ये है पप्पी ठेकेदारनी, जिसने पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्र में बनाई अपनी खास जगह
संघर्ष की राह पर चली तो सफलता भी मिली और दूसरों के लिए प्रेरणादायक भी। करनाल की इस महिला ने पहले मजदूरी की। धीरे-धीरे छोटे ठेके लेने लगी। अब सरकारी भवन तक निर्माण कर रही है।
अश्विनी शर्मा, करनाल - कांट्रेक्टर। यह शब्द सुनते ही सबसे पहले हमारे दिमाग में आता है, कोई पुरुष, जो ठेकेदारी में लगा हुआ है। महिलाएं इस क्षेत्र में न के बराबर हैं। पर करनाल की एक महिला ने यह मिथक तोड़ा है। इस महिला ने ऐसा नाम कमाया कि लोग उसे अब पप्पी ठेकेदारनी कहने लगे।
पप्पी नाम तो उस दिन ही गौण हो गया था, जब उसने पहली बार गारे में सने हाथों से पहली ईंट रखी थी। .. और अब हर कोई उसे ठेकेदारनी ही कहता है। कहें भी क्यों न..। आखिर यह मंजिल उसने कड़े परिश्रम, लगन और हिम्मत से पायी है। पप्पी भवन निर्माण का ठेका लेती है। हालांकि यह क्षेत्र विशुद्ध रूप से पुरुषों के अधीन रहा है। महिलाएं तो बस मजदूरी के लिए ही आती थीं। किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन इन मजदूर महिलाओं के बीच से ही निकली पप्पी इस क्षेत्र में अपनी धाक जमा पाएगी।
आज है 50 लोगों की टीम
इंद्री की एक ठेकेदारनी ने टक्कर दी है। वह भी ऐसी कि उसका नाम भवन निर्माण के लिए आसपास के क्षेत्र में खासी पहचान कायम कर गया। पप्पी ठेकेदारनी ने महिलाओं को आगे बढ़कर पुरुषों के अधीन आने वाले इस कार्य में आने के लिए प्रेरित भी किया। उनके पास पुरुषों के साथ ही करीब 50 महिलाओं की टीम है। इंद्री के वार्ड 10 की रहने वाली पप्पी ने यह साबित कर दिया कि महिलाएं महज मजदूर नहीं है। वह चाहे तो आगे बढ़ाकर खुद भी अपने नेतृत्व में ऊंची-ऊंची इमारतें बना सकती हैं।
शादी के दो साल बाद तक की मजदूरी
मजदूर से बनी ठेकेदारनी पप्पी ठेकेदारनी ने अपनी शादी के दो साल बाद मेहनत-मजदूरी का काम शुरू कर दिया था। मजदूरी करते हुए वह अपने साथियों का पूरा ध्यान रखती थी। साथी मजदूरों व परिवार ने साथ दिया तो वह खुद भवन निर्माण के काम में सीधे तौर पर उतर आई। श्रमिकों की उसके पास कमी नहीं थी और ना ही दक्षता की। लिहाजा उसका नाम धीरे धीरे पूरे क्षेत्र में फैल गया। उसकी खास बात यह है कि यदि कभी कोई मजदूर किसी वजह से नहीं आता है तो वह खुद उसका काम करना शुरू कर देती हैं। चूंकि पप्पी खुद भी मजदूर रह चुकी है तो उसे उनकी दिक्कतों के बारे में भी अच्छी तरह से पता है। लिहाजा मजदूर भी हमेशा उनके काम को ही प्राथमिकता देते हैं।
बना चुकी कई सरकारी इमारतें
पप्पी ठेकेदारी अपनी भवन निर्माण कला का कुशल परिचय कई बार दे चुकी है। वह इंद्री के तीन सरकारी स्कूल का निर्माण कर चुकी हैं। पुलिस थाने के नए भवन के साथ ही वह उपमंडल और तहसील कार्यालय के भवन का निर्माण भी कर चुकी हैं। इसके अलावा निजी तौर पर अभी तक वह कई भवन बना चुकी है।