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हरियाणा में शराब के बाद अब एक और घोटाला, लॉकडाउन में बेच डाला सरकारी चावल

हरियाणा में शराब के बाद अब चावल घोटाला सामने आया है। जिस सरकारी धान की कुटाई कर सरकार को 30 जून तक देना था उसे कई राइस मिल संचालक बाजार में बेच गए।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 07:39 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 07:39 PM (IST)
हरियाणा में शराब के बाद अब एक और घोटाला, लॉकडाउन में बेच डाला सरकारी चावल
हरियाणा में शराब के बाद अब एक और घोटाला, लॉकडाउन में बेच डाला सरकारी चावल

पानीपत/करनाल, [अश्विनी शर्मा]। लॉकडाउन के दौरान सरकारी धान की कुटाई कर जिस चावल को 30 जून तक सरकारी गोदाम में जमा करवाना था, उसे कई राइस मिल संचालक बाजार में बेच गए। अब पीडीएस यानि राशन का सस्ता चावल खरीद कर उसे जमा करवाने की जुगत लगाई जा रही है। कुछ मिल संचालकों को अलग कर दिया जाए तो अन्य सरकारी चावल को जमा करवाने की अंतिम तिथि को आगे बढ़वाने के अपने-अपने तर्क दे रहे हैं। कोविड के नाम पर अंतिम तिथि को आगे बढ़ाकर 15 जुलाई तक कर दिया गया है। बावजूद इसके कई राइस मिल अभी तक उस स्थिति में नहीं है कि वह इस तिथि तक भी धान जमा करवा सकें।

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करनाल जिले में 316 राइस मिल सरकारी धान की कुटाई का काम करती हैं। इन मिलों को सरकारी धान की कुटाई करके चावल 30 जून तक जमा करवाना था, लेकिन कोरोना के मद्देनजर उन्हें 15 दिन का अतिरिक्त समय दिया गया है। समय पर धान की कुटाई करके चावल जमा नहीं होने के पीछे सबसे बड़ा तर्क कोरोना का ही दिया जा रहा है। जबकि लॉकडाउन के दौरान कुछ दिन जरूर दिक्कत आई। इसके बाद प्रशासन की ओर से राइस मिल संचालकों व लेबर के पास जारी कर दिए थे। 

लॉकडाउन बहाना, फिजिकल वेरीफिकेशन से खुलेगी सच्चाई

चावल उद्योग पर निगाह रखने वाले अधिवक्ता एडवोकेट सुरजीत मंढाण ने कहा कि लॉकडाउन बहाने के रूप में इस्तेमाल हो रहा है। हकीकत यह है कि लॉकडाउन के दौरान सरकारी चावल को बाजार में कई राइस मिल संचालकों ने बेच दिया। प्रशासन अभी सरकारी चावल या धान की मौजूदगी को लेकर राइस मिल में फिजिकल वेरीफिकेशन करवाता है तो सच्चाई सामने आ जाएगी। क्योंकि कुछ राइस मिल ही ऐसे हैं, जो सरकारी चावल जमा करवा चुके हैं। 

लग सकती है 30 करोड़ तक की चपत 

पूरे खेल में सरकारी धान को लेकर 20 से 30 करोड़ रुपये की चपत सरकार को लग सकती है। क्योंकि तय समय पर जो राइस मिल सरकारी चावल जमा नहीं करवा सकेगा, उसे डिफाल्ट कर दिया जाता है, लेकिन उससे भी मूल रिकवरी होने की संभावना बेहद ही कम रहती है। 

मेरी जानकारी में नहीं मामला: विनोद गोयल

करनाल राइस मिलर्स एसोसिएशन के प्रधान विनोद गोयल का कहना है कि कोविड की वजह से राइस मिल में 45 दिन काम ही नहीं चला। उचित शारीरिक दूरी के नियम की पालना करने की वजह से भी काम में देरी हुई। यही वजह है कि तिथि आगे बढ़ाने के लिए कहा जाएगा। हालांकि उन्होंने सरकारी चावल को बाजार में बेचने की बात पर अनभिज्ञता जाहिर की। उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात मेरी जानकारी में नहीं है।

करवाई जाएगी फिजिकल वेरीफिकेशन : डीसी

उपायुक्त निशांत यादव ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान सरकारी चावल को बाजार में किसी भी राइस मिल संचालक की ओर से बेचा गया है तो इसकी जांच करवाई जाएगी। वह किसी वरिष्ठ अधिकारी के नेतृत्व में मिलों में फिजिकल वेरीफिकेशन करवाएंगे।


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