CM की घोषणा में अधिकारियों का भ्रष्टाचार, का पर्दाफाश, RTI से सामने आई सच्चाई Panipat News
राहगीरी के लिए डीजीपी ने भेजे 6.40 लाख रुपये लेकिन एसपी को 2.30 लाख लाख रुपये मिले। जिला पुलिस को राहगीरी कार्यक्रम के उद्देश्य व औचित्य का पता नहीं।
पानीपत, जेएनएन। सीएम की घोषणा में भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ है। 27 नवंबर 2016 को सीएम मनोहर लाल ने राहगीरी के आयोजन की घोषणा की थी। डीजीपी कार्यालय ने इसके लिए 6.40 लाख रुपये पानीपत भेज दिए। एसपी कार्यालय को इनमें से 2.30 लाख रुपये ही मिले। ऑनलाइन पारदर्शी सिस्टम में 4.10 लाख रुपये कहां चले गए, इसका पता पुलिस विभाग को नहीं चल पा रहा है। यह पर्दाफाश पीपी कपूर की ओर से मांगी गई जनसूचना का अधिकार के तहत मिली जानकारी में हुआ है। यह भी रहस्योद्घाटन हुआ है कि 16 बार कार्यक्रम होने के बावजूद पुलिस को इसके उद्देश्य और औचित्य का पता नहीं है। डीजे, स्टेज जनरेटर, बैंड व अन्य गतिविधियों पर प्रशासन का एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ। संस्थाओं ने अपनी जेब से खर्च किया।
आरटीआइ कार्यकर्ता पीपी कपूर ने गत 23 अप्रैल 2019 को 11 प्रश्नों के जवाब मांगे थे। डीएसपी मुख्यालाय ने गोलमोल जवाब दे इसे टाल दिया। राज्य सूचना आयोग में मामला पहुंचने पर 30 जनवरी व 7 फरवरी 2020 को पत्रों के माध्यम से डीएसपी (मुख्यालय) सतीश वत्स ने चौंकाने वाली सूचनाएं दी।
- ये मिली जानकारी
- राहगीरी का उद्देश्य व औचित्य : कोई रिकॉर्ड नहीं है।
- कार्यक्रम जनता अपने तौर पर करती है।
- पुलिस सिर्फ कानून व्यवस्था के लिए ड्यूटी देती है।
- डीजीपी कार्यालय से 23 अप्रैल 2019 को मिले 2.30 लाख रुपये में से कोई पैसा खर्च नहीं किया गया।
- राहगीरी संचालन कमेटी व इसके सदस्यों का भी कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
- कार्रवाई रजिस्टर व मीटिंगों मे लिए निर्णयों की सूचना होने से मना किया।
- 16 मई 2018 से राहगीरी आयोजित की जा रही है।
- मई 2018 से अप्रैल 2019 तक 16 राहगीरी में करीब एक लाख लोग शामिल हुए। इस कार्यक्रम को करने का कोई आदेश पत्र रिकार्ड में मौजूद नहीं है।
अब अधिकारी मौन
मुख्यमंत्री घोषणा के तहत चल रहे प्रोग्राम से प्रशासनिक अधिकारियों का अनभिज्ञ होना गंभीर सवाल खड़े करता है। पानीपत राहगीरी को प्रदेशभर में प्रथम प्रथम पुरस्कार मिलने पर पिछले वर्ष होटल स्वर्णमहल में पार्टी पर खर्च किए लाखों रुपये बारे भी प्रशासनिक अधिकारी मौन हैं।
ग्रांट में भारी घपला
कपूर का कहना है कि डीएसपी (मुख्यालय) सतीश वत्स ने 30 जनवरी 2020 को जारी पत्र में डीजीपी कार्यालय से 2.30 लाख रुपये मिलने की बात कही है। डीजीपी कार्यालय से 27 नवंबर 2019 को जारी पत्र में 6.40 लाख रुपये एसपी को भेजने के दावे किए जा रहे हैं। आठ अप्रैल 2019 को 2.30 लाख, 8 जुलाई 2019 को 1.80 लाख व 14 अक्टूबर 2019 को 2.30 लाख रुपये भेजने की बात कही गई है। सवाल है कि 4.10 लाख रुपये कहां चले गए?