Night Shelters: यमुनानगर में ठंड में ठिठुरने को मजबूर जरूरतमंद लोग, रैन बसेरों पर लटके ताले
यमुनानगर में पारा लगातार नीचे गिर रहा है। जरूरतमंद और बेसहारा लोग ठंड में ठिठूरने को मजबूर है। रैन बसेरों पर ताले लटके हुए है। ठंड से बचाव के लिए शहर में अलाव की व्यवस्था भी प्रशासन की ओर से नहीं की जाती। जिससे ठंड से बचाव हो सके।
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। मौसम बदल गया। रात के समय तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है। ठंड बढ़ने के बाद भी अभी तक प्रशासन की ओर से रैन बसेरा के ताले नहीं खोल गए। जिस कारण जरूरतमंद लोग सड़क पर बने डिवाइडर पर सो कर रात बीता रहे हैं। मौसम विभाग के विशेषज्ञों के मुताबिक हवा चलने के कारण अब ठंड और बढ़ेगी। लेकिन रैन बसेरों में जरूरतमंदों को सुविधाएं न मिलने से ठंड में रैना कट रही हैं। शाम ढलते ही रेलवे स्टेशन रोड पर बेसहारा व जरूरतमंद लोगों का जमावड़ा लगना शुरू हो जाता है। पूरी रात डिवाइडरों या दुकानों के आगे पड़े रहते हैं। रैन बसेरों पर लटके तालों ने लोगों को ठंड में ठिठुरने को मजबूर कर दिया है।
बसेरों में नहीं मिलता खाना
डिवाइडर पर लेटे सेवक राम ने बताया कि स्टेशन के नजदीक हर साल धर्मशाला में रैन बसेरा बनाया जाता है। परंतु अभी इसके ताले नहीं खुले हैं। वहां सुविधाओं का अभाव रहता है। रैन बसेरों में उनको सोने के लिए जगह तो मिल जाती है, लेकिन खाना नहीं मिलता। वह डिवाइडर पर इसलिए लेटते हैं कि यहां उनको कुछ न कुछ खाने को भी मिल जाता है। कुछ लोग दुकानों के सामने दरी बिछाकर लेट जाते हैं, लेकिन इससे ठंडे फर्श से लगने वाली सर्दी कम नहीं होती। ठंड से बचने के लिए लोग सड़कों के किनारे अलाव जलाते हैं। इस दौरान यात्री भी आते-जाते इस पर हाथ सेक कर राहत पाने की कोशिश करते हैं।
नहीं होती अलाव की व्यवस्था
ठंड से बचाव के लिए शहर में अलाव की व्यवस्था भी प्रशासन की ओर से नहीं की जाती। जिससे ठंड से बचाव हो सके। हालांकि जरूरतमंदों के लिए यमुनानगर में रेलवे स्टेशन, निरंकारी भवन के सामने और जगाधरी में बस स्टेंड पर रैन बसेरा बनाया हुआ है। इसके अलावा रेलवे स्टेशन चौक के साथ आटो रिक्शा यूनियन कार्यालय के नजदीक व बस स्टैंड यमुनानगर के पीछे शिव मंदिर के पास लोहे के बड़े कंटेनर को रैन बसेरे का रूप दिया गया है। लेकिन जरूतमंद लोग यहां जाना पसंद नहीं करते। कई बार तो उनको जबरदस्ती उठाकर रैन बसेरों में डाला जाता है, लेकिन कुछ समय बाद वह वहां से उठकर चले आते हैं। यदि रैन बसेरों के ताले खुल जाएं तो लोगों को काफी राहत मिल सकती है।
ग्रामीण क्षेत्र में नहीं एक भी रैन बसेरा
हर साल शहर में तो रैन बसेरे बना दिए जाते हैं परंतु ग्रामीण क्षेत्र में एक भी रैन बसेरा नहीं होता। जबकि ग्रामीण क्षेत्र में भी ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो बेसहारा हैं। लोगों से मांग कर ही वह अपना पेट भर पाते हैं। ऐसे लोग दिन रात ठंड में ही बीताते हैं। ऐसे लोगों को दुकानों के आगे लगी लोहे की टीन के नीचे लेटे हुए देखा जा सकता है।
गर्म कपड़ों का करें प्रयोग: नितिन कुमार
सिविल अस्पताल के फिजिशियन डा. नितिन कुमार का कहना है कि ठंड लगातार बढ़ रही है। ठंड से बचाव जरूरी है। लोग सुबह-शाम सैर के समय गर्म कपड़े पहनें। शादी समारोहों में आइसक्रीम का सेवन न करें। बदलते मौसम में सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।