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गोपाष्टमी पर गोशाला में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, सुबह से शाम तक चली गो पूजा

कार्तिक मास की शु्क्ल पक्ष की अष्टमी पर गोपाष्टमी का पर्व मनाया गया। सुबह से ही गोशालाओं में गाय की पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालु पहुंचने लगे। गाय और बछड़े का स्नान करवाकर उनका पूजन व श्रृंगार किया गया। गाय की आरती उतारी गई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Nov 2021 09:14 PM (IST)Updated: Thu, 11 Nov 2021 09:14 PM (IST)
गोपाष्टमी पर गोशाला में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, सुबह से शाम तक चली गो पूजा
गोपाष्टमी पर गोशाला में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, सुबह से शाम तक चली गो पूजा

जागरण संवाददाता, पानीपत : कार्तिक मास की शु्क्ल पक्ष की अष्टमी पर गोपाष्टमी का पर्व मनाया गया। सुबह से ही गोशालाओं में गाय की पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालु पहुंचने लगे। गाय और बछड़े का स्नान करवाकर उनका पूजन व श्रृंगार किया गया। गाय की आरती उतारी गई।

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गोशाला सोसाइटी प्रबंधक सतीश गोयल ने बताया कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गाय चराना शुरू किया था, तभी से दीपावली के बाद अष्टमी का नाम गोपाष्टमी पड़ा। जीटी रोड स्थित गोशाला में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक राजेश गोयल पहुंचे। उन्होंने गोपूजा की। उन्होंने कहा गोपाष्टमी पर्व सनातन धर्म का सबसे पवित्र पर्व है। मेयर अवनीत कौर भी गो पूजा करने जीटी रोड गोशाला में पहुंचीं। उन्होंने गाय को चारा खिलाया। इस अवसर पर सुरेश गुप्ता, पवन सिगला, राधेश्याम गुप्ता, शिवकुमार मित्तल, सुरेश तायल, मोहन लाल गर्ग, हरिओम तायल मौजूद रहे।

गोशाला प्रधान रामनिवास गुप्ता ने बताया कि श्रद्धालुओं ने जीटी रोड, सब्जी मंडी स्थित गोशालाओं में पहुंचकर गोपूजन किया। चारा गुड़, चने की दाल,दलिया गाय को खिलाया। साथ ही गाय की आरती की। गाय की परिक्रमा की गई। गोशालाओं में मेले जैसा वातावरण रहा। सुबह से गाय पूजा शुरु हुई देर शाम तक पूजा की गई। लोगों ने गाय व बछड़े के चरण धोये, तिलक लगाया, पुष्प माला पहनाने, पूजा के साथ चारा खिलाया।

लोगों की श्रद्धा देखते ही बनती थी, जीटी रोड गोशाला में शाम तक लोगों ने चार लाख से अधिक का दान किया। सभी गोशाला में लोगों ने खुलकर दान किया।

सनातन धर्म शिव मंदिर सेक्टर 12 में गाय व बछडे की पूजा की गई। पंडित राप्रकाश पाठक ने बताया कि गाय के शरीर में 33 करोड़ देवी-देवता निवास करते हैं। इसीलिए गो पूजन करने से उन सभी देवताओं की स्वत: ही पूजा हो जाती है।

पंडित आचार्य प्रेम भाई ने बताया कि मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति का भाग्योदय होता है। जिन बहनों के भाई नहीं होते हैं, वे इस दिन गायों को भाई दूज का तिलक लगाती है। कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तिथि तक भगवान कृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को उठाया था। आठवें दिन जब इंद्र का अहंकार टूटा तब श्रीकृष्ण से वह क्षमा मांगने आया। तभी से कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी उत्सव मनाया जा रहा है। गोशाला में की सेवा

अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन की महिला विग ने गायों की सेवा की। उपाध्यक्ष रेनू मित्तल ने बताया कि मान्यता है कि एक गाय के अंदर देवता निवास करते हैं। गाय को आध्यात्मिक और दिव्य गुणों का स्वामी भी कहा गया है। अध्यक्ष सीमा अग्रवाल, किरण जिदल, नीलम गर्ग, नीतू गर्ग, सपना, अनुराधा अग्रवाल, प्रियंका, हिमांशु, आशु मित्तल व पिकी मौजूद रहीं।


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