें से रेत झड़ कर सड़कों गिर जाता है। फिर यही ट्रक वाहनों के टायरों के साथ उड़ कर हवा में मिल जाता है और धीरे-धीरे सड़कों के साथ लगते बरम पर इकट्ठा हो जाती है। जब कोई वाहन बरम से निकलता है एक बार फिर यही रेत हवा में मिल जाता है। इसके अलावा वाहनों का काला धुंआ भी हवा में घुल कर सांस के माध्मम से हमारे शरीर में जा रहा है।

ओवरलोड चलते हैं ज्यादातर डंपर

खनन जोन से जो ट्रक व डंपर आते हैं वो ओवरलोड होते हैं। इनमें तीन गुणा तक ज्यादा रेत होता है। ज्यादातर डंपरों में तो रेत इनकी बॉडी से ऊपर होता है। यही वजह है कि चलते समय रेत हवा में मिल जाता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि जिन ट्रकों में रेत जा रहा है यदि उन्हें तिरपाल से ढक दिया जाए तो वायु प्रदूषण काफी कम हो सकता है। तिरपाल लगाने से रेत हवा में नहीं मिलेगा और न ही सड़कों पर गिरेगा।

स्वास्थ्य पर बुरा असर

जहां पर वायु को प्रदूषित करने वाले प्रदूषक ज्यादा हो जाते हैं वहां आंखों में जलन, छाती में जकड़न और खांसी आना एक आम बात है। कुछ लोग इसको महसूस करते हैं और कुछ लोग इसको महसूस नहीं करते लेकिन इसकी वजह से सांस फूलने लगती है। हृदयरोग या अस्थमा एवं अचानक सेहत खराब होना भी वायु प्रदूषण की निशानी है। हवा में मौजूद 2.5 माइक्रोन (पीएम 2.5) से छोटे कण सीधे सांस लेने के रास्ते हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।

तिरपाल से ढक कर ले जाने की जरूरत : निर्मल कुमार

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी निर्मल कुमार का कहना है कि खनन जोन से जो रेत आ रहा है वो भी वायु प्रदूषण बढ़ने का बड़ा कारण है। यह रेत सड़कों पर गिर जाता है। इसे कम करने का एक ही तरीका है कि इन ट्रकों को तिरपाल से ढक कर ले जाया जाए ताकि ये रेत हवा में न मिले। दूसरा सड़कों के बरम पक्के किए जाने की जरूरत है ताकि वाहनों के दबाव से ये धूल हवा में न मिले।

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