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पोस्टमार्टम हाउस का फ्रीजर फुल, इमरजेंसी वार्ड में रखे कोरोना आशंकितों के शव, स्‍टाफ में दहशत

पोस्टमार्टम हाउस के फ्रीजर फुल होने की वजह से कोरेाना आशंकितों के शव इमरजेंसी वार्ड में रखे गए। इससे स्‍टाफ में हड़कंप मच गया। इसकी शिकायत की गई तो शवों को हटाया गया।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 08:47 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 08:47 AM (IST)
पोस्टमार्टम हाउस का फ्रीजर फुल, इमरजेंसी वार्ड में रखे कोरोना आशंकितों के शव, स्‍टाफ में दहशत
पोस्टमार्टम हाउस का फ्रीजर फुल, इमरजेंसी वार्ड में रखे कोरोना आशंकितों के शव, स्‍टाफ में दहशत

पानीपत, जेएनएन। सिविल अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में दो अज्ञात लोगों के शव एंबुलेंस से लाए गए। मृतकों के स्वाब सैंपल लेने के बाद शवों को वहीं छोड़ दिया। कारण बताया कि पोस्टमार्टम हाउस के फ्रीजर फुल हैं। दहशत में आए स्टाफ ने शिकायत की, इसके बाद शव उठवाए गए। 

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सिविल अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस में आठ फ्रीजर हैं, सभी में डेड बॉडी रखी हुई हैं। शुक्रवार को दो और अज्ञात शव इमरजेंसी में लाए गए। कोविड-19 आशंकित मानकर शवों को वाटर लीक प्रूफ बैग में पैक तो कर दिया, रखा कहां जाए यह चुनौती बन गया। कई घंटे तक शव इमरजेंसी में रखे रहें तो कर्मचारियों में हलचल शुरू हो गई। पहले दोनों शवों को एनसी मेडिकल कॉलेज शिफ्ट करने पर विचार हुआ। 

बाद में दोनों शवों को पोस्टमार्टम हाउस में बने एसी रूम में रखवाया गया। सिविल सर्जन डा. संतलाल वर्मा ने बताया कि शवों को रखने के लिए कोल्ड चैंबर बनाने पर विचार किया जा रहा है। 

 टीबी का इलाज शुरू होने से पहले होगी कोरोना जांच

फेफड़ों की टीबी के मरीजों का अब इलाज शुरू होने से पहले अब कोरोना की जांच भी होगी। एचआइवी-शुगर जांच के साथ यह तीसरा टेस्ट जुड़ गया है। पुराने मरीजों का भी कोरोना टेस्ट कराया जा रहा है। जून में 100 से अधिक  मरीजों का टेस्ट किया गया है। 

डिप्टी सिविल सर्जन डा. सुधीर बतरा ने टीबी दो प्रकार की होती है।इनमें एक पल्मोनरी (फेफड़ों में संक्रमण)और दूसरी एक्सट्रा पल्मोनरी (शरीर के दूसरे अंगों में टीबी)शामिल है। करीब 60 फीसद लोग फेफड़ों की टीबी से ग्रस्त पाए जाते हैं। बाकी मरीज हड्डी, किडनी, दिमाग और पेट की टीबी से ग्रस्त होते हैं। जून में करीब 2400 मरीजों ने सिविल अस्पताल से डोज ली है। इनमें से जितने भी फेफड़ों की टीबी से ग्रस्त थे, उनमें से लगभग 90 फीसद का कोरोना टेस्ट करा लिया गया है। जून से ही टीबी मरीज का इलाज से पहले कोरोना टेस्ट भी शुरू किया गया।

अब तक 100 से अधिक मरीजों की जांच कराई गई है। डा. बतरा ने स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन का जिक्र करते हुए बताया कि टीबी का मरीज कोरोना पॉजिटिव मिलता है तो उसे होम आइसोलेशन में नहीं, बल्कि अस्पताल में भर्ती रखा जाएगा। 


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