Panipat Weather Update : पानीपत में तीन दिन सावन जैसी झड़ी लगी, 26 एमएम बारिश दर्ज
हरियाणा के पानीपत में सावन माह की तरह पिछले दो दिनों से बारिश हो रही। बुधवार को भी सुबह बारिश हुई। पानीपत में औसतन 26 एमएम बारिश दर्ज की गई। मौसम विभाग ने भी बारिश की संभावना जताई थी। वहीं अब कोहरा छाएगा।
पानीपत, जेएनएन। बुधवार को भी मौसम का मिजाज तल्ख बना रहा। अल सुबह तेज बारिश हुई। रात को भी बारिश होती रही। जिला पानीपत में औसतन 26 एमएम बारिश दर्ज की गई है। मौसम विभाग ने 4-5 जनवरी को बारिश की संभावना व्यक्त की थी। बारिश व तेज हवा चलने के कारण बिजली आपूर्ति दो दिन पहले ठप पड़ी। कईं इलाकों में अभी भी ठप चल रही है। बादल छाए रहने के कारण ठंड में कुछ कमी आई है। पिछले तीन दिनों से बारिश चल रही है।
लगातार बारिश होने के कारण जगह-जगह पानी भरा हुआ है। बाजारों में भी पानी भरा हुआ है। पानी भरा होने के कारण आवाजाही प्रभावित हुई है। सुबह बारिश के बाद मौसम साफ रहा। मौसम विभाग के अनुसार बारिश थमने के बाद सर्दी बढ़ेगी। तापमान में गिरावट रहेगी। एक दिन पहले मंगलवार को पूरा दिन रुक-रुक कर बारिश होती रही। रात को भी बारिश हुई। जम्मू कश्मीर में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ का असर अब खत्म हो गया है। अगले 24 घंटे में बारिश होने की संभावना नही है। मौसम विभाग का कहना है कि बारिश थमने के बाद तापमान में गिरावट होने से सर्दी बढ़ेगी।
वायु गुणवत्ता स्तर में सुधार हुआ
बारिश होने के कारण वायु गुणवत्ता स्तर में सुधार रहा। एयर क्वालिटी इंडेक्स 149 दर्ज किया गया।
ब्लाॅक स्तर पर बारिश
पानीपत : 23 एमएम
समालखा : 27 एमएम
इसराना : 35 एमएम
बापौली : 19 एमएम
मतलौडा : 26 एमएम
किसान खुश
बारिश होने से किसान खुश है। बिंझौल के किसान रामकिशन ने बताया कि इन दिनों बारिश होने से फसल को लाभ मिलेगा। साथ ही प्रदूषण की मार से बचाव होगा।
सीजन पहले ही निपटा
इस बार बाजारों में सर्दी का सीजन निपटान पर है। गर्म कपड़ों की ग्राहकी कम होने के कारण दुकानदारों ने समर सीजन की तैयारी शुरू कर दी है। दुकानदारों ने बताया कि इस बार कंबल का कारोबार भी पहले ही समाप्त हो गया। आम तौर पर यह कारोबार 15 जनवरी तक चलता है।
करनाल में 24 घंटे में 25.8 एमएम बरसात
जनवरी माह में हुई बरसात ने मानसून की बरसात का अहसास करा दिया। क्षेत्र में पिछले तीन दिन से रुक-रुककर बरसात हो रही है। बुधवार अल सुबह तक बरसात का सिलसिला जारी रहा। 24 घंटे में 25.8 एमएम बरसात दर्ज की गई। जिसके बाद न्यूनतम तापमान गिरावट के साथ 13.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। सुबह के समय नमी की मात्रा 100 फीसदी दर्ज की गई। हवा 4.2 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चली। बुधवार सुबह भी बादल छाये रहे। हालांकि कुछ देर के लिए सूर्यदेव के दर्शन तो हुए, लेकिन एक घंटे के अंदर ही बादल फिर से छा गए। सूर्यदेव का लुका-छिपी का खेल चलता रहा। केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के मुताबिक आने वाले 24 घंटे में धुंध छा सकती है। धुंध का यह सिलसिला लगातार कई दिन तक जारी रह सकता है।
जनवरी में हर साल होती रही है बरसात
मौसम विभाग के आंकड़ बताते हैं कि हर साल जनवरी माह में बरसात होती रही है। लेकिन यह मौसम की परिस्थितियों पर निर्भर करता है कि किस दिन बरसात होगी। पिछले 10 साल के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो वर्ष 2010 में 7.6 मिलिमीटर, 2011 में 2.2, वर्ष 2012 में 21.6 एमएम, 2013 में 64.4 एमएम, 2014 में 65.2 एमएम, 2015 में 15.0 एमएम, 2016 में 0.0, 2017 में 93.8 एमएम, 2018 में 34.2 एमएम, 2019 में 28.8 एमएम व 2020 में 36.2 एमएम बरसात दर्ज की जा चुकी है।
दूसरा पानी देने की अभी नहीं है किसानों को जरूरत
कैथल में सोमवार व मंगलवार को हुई बरसात गेहूं के लिए वरदान साबित हुई है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार इस बरसात से गेहूं अच्छा फुटाव लेगी। जनवरी के महीने में जितनी ज्यादा बरसात होती है उतनी ही गेहूं अच्छी निकलने का अनुमान होता है। इस समय ही फसल का पौधा ग्रोथ करता है। धुंध व बरसात दिसंबर से लेकर फरवरी तक फसल के लिए जरूरी होती है। यहीं पौधा के साइज पर निर्भर होती है। गेहूं में किसानों द्वारा एक पानी दे दिया गया है। उसके बाद दूसरा पानी की किसानों को तैयारी इस समय थी, लेकिन अब बरसात के बाद 10 दिन तक दूसरे पानी की जरूरत नहीं है। किसान अब खाद का प्रयोग कर सकते है। पौधा बरसात के साथ मजबूत तैयार होगा।
बीमारी आती है कम
बरसात होने से गेहूं की फसल में बीमारी कम आने का खतरा रहता है। इससे किसानों को पेस्टिसाइड से छुटकारा मिलता है।धन व समय की बचत होती है। पौधा एक अच्छा तैयार होता है।
25 नवंबर से गेहूं की बिजाई का काम शुरू हो जाता है, उसके एक महीने बाद गेहूं की सिचाई की जाती है। उसके बाद 10 दिसंबर से लेकर 25 दिसंबर तक पिछेती गेहूं की बिजाई होती है, दिसंबर के बाद वाली बिजाई को बरसात की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है।
कृषि उपनिदेशक कर्मचंद