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इन नवजात बच्‍चों को मां की ममता मिली न आंचल, कोई नाले में फेंका गया तो कोई झाडिय़ों में मिला

पानीपत में लगातार नवजात बच्‍चे मिलने के मामले के सामने आ रहे हैं। कोई नाले में फेंका जा रहा तो कोई झाडि़यों में। लेकिन इन नवजात की मां तक पहुंचने में पुलिस और स्‍वास्‍थ्‍य विभाग नाकाम साबित हो रहा।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 07 Oct 2020 09:54 AM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2020 09:54 AM (IST)
इन नवजात बच्‍चों को मां की ममता मिली न आंचल, कोई नाले में फेंका गया तो कोई झाडिय़ों में मिला
गांव बुड़शाम व मछरौली में भी नाले में मिल चुके है मृत नवजात।

पानीपत, [रामकुमार कौशिक]। वह न तो मां के आंचल में खेल पाए और न ही मां की ममता को समझ पाए। दुनिया में आकर आंखें खोली ही थी कि बदनसीबी के थपेड़ों से सामना हो गया। पलभर के लिए मां को ममता भी याद नहीं आई कि उसने जिस नौ माह तक पेट में रखा, उसे मरने के लिए कैसे छोड़ दूं। ये दास्ता उन बदनसीब नवजातों की है, जो कोई नाले में मिला तो कोई झाडिय़ों में। नौ माह में ये तीसरा वाकया है, जब किसी नवजात को जन्म के तुरंत बाद फेंक दिया गया।

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मंदिर के नजदीक मिला था शव

19 फरवरी 2020 को दोपहर के समय मछरौली के शिव मंदिर के नजदीक तालाब के सामने वाले नाले में खाली प्लाट के गेट पर एक नवजात शिशु का शव अटका मिला। उसे जन्म के तुरंत बाद कपड़े में लपेटकर पोलिथिन में डालकर नाले में गिराया गया था। पुलिस ने केस दर्ज किया, लेकिन कलयुगी मां आज तक हाथ नहीं लगी। 

बुड़शाम में मिली थी बच्ची

16 जुलाई 2020 सुबह बुड़शाम गांव में स्कूल की पीछे वाली गली में संजय के मकान के सामने नाली में एक नवजात बच्ची का शव मिला। बच्ची को न केवल पोलिथिन में डालकर गिराया गया, बल्कि मुंह में कपड़ा तक ठुसा गया। उसी कारण दम घुटने पर बच्ची  की मौत भी हुई। बच्ची को जन्म के तुरंत बाद गिराया गया था। पुलिस ने महिला सरपंच पति राजकुमार के बयान पर अज्ञात महिला के खिलाफ हत्या सहित विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर टीम बना आशा व आंगनबाड़ी वर्करों के सहयोग से हर गर्भवती तक पहुंच जांच की, पर ममता को शर्मसार करने वाली महिला का पता न चल सका।

307 व 302 के तहत हो केस दर्ज

अधिवक्ता जितेंद्र गाहल्याण कहते है कि अक्सर नाले, नालियों, डस्टबिन या झाडिय़ों में नवजात शिशुओं के शव या ङ्क्षजदा पड़े मिलते हैं। ऐसे ज्यादातर मामले पैदाइश छिपाने के होते है। इस तरह का अपराध करने वालों पर आईपीसी की धारा 307 व 302 के तहत कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि सख्त सजा मिल सके।


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