नारंग हत्याकांड पर आक्रोश, एसपी-विधायक से आम जनता पूछ रही सवाल
नारंग हत्याकांड के बाद न सिर्फ व्यापारियों बल्कि आम लोगों में गुस्सा है। संयुक्त व्यापार मंडल के दो गुट अलग-अलग समय में शहर के विधायक और एसपी से मिलने पहुंचे।
पानीपत, जेएनएन। सनौली रोड पर दुकानदार रमेश नारंग की नृशंस हत्या के विरोध में शहरभर के व्यापारी एकजुट हो गए हैं। विधायक से लेकर एसपी से मिले। दो गुटों में तब्दील हो चुके संयुक्त व्यापार मंडल के व्यापारी भी अलग-अलग गुटों में ही अपनी बात रखने पहुंचे। राजेश सूरी गुट दिन में 12 बजे विधायक से उनके कार्यालय में मिलने पहुंचा।
उन्होंने विधायक को हत्यारों की गिरफ्तार करने की मांग की। इस पर विधायक ने कहा कि वे डीसी व एसपी से मिलने जा रहे हैं। राजेश सूरी ने रमेश नारंग के हत्यारों का सुराग देने वालों को इनाम देने की की घोषणा की। राजेश सूरी के साथ विधायक से मिलने वालों में मुख्य रूप से इंद्रजीत कथूरिया, सुरेश बवेजा, नितिन नागपाल, विशाल वर्मा, मौजूद रहे।
सूरी के गुट के बाद सुनील अरोड़ा गुट मिला
संयुक्त व्यापार मंडल के अध्यक्ष सुनील अरोड़ा के नेतृत्व में बाजार प्रधानों ने शहर के विधायक प्रमोद विज को कहा कि रमेश नारंग के हत्यारों को जल्द पकडऩे के लिए पुलिस से कहें। बाजारों में सुरक्षा प्रदान की जाए। इस पर विधायक ने कहा कि वे एसपी से मिल चुके हैं। पुलिस ने हत्यारों को तीन दिन में पकडऩे का दावा किया है। संयुक्त व्यापार मंडल ने विधायक के समक्ष बाजारों में सीसीटीवी कैमरे लगाने, लाइट की व्यवस्था करवाने, कब्जे हटवाने की भी मांग रखी। विधायक ने इन मांगों पर जल्द काम करने का आश्वासन दिया। विधायक से मिलने वालों में अनिल मदान, दर्शनलाल वधवा, विपिन चुघ, राजू चावला, महेंद्र हुडिय़ा, गौरव लिखा, सुशील भराड़ा, कृष्ण फुटेला, सुनील चावला मौजूद रहे।
दोनो गुट एसपी से इकट्ठे मिलने पहुंचे
देर शाम संयुक्त व्यापार मंडल के सुनील अरोड़ा और राजेश सूरी, दोनों गुट पीडि़त परिवार को साथ लेकर एसपी से मिलने पहुंचे। एसपी से हत्यारों को पकडऩे की मांग की। एसपी ने बताया कि विधायक भी आ चुके हैं। तीन टीम जिनमें दो डीएसपी व दोनों टीमेें सीआइए की लगाई हुई है। हत्यारों को पकडऩे के लिए कई पहलुओं पर काम हो रहा है। बाहर आने के बाद संयुक्त व्यापार मंडल के गुट अलग-अलग हो गए।
व्यापारियों के लिए मांगी सुरक्षा
एसपी से मिलने से पहले संयुक्त व्यापार मंडल के अनिल मदान, सुनील अरोड़ा ने व्यापारियों की संबोधित किया। प्रधान सुनील अरोड़ा ने कहा कि दुख की घड़ी में हम पीडि़त परिवार के साथ हैं। उनके साथ व्यापार मंडल खड़ा रहेगा। बाजारों में सीसीटीवी कैमरे के साथ-साथ स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था की जानी चाहिए। व्यापारियों को सुरक्षा दी जाए।
वारदातें बढ़ रहीं, बरसों से सीसीटीवी ही नहीं लग रहे
शहर में एक के बाद एक वारदात हो रही हैं। पुलिस जब जांच शुरू करती है तो सबसे पहले सीसीटीवी कैमरे देखती है। नगर निगम ने कैमरे लगवाने की पहल तो की लेकिन काम आगे नहीं बढ़ाया। हालात तो ये हैं कि जहां पर सीसीटीवी कैमरे लगवाने के लिए मेयर और पार्षद तक निरीक्षण करते हैं, वहीं पर काम नहीं होता। सेक्टर 11-12 में वर्क आर्डर के बावजूद कैमरे नहीं लगाए गए। सनौली रोड पर दुकानदार की हत्या से सीसीटीवी कैमरे का मामला फिर उठाया गया है।
एक सप्ताह में कैमरे लगेंगे
19 दिसंबर, 2019 को सेक्टर 11 में कैमरे लगने का काम शुरू किया गया था। उस समय पार्षद रवींद्र भाटिया ने कहा कि 10 महीने पहले टेंडर हुआ था लेकिन उन्हें मालूम ही नहीं था। पता चलने पर कैमरे लगाने का काम शुरू करवा दिया गया है। पांच लाख रुपये का वर्कआर्डर हुआ है। एक सप्ताह में कैमरे लगेंगे। मौके पर मेयर अवनीत कौर, पूर्व मेयर भूपेंद्र व हिमांशु ने पहुंचकर ठेकेदार को कैमरे लगाने के प्वाइंट की जानकारी भी दी, लेकिन कैमरे नहीं लगाए गए। अब पूर्व मेयर भूपेंद्र ङ्क्षसह कह रहे हैं कि सीसीटीवी कैमरे लगाने का कोई मामला विचाराधीन नहीं है।
कमिश्नर अब कह रहे, निगम कैमरे नहीं लगवा सकता
नगर निगम के कमिश्नर से जब जागरण ने बात की तो उन्होंने बताया, यह कोई पुराना टेंडर होगा। नगर निगम अब सीसीटीवी कैमरे नहीं लगा सकता। इसके लिए पुलिस के साथ कमेटी बनी है। कमेटी फंड उपलब्ध करवा दे तो सीसीटीवी कैमरे नगर निगम लगाने के लिए तैयार है।
हुआ था टेंडर
नगर निगम ने एक साल पांच वर्ष पूर्व सेक्टर 12 में सीसीटीवी कैमरे लगाने का टेंडर किया था। ठेकेदार ने वर्क आर्डर के बावजूद 12 महीने तक कैमरे नहीं लगवाए।
इसलिए रद किया टेंडर
मेयर और पार्षद ने ठेकेदार को कैमरे लगाने के लिए सात दिन का समय दिया था। इसके बाद टेंडर रद करने की चेतावनी दी थी। ठेकेदार ने सात दिन में काम शुरू ही नहीं किया। तब मेयर और पार्षद के कहने पर ही निगम ने टेंडर रद करा दिया। अब कह रहे हैं कि पांच लाख रुपये में तो अत्याधुनिक कैमरे लगाए जा सकते हैं। सवाल ये है कि तब अत्याधुनिक कैमरों की बात उठाकर काम शुरू कराया जा सकता है। देरी की वजह से एक प्रोजेक्ट हाथ से निकल गया। इसका भुगतान शहर कर रहा है।