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पानीपत-जालंधर सिक्सलेन प्रोजेक्ट में टोल से कमाए 6 हजार करोड़ रुपये, सुविधाओं के नाम पर मिली अव्यवस्था

पानीपत-जालंधर सिक्सलेन प्रोजेक्ट में कंपनी ने खुद टोल से 6 हजार करोड़ रुपये कमाए है। लेकिन जब बात सुविधाओं की होती है तो वाहन चालकों को बस अव्यवस्थाएं ही मिली है। हाइवे पर एसओएस बटन आपातकाल सेवा के लिए लगाए गए थे। लेकिन वे बस शोपिस बनकर रह गए हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Wed, 24 Nov 2021 05:15 AM (IST)Updated: Wed, 24 Nov 2021 07:05 AM (IST)
पानीपत-जालंधर सिक्सलेन प्रोजेक्ट में टोल से कमाए 6 हजार करोड़ रुपये, सुविधाओं के नाम पर मिली अव्यवस्था
पानीपत-जालंधर सिक्सलेन पर शोपीस बने एसओएस बटन।

अंबाला, [दीपक बहल]। पानीपत-जालंधर सिक्सलेन प्रोजेक्ट में कागजों में जो सुविधाएं वाहन मालिकों को दी जानी थी वह धरातल पर दिखाई नहीं दी। अब तक प्रोजेक्ट के तहत सर्विस लेन में स्ट्रीट लाइट, ब्लैक स्पाट का ही मामला था, लेकिन अब सेव आवर सोल (एसओएस) बाक्स के ठप होने का मामला सामने आया है। 292 किलोमीटर (किमी) के हाईवे पर कुछ दूरी पर सड़क के डिवाइडर पर एसओएस के बाक्स लगे हैं, लेकिन यह काम नहीं कर रहे। बटन दबाने पर एंबुलेंस सेवा या फिर आपातकालीन स्थिति में मदद की जाती है। एसओएस बाक्स का बटन दबाने पर मैसेज कंट्रोल में चला जाता है।

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तीन टोल से सालाना 600 करोड़ की कमाई

हालांकि 1033 पर काल करके मदद ली जा सकती है। रोजाना इस हाईवे से करीब 80 हजार वाहन आते-जाते हैं। ऐसे में सेवा ठप होने से कहीं न कहीं लोगों को परेशानी हो रही है। पिछले करीब दस सालों में छह हजार करोड़ रुपये हाईवे पर लगे तीन टोल से वसूला जा चुका है। करनाल, अंबाला और लुधियाना के नजदीक लाडोवाल में टोल लगाए गए हैं। हालांकि आंदोलन के कारण अभी टोल फ्री है। बता दें कि पानीपत से जालंधर 291 किलोमीटर (किमी) के सिक्सलेन प्रोजेक्ट के लिए तीन टोल पर सालाना 600 करोड़ रुपये की कमाई हुई, लेकिन लोगों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पा रही। पहले इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी सोमा आइसोलक्स के पास थी, लेकिन अब एनएचएआइ ने सोमा कंपनी को प्रोजेक्ट से ही अलग कर दिया। सोमा कंपनी का टेंडर रद कर दिया और उक्त तीनों टोल एनएचएआइ ने अपने अधीन ले लिए।

सन 2024 तक लगे हैं टोल

पानीपत से जालंधर तक सिक्सलेन प्रोजेक्ट नवंबर 2011 में पूरा होना था, लेकिन यह प्रोजेक्ट आज भी अधूरा है। 11 मई 2009 से तीनों टोल पर वाहनों से फीस ली जाती रही। साल 2008 में एनएचएआइ और सोमा कंपनी के बीच करार हुआ था। वाहन मालिकों को सुविधाएं नहीं मिल रहीं थीं, जिस कारण सोमा कंपनी को नोटिस जारी किए गए। हाईवे पर चाहे सड़क का मामला हो या फिर सर्विस लेन पर लाइट लगाने का। इतना ही नहीं पानी निकासी का भी उचित बंदोबस्त नहीं किया गया। यह टोल सन 2024 तक लगे रहेंगे।

करीब चार किमी पर एक एसओएस

पानीपत-जालंधर सिक्सलेन प्रोजेक्ट पर एसओएस बाक्स लगाए गए हैं। करीब चार किमी पर एक बाक्स लगाया गया है। यह बाक्स हाईवे पर बने डिवाइडरों पर लगाए गए हैं ताकि अप एंड डाउन आने-जाने वाले वाहन चालक इसका इस्तेमाल कर सकें। मौजूदा स्थिति यह है कि यह एसओएस बाक्स बंद पड़े हैं और वाहन चालक इनका इस्तेमाल ही नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि एनएचएआइ ने 1033 नंबर जारी किया है, जो आपात स्थिति में मदद करने के लिए कर्मचारियों को भेजती है।


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