यमुनानगर में दर्दनाक हादसा, बहन की बरात आने से पहले दरवाजे पहुंची भाई की लाश, गांव में छा गया मातम
यमुनानगर में दर्दनाक हादसा हो गया है। बहन की बरात आने से पहले भाई की लाश दरवाजे पर पहुंच गई। इसकी सूचना मिलते ही पूरे गांव में मातम छा गया। कुरुक्षेत्र के शहजादपुर से ठसका खाद में बरात आनी थी।
यमुनानगर, जेएनएन। बहन की बारात घर आने से ठीक एक दिन पहले मंगलवार दोपहर उसके भाई रेत से भरे डंपर ने कुचल दिया। हादसा इतना भीषण था कि डंपर युवक को 100 मीटर तक घसीटते हुए ले गया। हादसे में ठसका खादर गांव निवासी 21 वर्षीय सूरज नाथ की मौके पर ही मौत हो गई। यह खबर सुनते ही पूरे गांव में मातम छा गया। उसकी मां व बहन बेसुध हो गई। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवा परिजनो को सौंप दिया। गमगीन माहौल में देर शाम को ही शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। पुलिस ने आरोपित चालक पर केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
सूरज नाथ की बड़ी बहन शीतल की शादी कुरुक्षेत्र के शहजादपुर गांव में तय हुई थी। 21 अक्टूबर को शहजादपुर से ठसका खादर गांव में बारात आनी थी। घर में बारात के स्वागत की तैयारियां जोरों पर चल रही थी। परंतु किसी को क्या पता था कि बारात आने से एक दिन पहले परिवार इतनी बड़ी विपदा आ जाएगी। शादी की तैयारियां कराने के लिए सूरज की मामी बस से घर आई थी।
वह मंगलवार दोपहर उसे रादौर बस स्टैंड से लाने के लिए बाइक पर जा रहा था। जैसे ही गांव रपड़ी के पास पहुंचा तो रेत से भरे डंपर ने उसे सामने से टक्कर मार दी। टक्कर से बाइक बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। जिस कारण बाइक व सूरज डंपर के नीचे फंस गए। वह दोनों को काफी दूर तक घसीटता ले गया। डंपर को रोकते ही चालक खेतों के रास्ते भाग गया।
सूरज नाथ परिवार में मंजला बेटा था। परिवार में उसकी बड़ी बहन शीलत व छोटा भाई चंदा है। सूरज गांव में सब्जी की खेती व मजदूरी का काम परिवार का गुजारा करता था। कुछ समय पहले आइटीआइ यमुनानगर में पढ़ता था।
इस हादसे का जिम्मेदार कौन
रादौर-गुमथला मार्ग पर ओवरलोड वाहन लोगों के लिए मुसीबत बन गए हैं। केवल इसी मार्ग से ही नहीं बल्कि अन्य सड़कों से भी ओवरलोड ट्रक व डंपर खनन सामग्री लेकर गुजर रहे हैं। रपड़ी गांव के पास जिस सड़क पर यह हादसा हुआ उसकी चौड़ाई बहुत कम है। ओवरलोड वाहनों की संख्या ज्यादा होती है। जिस कारण आए दिन मार्ग पर दुर्घटनाएं हो रही हैं। इससे पहले भी कई लोग ओवरलोड वाहनों के कारण दुर्घटनाओं का शिकार हो चुके हैं। जिसका खामियाजा लोग भुगत रहे हैं। आरटीए, पुलिस व प्रशासन द्वारा कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर दी जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि इस हादसे का जिम्मेदार कोई ओर नहीं बल्कि प्रशासन है जो ओवरलोड व अंकुश नहीं लगा पाया।