यमुनानगर में आग की दर्दनाक घटना, मां की गोद से 3 साल के बेटे को खींच लाई मौत
यमुनानगर में सिटी सेंटर रोड पर कबाड़ के गोदाम में आग लगी। आग गोदाम के ऊपर बने कमरों तक पहुंच गई। यहां पर रह रहे एक ही परिवार के पति और बच्चों सहित 4 लोगों की मौत हो गई। अब इस परिवार की सिर्फ महिला बची है।
यमुनानगर, [अवनीश कुमार]। सिटी सेंटर रोड पर कबाड़ी के गोदाम में लगी आग ने एक परिवार को खत्म कर दिया। इसमें से केवल एक महिला नसीमा ही बच सकी है। उसने भी अपने बच्चों को बचाने के लिए काफी संघर्ष किया। तीन साल के रेहान को गाेद में लेकर बाहर की ओर दौड़ी, लेकिन मौत से रेहान को नहीं बचा पाई। आग में झुलसी नसीमा फिलहाल अस्पताल में दाखिल है। उसे अभी यह भी विश्वास नहीं हो रहा है कि उसका पति व बच्चे अब इस दुनिया में नहीं रहे हैं। अस्पताल में वह दर्द से कराह रही है। उसके पास देखभाल के लिए पड़ोस की दो महिला हैं। जिन्हें उसके बच्चों तक का नाम नहीं पता है।
दर्द से कराहती नसीमा बताती है कि बुधवार को पति नियामुद्दीन शाम पांच बजे प्लाईवुड की फैक्ट्री से काम कर लौट आए थे। पहले वह बच्चों के साथ खेलते रहे। बाद में शाम को मैं खाना बनाने लगी। अंडा व चावल बनाए थे। बच्चों व पति ने खाना खाया। इसके बाद मैं नौ बजे बेटे रेहान को लेकर सो गई थी। बेटी फिजा व चांद मोबाइल देखते रहे। पति नियामुद्दीन टीवी देख रहे थे। रात को बराबर के क्वार्टर से चिल्लाने की आवाज आ रही थी। दरवाजों को पीटा जा रहा था। यह सुनकर भी मैं भी उठ गई। कमरे के अंदर दम सा घुट रहा था। जैसे ही दरवाजा खोला, तो आग लगी हुई थी। धुंआ ही धुंआ था। चीखते हुए अंदर जाकर रेहान को गोद में लिया और बाहर ही ओर भागी और ग्रिल से कूदने लगी। इतने में आग की लपटें लगी, तो रेहान से गोद से छूट गया और मैं ग्रिल से नीचे गिर गई।
आग की वजह से कोई ऊपर क्वार्टर तक नहीं पहुंच सका
प्रत्यक्षदर्शी नसीरुद्दीन ने बताया कि वह भी सिटी सेंटर रोड पर किराये के मकान में रहते थे। नियामुद्दीन उनका जीजा था। जिस आग लगी। वह भी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे। धुंआ ही धुंआ हो रखा था। कुछ भी दिख नहीं रहा था। ऊपर से किसी भी आवाज नहीं आ रही थी। इतने में नसीमा को ग्रिल से कूदते देखा, तो मैं और कुछ लोग वहां पहुंचे। वह नीचे कूदी, तो उसे संभाला। वह भी झुलसी हुई थी। उसे तुरंत अस्पताल में भिजवाया।
एक परिवार में बेटी की शादी की तैयारियां
गोदाम पर बने क्वार्टरों में रह रहे संगीता की बेटी सपना की सात दिसंबर को शादी होनी है। इसके लिए भी परिवार तैयारियां कर रहा था। क्वार्टर में रह रही सुनीता ने बताया कि आग से उनके पास जो भी सामान था। वह जल गया। यहां सभी लोग परिवार की तरह रहते थे। जिन तीन बच्चों की मौत हुई है। वह भी यही खेलते थे। इस हादसे को कभी नहीं भूला सकेंगे।
किराया कमाने के लालच में जोखिम में जान
सिटी सेंटर रोड पर कबाड़ी के गोदाम में लगी आग ने एक परिवार को खत्म कर दिया। इसमें गोदाम के मालिक नवीन की लापरवाही सामने आई है। उसने किराये के लालच में गोदाम के ऊपर छोटे-छोटे आठ क्वार्टर बना रखे थे। बाहर से यहां पर कार्य करने के लिए आने वाली लेबर भी सस्ते किराये के लालच में इन क्वार्टरों में रहने को मजबूर हैं। गोदाम में पड़े कबाड़ में लगी आग से हालात इस कदर बिगड़े कि ऊपर क्वार्टरों में रहने वाले लोग बाहर भी नहीं निकल सके। अंदर ही धुंए में घुटते रहे। बाद में पुलिस ने उन्हें बाहर निकाला। यदि पुलिस दीवार तोड़कर उन्हें बाहर नहीं निकालती, तो धुंए की घुटन से कुछ और भी लोग मौत का शिकार हो सकते थे।
रिहायशी क्षेत्र में गोदाम, सुरक्षा के प्रबंध नहीं
सिटी सेंटर रोड पर कबाड़ के गोदाम में लगी आग से सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुल रही है। यहां पर कई अन्य गोदाम भी हैं। आसपास रिहायश है। इसके बावजूद यहां पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं। सिटी सेंटर निवासी नवीन के गोदाम में लगी आग से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह से इस हादसे ने एक पूरे परिवार को तबाह कर दिया। पुलिस व दमकल विभाग की टीमों ने इस गोदाम की छत पर बने क्वार्टरों में रह रहे अन्य लोगों को सक्रियता से निकाल लिया। यदि समय रहते इन्हें नहीं निकाला जाता, तो बड़ा हादसा हो सकता है। दमकल विभाग की गाड़ियों को भी घटनास्थल तक पहुंचने में काफी परेशानी हुई है। पिछली तरफ जाने के लिए कोई रास्ता नहीं था।