ओपीडी से मांगा सीलियक ग्रस्त का आंकड़ा, खुलेगा क्लीनिक
अनाज के रूप में गेहूं का सेवन से होती है बीमारी। हरियाणा में सबसे ज्यादा मरीज हैं। एलर्जी का समय पर उपचार नहीं किया जाता तो मरीज को ब्लड और आंत के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
जासं, पानीपत : गेहूं की एलर्जी से होने वाली बीमारी सीलियक के लक्षणों से ग्रस्त मरीजों का आंकड़ा मेडिसिन, शिशु रोग ओपीडी और एनसीडी सेल से मांगा जाएगा। मरीजों की संख्या अधिक होने पर सिविल अस्पताल में अलग से क्लीनिक शुरु किया जाएगा। बता दें कि बीमारी ग्रस्त मरीजों के इलाज के लिए पीजीआइ रोहतक में सीलियक क्लीनिक शुरू किया गया है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च दिल्ली में किए गए शोध से पता चला है कि गेहूं की खतरनाक बीमारी सीलियक (इस अनाज से एलर्जी) के सबसे ज्यादा मरीज हरियाणा में है। अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक हर 100 लोगों में से एक व्यक्ति बीमारी से पीड़ित है। बात पानीपत की करें तो लक्षणों से प्रभावित मरीज सिविल अस्पताल में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। बीमारी के लक्षणों में भूख न लगना, खून न बनना और चिड़चिड़ापन आदि शामिल है। थॉयराइड और शुगर के मरीजों को यह बीमारी जल्द चपेट में लेती है। पहले यह बीमारी बच्चों में थी, अब हर आयु वर्ग के मरीजों में देखी जा रही है। रोहतक पीजीआइ स्थित स्पेशल क्लिनिक में शुक्रवार को 50-60 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। पीजीआइ से सबक लेते हुए सिविल अस्पताल प्रशासन ने भी मरीजों के आंकड़े सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं। सिविल सर्जन डॉ. डीएन बागड़ी ने पुष्टि करते हुए कहा कि मरीजों की संख्या को ध्यान में रखते हुए अलग क्लीनिक खोलने का निर्णय लिया जाएगा। सीलियक बीमारी के मरीजों के परामर्श के लिए सप्ताह में एक दिन फिक्स कर दिया जाएगा।
ब्लड और आंत कैंसर का खतरा
गेहूं की एलर्जी का समय पर उपचार नहीं किया जाता तो मरीज को ब्लड और आंत के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। पीजीआइ रोहतक में अब तक इलाज कराने पहुंचे मरीजों में से चार आंत कैंसर से ग्रस्त मिले। महिलाओं में बांझपन, मासिक चक्र में दिक्कत, शारीरिक ग्रोथ में कमी जैसी बीमारियां भी पनप जाती हैं।