Panipat Civil Hospital: तरक्की की राह पर सिविल अस्पताल, ईएसआइ अस्पताल पिछड़ा
Panipat Civil Hospital तकरीबन 43 करोड़ की लागत से नवंबर-2018 में सिविल अस्पताल की चमचमाती बिल्डिंग बनकर तैयार हुई है। ओपीडी ब्लाक रेडियोलाजी ब्लाक प्रशासनिक ब्लाक इमरजेंसी वार्ड बना हुआ है। वाहन पार्किंग के लिए अलग भवन है।
पानीपत, जागरण संवाददाता। राजकीय बीमा कर्मचारी चिकित्सालय (ईएसआइ) और सिविल अस्पताल करीब 22 एकड़ के परिसर में साथ-साथ बने हुए हैं। केंद्र व प्रदेश सरकार सिविल अस्पताल पर तो ध्यान दे रहीं हैं, ईएसआइ पिछड़ा हुआ है। यह स्थिति तब है जब कारपोरेशन के खाते में हर साल करोड़ों रुपये पहुंचते हैं।
पहले सिविल अस्पताल की तरक्की को देखें। तकरीबन 43 करोड़ की लागत से नवंबर-2018 में चमचमाती बिल्डिंग बनकर तैयार हुई है। ओपीडी ब्लाक, रेडियोलाजी ब्लाक, प्रशासनिक ब्लाक, इमरजेंसी वार्ड बना हुआ है। वाहन पार्किंग के लिए अलग भवन है। ब्लड बैंक प्रस्तावित है, 21 करोड़ से अधिक की लागत से मैटरनल एंड चाइल्ड केयर विंग का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। यह इमारत भी 18 माह में बनकर तैयार हो जाएगी।
कुछ पद रिक्त चल रहे हैं
सिविल अस्पताल से ईएसआइ अस्पताल की तुलना करें तो बिल्डिंग जर्जर दिखती है। यहां तक कि अस्पताल की 8.21 एकड़ भूमि भी अभी तक स्वास्थ्य विभाग के नाम पर है। इलाज की बात करें तो मेडिकल आफिसर, जूनियर स्पेशलिस्ट, आयुर्वेदिक डाक्टर, असिस्टेंट मेट्रन, नर्सिंग सिस्टर, स्टाफ नर्स, फार्मासिस्ट के भी कुछ पद रिक्त चल रहे हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ, स्त्री रोग एवं प्रसूति विशेषज्ञ, फिजिशियन और छाती रोग विशेषज्ञ तक नहीं है।
नतीजा, फिलहाल अस्पताल रेफरल केंद्र बना हुआ है। ईएसआइ अस्पताल में आपरेशन थियेटर, स्पेशल न्यू बोर्न चाइल्ड केयर यूनिट (एसएनसीयू) तक नहीं है। गर्भवती महिलाओं और शिशुओं को यहां बहुत कम भर्ती किया जाता है।
यह है भूमि विवाद
सिविल अस्पताल-ईएसआइ अस्पताल परिसर की तकरीबन 22 एकड़ भूमि है। वर्ष 2006 तक दोनों अस्पताल स्वास्थ्य विभाग के अधीन ही थे। ईएसआइ अस्पताल प्रशासन के मुताबिक भूमि खरीद के समय 60 प्रतिशत रकम स्वास्थ्य विभाग, लगभग 40 फीसद रकम ईएसआइ की ओर से दी गई। वर्ष 2007 में ईएसआइ अलग हो गया। भूमि की रजिस्ट्री स्वास्थ्य विभाग के नाम ही रही।
किसके हिस्से में कितनी जमीन
जनवरी 2020 में उच्चाधिकारियों के एक दल ने सिविल अस्पताल और ईएसआइ अस्पताल की भूमि की पैमाइश कर बंटवारा किया था। ईएसआइ के हिस्से में आई थी 8.21 एकड़ भूमि आई थी। तब तय हुआ था कि तहसीलदार कार्यालय से दोनों अस्पताल की भूमि के कागजात तैयार होंगे। 22 माह में भी ईएसआइ भूमि को अपने नाम नहीं करा सका है।