जीरो लिक्विड डिस्चार्ज पर जोर, कितना पानी खर्च करते हैं, उद्योगों को अब देनी होगी जानकारी
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पानीपत के चारों औद्योगिक सेक्टर सहित ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया से पानी खपत का डाटा मांगा है। 2023 तक होने वाले पानी की खपत का डाटा देना होगा। इसके बाद जीरो लिक्वेड डिस्चार्ज संयंत्र लगाया जाएगा।
पानीपत, जेएनएन। चारों औद्योगिक सेक्टरों सेक्टर 29 पार्ट 1-2, सेक्टर 25 पार्ट 1-2 सहित ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया में लगे उद्योगों को पानी खपत का वर्तमान और 2023 तक खपत होने का अनुमानित डाटा उपलब्ध करवाना होगा। इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जानकारी मांगी है। पानी की खपत का डाटा देने के लिए उद्यमियों को फार्म इश्यू किए गए हैं।
उद्योगों से निकलने वाला पानी साफ हो व उसे दोबारा प्रयोग किया जा सके। इसके लिए यह जानकारी मांगी जा रही है। डाटा उपलब्ध होने के बाद जीरो लिक्वेड डिस्चार्ज संयंत्र लगाया जाएगा। जिसमें पूरा पानी साफ होगा। उसे दोबारा प्रयोग किया जा सकेगा।
दो सीइटीपी के भरोसे केमिकल युक्त पानी
उद्योगों से निकलने वाले पानी को साफ करने के लिए 21-21 एमएलडी के दो प्लांट सेक्टर 29 पार्ट दो में लगे हुए हैं। इन प्लांट की क्षमता से अधिक पानी उद्योगों से निकलता है जो बाय पास होकर यमुना में जा रहा है। जेडएलडी की क्षमता से कम पानी उद्योगों से निकल रहा है। ऐसे में 2023 का आंकड़ा जुटाया जा रहा है। दो साल जेडएलडी लगने में भी लग जाएंगे।
आउटर में वह उद्योग जो जीरो लिक्वेड डिस्चार्ज करेंगे
इन सेक्टरों से बाहर वही उद्योग लगाए जा रहे हैं। जो जीरो लिक्वेड डिस्चार्ज कर रहे हैं। ऐसे उद्योगों को ही अनुमति मिल रही है। सेक्टरों की समस्या को दूर करने के लिए जेडएलडी प्रस्तावित है।
पहले जेएडएलडी का प्रस्ताव खारिज
हशविप्रा ने सेक्टर 29 पार्ट दो में जेडएलडी लगाने का प्रस्ताव केंदर सरकार के पास भेजा था। प्रस्ताव पास हो गया था। जिस पर 50 प्रतिशत केंद्र, 50 प्रतिशत स्टेट व 25 प्रतिशत खर्च उद्यमियों को करना था। उद्यमी इतना खर्च नहीं दे पाए। जिस कारण प्रस्ताव ठंडे बस्ते मे डाल दिया गया। अब दोबारा से इस प्रस्ताव पर काम करने का प्रयास हो रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कमलजीत ने बताया कि इस प्रोजेक्ट पर 800 करोड़ का खर्च आएगा। उद्यमी प्लांट लगने के बाद बिल देने के लिए तैयार है। इस प्रोजेक्ट पर नए सिरे से काम होगा।