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जींद के इस शख्स ने 40 साल खूब लगाए कश, पोते को खांसी आई तो फेंक दी सिगरेट

यह कहानी है जींद के अर्बन एस्टेट निवासी धर्मराज धर्रा की। उनकी उम्र अब 72 साल है। बेटे-बहू व दामाद ने धूम्रपान के नुकसान बताए पर किसी की नहीं मानी। पोते को खांसी आने पर सिगरेट कभी न पीने का प्रण ले लिया। अब दूसरों को जागरूक कर रहे हैं।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Sun, 21 Mar 2021 05:03 PM (IST)Updated: Sun, 21 Mar 2021 05:03 PM (IST)
जींद के इस शख्स ने 40 साल खूब लगाए कश, पोते को खांसी आई तो फेंक दी सिगरेट
जींद के रिटायर्ड ईटीओ धर्मराज धर्रा ने पोते के लिए नशा छोड़ा। अब दूसरों को धूम्रपान के नुकसान बताते हैं।

जींद [कर्मपाल गिल]। अर्बन एस्टेट निवासी धर्मराज धर्रा की उम्र अब 72 साल हो चुकी है। जिंदगी के 40 बरस तक खूब धूम्रपान किया। पहले बीड़ी और बाद में सिगरेट के कश लगाए। लत ऐसी थी कि एक दिन में सिगरेट की एक से ज्यादा डिब्बी खत्म कर देते थे। परिवार व नजदीकी रिश्तेदारों ने कई बार समझाया, लेकिन सिगरेट की आदत नहीं छूटी। लेकिन पोते को उठी खांसी ने एक झटके में सिगरेट छुड़वा दी।

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जींद के अर्बन एस्टेट निवासी धर्मराज धर्रा।

नाती-पोतों के बारे में कहावत है कि मूल से ब्याज ज्यादा प्यारा होता है। धर्मराज पर यही कहावत लागू हुई। बेटे-बहू व दामाद ने धूम्रपान के नुकसान बताए, पर किसी की नहीं मानी। दैनिक जागरण से बातचीत में धर्मराज धर्रा ने बताते हैं कि 15 साल पहले एक दिन वह सिगरेट पी रहे थे तो चार वर्ष का पोता अभिराज उनके पास आकर खेलने लगा। सिगरेट के धुएं से उनको खांसी उठी और पोते को तकलीफ हुई तो उन्होंने तुरंत सिगरेट फेंक दी। 

सिगरेट न छोटने का प्रण लिया, अभ धुआं भी सहन नहीं

धर्मराज बताते हैं कि उनकी अंतरात्मा से आवाज आई कि तेरी यह बुरी आदत पोते को भी नुकसान कर देगी। उसी समय प्रण ले लिया अब कभी सिगरेट नहीं पीऊंगा। उसके बाद आज तक सिगरेट को हाथ नहीं लगाया। धर्मराज कहते हैं कि नौकरी के दौरान कभी ऐसा नहीं रहा कि जेब से सिगरेट की डिब्बी न रही हो। वह जिंदगी का हिस्सा बन चुकी थी। अब तो उनके पास आकर कोई धूम्रपान करता है तो उसका धुआं सहन नहीं हाेता। अब वह दूसरे लोगों को इसके नुकसान के बारे में बताते हैं।

दिनभर रहती थी थकान, अब पूरा दिन ताजगी

धर्मराज कहते हैं कि वह आबकारी व कराधान विभाग से एक्साइज एंड टैक्सेशन ऑफिसर के पद से रिटायर्ड हैं। नौकरी के दौरान ही धूम्रपान की लत लगी। धीरे-धीरे यह बढ़ती गई। शरीर पर इसके दुष्परिणाम भी हुए। सुबह बहुत ज्यादा बलगम आता था। दिन भर थकावट भी रहती थी। मुंह से बदबू भी आती थी, लेकिन लत ऐसी थी कि चाह कर भी नहीं छोड़ रहे थे। धर्मराज कहते हैं कि उनके दामाद दंत चिकित्सक डा. रमेश पांचाल ने भी कई बार धूम्रपान से होने वाली बीमारियों के बारे में बताया था। बेटे भी कहते थे, लेकिन तब वह किसी की बातों को गंभीरता से नहीं लेते थे। अब मैं पोते को ही अपना प्रेरणास्रोत मानता हूं।

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वरिष्ठ दंत चिकित्सक डा. रमेश पांचाल बताते हैं कि तम्बाकू से लगभग 40 तरह के कैंसर होते हैं, जिसमें मुंह, गले, फेफड़े, प्रोस्टेट, पेट का कैंसर व ब्रेन टयूमर आदि कई तरीके के कैंसर होते हैं। धूम्रपान से हो रहे कैंसरों में विश्व में मुंह का कैंसर सबसे ज्यादा है। तम्बाकू से सबसे ज्यादा लोग हृदय रोग से पीड़ित होते हैं। सिगरेट के धुएं में मौजूद केमिकल्स फूड पाइप की मसल्स को डैमेज कर देते हैं। इससे पेट का एसिड गले तक पहुंचकर जलन पैदा करता है। सिगरेट के धुएं में मौजूद टार फेफड़ों में जमा होकर ब्लॉकेज पैदा करता है।

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