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एचएसआरएलएम में हुए गोलमाल मामले में दूसरा पक्ष आया सामने, एडीसी की जांच रिपोर्ट पर उठाए सवाल

हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में हुए करोड़ों रुपये के घपले मामले में दूसरा पक्ष सामने आया है। दूसरे पक्ष की महिलाओं ने एडीसी की रिपोर्ट को गलत ठहराते हुए एडीसी पर एक तरफा जांच का आरोप लगाया है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Tue, 17 Aug 2021 07:20 PM (IST)Updated: Tue, 17 Aug 2021 07:20 PM (IST)
एचएसआरएलएम में हुए गोलमाल मामले में दूसरा पक्ष आया सामने, एडीसी की जांच रिपोर्ट पर उठाए सवाल
एचएसआरएलएम में हुए गोलमाल मामले में महिलाओं का दूसरा पक्ष आया सामने

जागरण संवाददाता, कैथल। हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एचएसआरएलएम) में हुए करोड़ों रुपये के गबन मामले को लेकर एडीसी सतबीर कुंडू द्वारा की गई जांच में दोषी पाए गए सात पदाधिकारियों की रिपोर्ट को लेकर दूसरे पक्ष की महिलाओं ने गलत ठहराते हुए एडीसी पर एक तरफा जांच करने का आरोप लगाया है। कहा कि एडीसी ने न तो स्वयं जांच की और न ही कोई कमेटी इस मामले में बनाई, बल्कि अपने पीए सुनील कुमार से इसकी जांच करवाई। सुनील कुमार ने उनका पक्ष सुनने की बजाए शिकायत करने वाली महिलाओं का ही पक्ष सुना जो पूरी तरह से भेदभाव पूर्ण है। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने मंगलवार को डीसी प्रदीप दहिया को ज्ञापन सौंपते हुए कमेटी बनाकर निष्पक्ष जांच की मांग की। 

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हम पर लगाये आरोप बेबूनियाद

स्वयं सहायता समूह की महिला रेनू देवी, सुनीता, गीता, सुरेशो, महिंद्रो, परमजीत, धनपती, कमला, बीरो, सीता, आशा, मूर्ति, कमला व शीला ने बताया कि जिन महिलाओं ने हरियाणा राज्य आजीविका मिशन से संबंधित कर्मचारियों व सामुदायिक महिलाओं पर जो आरोप लगाया है, वह पूरी तरह से झूठा व निराधार है। आरोप लगाने वाली महिला बलजीत कौर, सतबीर कौर, खुर्शिदा व नगमा इस संगठन की मासिक मानदेय प्राप्त कर्मचारी रही हैं। सतबीर कौर व बलजीत कौर 2015 से इस संगठन में कार्यवाही लिखने से लेकर एजेंड़ा डलवाने और आंतरिक आडिट का कार्य करती रही हैं। इसलिए इस संगठन में किसी भी तरह का कोई गोलमाल नहीं हुआ है। बताया कि जो डेढ़ करोड़ का आरोप लगाया है, वह पूरी तरह से निराधार है।

एडीसी की जांच रिपोर्ट में नई है गबन का जिक्र

दूसरे पक्ष की महिलाओं ने कहा कि एडीसी की जांच रिपोर्ट में भी पैसे की हेराफेरी या गबन का कोई आरोप नहीं है और न ही इस राशि का कोई विस्तृत ब्यौरा उपलब्ध करवाया गया है। इससे मिशन व हमारी छवि दोनों खराब हुई हैं। आरोप है कि प्रवेश व गुरदेवी को पदाधिकारी बने पांच साल का समय हो गया है। जांच के दौरान इन दोनों पर कोई टिप्पणी नहीं की गई। उनकी मांग है कि इन दोनों के ग्राम संगठनों के वित्तीय लेनदेन की जांच होनी चाहिए। 

डीडीए व एएई को जांच से रखा गया दूर 

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने कहा कि कृषि यंत्रों का कार्य कृषि विभाग के अधिकारियों की तरफ से किया गया। इस मामले में जब जांच की गई तो जानबूझकर कृषि उप निदेशक व एएई को दूर रखा गया है। बयान तक दर्ज नहीं किए गए। इससे ऐसा लगता जांच एकतरफा की गई है। आरोप है कि पर्व पीए का मिशन के कर्मचारियों के साथ व्यवहार भी ठीक नहीं है। जिन दो पदाधिकारियों ने पूर्व पीए के कहे अनुसार कर्मियों के खिलाफ बयान नहीं दिए तो उन महिलाओं को ही दोषी बना दिया गया। जबकि इस संगठन में पांच पदाधिकारी व दो सदस्य हैं, जो संगठन की सभी कार्यवाही में साथ होते हैं। इसलिए उनकी मांग है कि इस मामले में दोबारा से जांच की जाए। 

ये लगाए थे आरोप  

सीवन महिला ब्लाक संगठन की सदस्यों ने आरोप लगाया था कि सरकार की तरफ से पंचायतों को और हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की तरफ से ग्राम संगठनों को कृषि यंत्र दिए गए थे। इसके लिए प्रत्येक संगइन से एक लाख 83 हजार 200 रुपये की रशि ब्याज सहित वसूली गई। कुल 15 संगठनों को यह कृषि यंत्र दिए गए थे। इनमें छह के करीब मशीन थी। यह कृषि यंत्र ग्राम संगठनों को आगे किराया पर देकर पैसे कमाने थे, लेकिन ग्राम संगठनों को इस कार्य में सबसे बड़ी दिक्कत ये आई की एक तो ग्राम संगठनों से जुड़ी महिलाओं के पास जमीन नहीं है, दिहाड़ीदार महिलाएं हैं, जो इस संगठन से जुड़कर परिवार की जीविका चलाती हैं। दूसरा गांव में खेती करने वाले किसानों के पास अपने यंत्र हैं।

छोटा किसान अगर इन मशीनों से खेती करेगा तो उसके पास ट्रैक्टर नहीं है, इस तरह से यह कृषि यंत्र समूहों को दे तो दिए गए, लेकिन इनका कोई प्रयोग नहीं हो रहा है। समूह की महिलाओं का आरोप है कि इन यंत्रों की खरीद-फरोख्त को लेकर गोलमाल किया गया। वहीं फाइल कवर, मास्क व सैनिटाइजर की खरीद में भी गड़बड़ी की गई है। एडीसी द्वारा की गई जांच में सात पदाधिकारियों को दोषी माना गया है, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।


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