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बना देश की जो ढाल था, वह भी किसी का लाल था..

अंकन साहित्यिक मंच की ओर से रविवार को आर्य पीजी कॉलेज सभागार में मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। आमंत्रित कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से देश की मौजूदा परिस्थितियों पर तंज कसते हुए शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Feb 2019 09:01 AM (IST)Updated: Mon, 25 Feb 2019 09:01 AM (IST)
बना देश की जो ढाल था, वह भी किसी का लाल था..
बना देश की जो ढाल था, वह भी किसी का लाल था..

जागरण संवाददाता, पानीपत : अंकन साहित्यिक मंच की ओर से रविवार को आर्य पीजी कॉलेज सभागार में मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। आमंत्रित कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से देश की मौजूदा परिस्थितियों पर तंज कसते हुए, शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।

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कवि हरगो¨वद की रचना, बना देश की जो ढाल था, वो भी किसी का लाल था.. को खूब वाहवाही मिली।

सुभाष भाटिया ने सैनिक की आपबीती सुनाते हुए कहा कि हम फौज में भर्ती हो लड़ते नहीं, हमें लडाया जाता है।

एहसान पानीपती की रचना मैं अंगारों से लड़ने निकला हूं और केसर कमल की रचना लवों पर लिखी खूबसूरत इबारत पर खूब तालियां बजी।

कमलेश कुमार पालीवाल, नसीब सभरवाल, श्याम आचार्य, धमेंद्र अरोड़ा, राकेश कुमार, डॉ. गुलशन कुमार, इकबाल और सुलेख जैन ने भी अपनी रचनाओं से माहौल को देशभक्तिमय बनाया।


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