निर्जला एकादशी का व्रत आज, शीतल जल के लिए उपहार में दें मटके
ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। गंगा दशहरा के एक दिन के बाद यह व्रत आता है। सूर्योदय की तिथि से यह एकादशी व्रत मान्य होता है।
पानीपत, जेएनएन। निर्जला एकादशी मंगलवार को है। पूरे वर्ष की 24 एकादशी में से इस एकादशी का विशेष महत्व है। जल से भरे मटके, फल, नए वस्त्र व अन्य वस्तुएं दान करने की परंपरा भी है। कोरोना वायरस से बचने के लिए जरूरी है कि हम फ्रिज का पानी न पिएं। इन दिनों डाक्टर भी कह रहे हैं कि सादा पानी ही ठीक है। गर्मी के मौसम में मटके का पानी पी सकते हैं। एकादशी के मौके पर हम जरूरतमंदों, अपनों को मटका उपहार दे सकते हैं।
ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। गंगा दशहरा के एक दिन के बाद यह व्रत आता है। सूर्योदय की तिथि से यह एकादशी व्रत मान्य होता है। मंगलवार को दोपहर 12:05 बजे तक एकादशी तिथि है। व्रत रखने वाले मंगलवार सुबह सूर्योदय से लेकर बुधवार को सूर्योदय होने तक व्रत रखेंगे। पंडित निरंजन पाराशर का कहना है कि शाम को कुछ फलाहार ले सकते हैं। बुधवार को सुबह 9:06 बजे तक द्वादशी तिथि है। व्रती इसे पहले पारण (व्रत खोलना) करेंगे। पितरों के लिए दान किया जा सकता है। चित्रा नक्षत्र में एकादशी होने से इसका और विशेष महत्व हो जाता है।
कैसे करें पूजा अर्चना
सूर्योदय के बाद स्नान कर साफ वस्त्र पहनें। भगवान विष्णु की पीले चंदन, पीले फल व फूल से पूजा करें। पीली मिठाई का भोग लगाएं। एक आसन पर बैठकर ओम नमो: भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। ऐसा करने से आपकी मनोकामना पूरी होगी। पारिवारिक कलेश खत्म होगा।
ये सावधानियां बरतें
-सूर्योदय से पहले उठें।
-घर में लहसुन प्याज और तामसिक भोजन न पकाएं।
-एकादशी की पूजा पाठ में साफ-सुथरे वस्त्र का प्रयोग करें
-व्रत विधान में परिवार में शांतिपूर्वक माहौल बनाए रखें
----भगवान कृष्ण ने द्वापर युग में पांडवों को विजय के लिए यह एकादशी करवाया था। इसे भीम सेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पितरों के निमित्त दान कर पुण्य कमाया जाता है। बुधवार द्वादशी को सूर्योदय के बाद व्रत खोलेंगे।
पंडित रामप्रकाश पाठक, सेक्टर 12 सनातन धर्म शिव मंदिर
निर्जला एकादशी पर आप भी खरीदें मटके
निर्जला एकादशी के पहले दिन बिजना (हाथ का पंखा) और मिट्टी के घड़े, सुराही खरीदने के लिए लोग उमड़े। मांग अच्छी निकलने के कारण बिजना का भाव 20 रुपये तक पहुंच गया। दो दिन पहले तक जो हाथ का पंखा 8-10 तक बिक रहा था वह 20 रुपये तक बिका।
निर्जला एकादशी पर बिजना के साथ खरबूजे, मिट्टी के पानी के घड़े, सुराही दान करने का महत्व है। इस दिन लोग ब्राह्मणों को दान करते हैं। मंदिर न खुलने के कारण इस बार कुम्हारों ने कम घड़े, सुराही का उत्पादन किया। सेक्टर 11-12 में चौक में मिट्टी के घड़े, सुराही, बिजना बेच रहे सुभाष ने बताया कि बिजनौर से पंखे आते हैं।
दो दिन से ही मांग निकली है
उप्र के सहारनपुर कैराना से मिट्टी के बर्तन मंगा रहे हैं। पानीपत में कुम्हार मिट्टी के बर्तन बना तो रहे हैं लेकिन मिट्टी महंगी होने, लकड़ी, उपले आदि महंगे होने से परेशानी है। लॉकडाउन से पहले 600 रुपये भाड़े में जो माल आता अब 1500 रुपये देने पड़ते हैं। कुम्हार रामेहर प्रजापत ने बताया कि इस बार मंदिर न खुलने के कारण दान कहां दिया जाएगा को लेकर भी संशय रहा।
इस समय मटके का पानी ही लें
आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर डा.मीनाक्षी चहल का कहना है कि फ्रिज का पानी तो इस समय पीना ही नहीं चाहिए। आप सामान्य आरओ का पानी पी सकते हैं। सबसे श्रेष्ठ रहेगा मटके का पानी। गर्मी हो तो मटके में पानी भरकर रखें। इसे ही पिएं। दरअसल, ठंडा पानी पीने से कफ बढ़ता है। इससे फेफड़ों में इन्फेक्शन की आशंका बढ़ जाएगी। इस समय तो गुनगुना पानी लें। गर्म पानी में नमक डालकर सुबह और शाम को गरारे करें।
आप उपहार में दें मटका, हमें भेजे फोटो
आप उपहार में मटका दें। हमें फोटो भेजें। लोगों को प्रेरित करें कि इन दिनों फ्रिज के पानी से परहेज करें। हमारा वाट्सएप नंबर है- 8930300326, 8950874709