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हरियाणा के भाई-बहन का कमाल, पिता के सपनों में भरी हौंसलों की उड़ान, बाक्सिंग में सबको पछाड़ा

पानीपत के भाई-बहन ने पिता के सपनों में हौंसलों की उड़ान भरी है। पिता ने राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में शिरकत की लेकिन पदक नहीं जीत पाया। सुविधा की कमी से खेल छूट गया। जिस दोनों भाई-बहन अब बाक्सर बन पूरा कर रहे हैं और मेडल जीत रहे हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 05:56 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 09:34 AM (IST)
हरियाणा के भाई-बहन का कमाल, पिता के सपनों में भरी हौंसलों की उड़ान, बाक्सिंग में सबको पछाड़ा
पानीपत के भाई-बहन बाक्सिंग चैंपियन बन किया कमाल।

पानीपत, [विजय गाहल्याण]। दिल में अगर कुछ कर गुजरने का हौंसला हो तो कुछ भी असंभव नहीं होता। टांगों से इतने कमजोर थे कि चलते-चलते गिर जाते थे। इसी वजह से दोस्त साथ में खेलने भी नहीं देते थे। खेलने की जिद करते थे तो पिटाई तक कर देते थे। किसान पिता ने ठान लिया था कि बेटे को इस कद्र मजबूत बनाऊंगा कि कोई सामने टिक नहीं पाएगा। जो दोस्त दूरी बनाकर रखते हैं वे बेटे के साथ खेलने के लिए तरसेंगे। सात साल तक कठिन अभ्यास किया और अब बाक्सिंग रिंग के चैंपियन हैं। यह बतरा कालोनी के 17 वर्षीय मिलन देशवाल की फर्श से अर्श तक पहुंचने की असल कहानी है।

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मिलन ने आठ दिसंबर को रोहतक के छोटूराम स्टेडियम में यूथ में एशियन चैंपियन रहे सोनीपत के वंशज को 7-0 से हराकर स्वर्ण पदक जीता। अब वह यूथ एशियन चैंपियनशिप के लिए होने वाली ट्रायल में हिस्सा लेगें। उनका चयन तय माना जा रहा है। इससे पहले भी मिलन राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर आठ से ज्यादा पदक जीत चुका है। बड़े भाई से प्रेरित होकर बाक्सिंग अपनाने वाली 23 वर्षीय याक्षिका देशवाल ने 52 किलोग्राम में जूनियर में पहली बार खेली और नेशनल में स्वर्ण पदक जीता। याक्षिका एशियन चैंपियनशिप में खेंलेगी। भाई और बहन कमाल के बाक्सर हैं। अब लोग इनकी तारीफ करते थकते नहीं हैं। वे युवाओं के लिए प्रेरणा भी बन गए हैं। 

पिता नहीं बन पाए बाक्सर, बेटे व बेटी को बनाया चैंपियन

मूल रूप से पानीपत के अटावला गांव के पवन देशवाल ने बताया कि उन्हें बाक्सिंग का शौक था। राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में शिरकत की, लेकिन पदक नहीं जीत पाया। सुविधा की कमी से खेल छूट गया। इसके साथ ही नेशनल चैंपियन बनने का सपना भी चकनाचूर हो गया। बड़े बेटे मिलन को बाक्सर बनाने की जिद की थी। कमजोर शरीर के वजह से बेटा ठीक से चल भी नहीं पाता था। लोग हंसते थे। सात साल पहले बेटे को लेकर शिवाजी स्टेडियम में बाक्सिंग कोच सुनील पंवार के पास ले गया। कोच ने बेटे को शारीरिक रूप से फिट करने के साथ-साथ तकनीक रूप से भी मजबूत बनाया। अब खुशी हुई है कि बेटा कामयाब हो रहा है। बेटे से प्रभावित हो बेटी याक्षिका ने भी बाक्सिंग का अभ्यास किया और नेशनल चैंपियन बन गई हैं।  

किसी के कमजोर शरीर का मजाक न उड़ाएं, उन्हें हौंसला दें

मिलन ने दैनिक जागरण को बताया कि बचपन में कमजोर शरीर की वजह उन्हें काफी तंज सहे हैं। किसी को बातों से जवाब नहीं दिया। सुनील कोच के बताए रास्ते पर चला और सफलता मिली। अभी लक्ष्य एशियन, विश्व और ओलिंपिक गेम्स में पदक जीतने का है। राह कठिन है, लेकिन लक्ष्य असंभव नहीं है। उनकी लोगों से अपील है कि किसी कमजोर शरीर के बालक का मजाक न उड़ाएं। उन्हें हौंसला दें। ताकि वे युवक देश के लिए पदक जीत सकें। वहीं याक्षिका का कहना है कि वह देश के लिए एशियन बाक्सिंग प्रतियोगिता में पदक जीतना चाहती है। इसके लिए कड़ा अभ्यास कर रही है। 

कड़े अभ्यास से नहीं घबराते भाई-बहन, पदक की है उम्मीद

बाक्सिंग कोच सुनील पंवार ने बताया कि मिलन के दोनों पैरों का आपरेशन हुआ है। दो महीने बाद रिंग में वापसी की है। मिलन रिंग में स्पीड से शरीर की मूवमेंट करता है और विरोधी बाक्सर को थकाकर पंच जड़ता है। यही उसकी सफलता का मंत्र भी है। याक्षिका के पंच में जान है। दोनों भाई-बहन हर रोज छह घंटे अभ्यास करते हैं। कभी कड़े अभ्यास से घबराते नहीं हैं। यही खूबी उन्हें चैंपियन बनाती हैं। 


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