पानीपत के राक्सेड़ा के तलाब से कब्जा हटाने का रास्ता साफ
राक्सेड़ा में आबादी के बीच बने खेड़ा वाले पंचायती तलाब से कब्जा हटाने का दारोमदार अब बीडीपीओ और एसडीएम पर है।
जागरण संवाददाता, समालखा : राक्सेड़ा में आबादी के बीच बने खेड़ा वाले पंचायती तलाब से कब्जा हटाने का दारोमदार अब बीडीपीओ और एसडीएम पर है। कब्जाधारी ने एसडीएम कोर्ट से दो बार केस हारने के बाद डीसी के पास गत जुलाई में अपील की थी। डीसी ने भी एसडीएम के फैसले को बरकरार रखा है। एसडीएम को निशानदेही कराकर कब्जा हटाने का आदेश दिया। कब्जा नहीं छोड़ने पर मुकदमा दर्ज कराने को कहा। वहीं पंचायत ने प्रस्ताव पास कर बीडीपीओ से आरोपित पर जुर्माना लगाने और कब्जा हटाने की फरियाद की।
यमुना तलहटी में बसे राक्सेड़ा की आबादी आठ हजार के करीब है। गांव की दो तिहाई आबादी का गंदा पानी खेड़ा वाले जोहड़ में जमा होता है। सालों से सफाई नहीं होने से उसमें सिल्ट भरा है। बारिश के अलावा दिनों में भी गंदा पानी आसपास की गलियों में भर जाता है। दो दर्जन परिवारों को नारकीय जीवन जीना पड़ता है। सड़क पर दादा खेड़ा, गूगा मेड़ी, रामलीला ग्राउंड भी हैं।
कब्जाधारी के अपील में जाने से रुक गया था काम
गत जुलाई में पंचायत ने तलाब की खोदाई और सफाई शुरू की थी। कब्जाधारी के डीसी के पास अपील में जाने से खोदाई का काम बीच में रोक दिया गया। करीब ढाई लाख रुपये खर्च होने के बाद पंचायत ने दिल्ली से आई भाड़े की पोपलेन मशीन को वापस कर दिया। अब करीब छह माह बाद डीसी का फैसला आया है। उन्होंने कनिष्ठ अधिकारी को निशानदेही कराकर कब्जा हटाने के निर्देश दिए हैं।
दो बार कोर्ट से हार चुके कब्जाधारी
सरपंच जयप्रकाश शर्मा ने बताया कि कब्जाधारी 23 दिसंबर, 2018 और 18 मार्च, 2020 को दो बार कोर्ट से हार चुके थे। दोनों बार कब्जा खाली कराने का आर्डर हुआ था। अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। पंचायत ने कब्जा हटाने का प्रयास किया तो राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद उसे बंद कर दिया गया। फिर कब्जाधारी को अपील में जाने का मौका मिला। सुबूत के अभाव में वे वहां भी हार गए। कब्जे से सात एकड़ का खेड़ा वाला तलाब 4 एकड़ रह गया है। सरपंच ने बताया कि गत बृहस्पतिवार को उन्होंने फैसले की कांपी के साथ प्रस्ताव पास कर बीडीपीओ को निशानदेही, कब्जा हटाने और कब्जाधारियों पर जुर्माना लगाने के लिए कहा है। आगे की कार्रवाई अधिकारी को करनी है। मालूम हो कि विगत तीन साल से पंचायत कब्जा हटाने का प्रयास कर रही है, लेकिन अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।