हरियाणा के कई शहरों में एनजीटी के आदेश का हो रहा उल्लंघन, नहरों-नदियों में घोल रहे जहर
एनजीटी यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों का हरियाणा के यमुनानगर और जगाधरी में उल्लंघन हो रहा है। यहां नहर और नदियों में केमिकल युक्त पानी घोला जा रहा है। सिंचाई विभाग व निगर निगम में तालमेल न होने से यमुना नहर प्रदूषित हो रही।
पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। एनजीटी के आदेशों के बावजूद पश्चिमी यमुना नहर में गिर रहे नगर निगम के नालों को एसटीपी में डाइवर्ट नहीं किया गया। यह योजना नगर निगम व सिंचाई विभाग के बीच उलझी हुई है। यमुनानगर-जगाधरी शहर के अलावा आसपास के गांवों से भी गंदे पानी की निकासी के नाले नहर में गिर रहे हैं। नगर निगम के सर्वे के मुताबिक इनकी संख्या 22 है। सिंचाई विभाग से एनओसी न मिलने के कारण योजना लटक गई है। योजना पर करीब चार करोड़ रुपये खर्च किए जाने है।
यह है सिंचाई विभाग की भूमिका
जो नाले पश्चिमी यमुना नहर में गिर रहे हैं, उनके बहाव को मोड़ने के लिए पाइप लाइन बिछाई जाएगी। यह लाइन पश्चिमी यमुना नहर की पटरी के साथ बिछाई जानी है। इसके नगर निगम को सिंचाई विभाग से एनओसी लेनी है। हालांकि एक बार नगर निगम ने काम शुरू कर दिया था, लेकिन सिचाई विभाग के अधिकारियों ने आपत्ति जताई। इसको पटरी के लिए खतरा करार देते हुए काम रुकवा दिया था। उसके बाद निगम अधिकारियों ने एनओसी के लिए अप्लाई किया।
यहां लगे एसटीपी
जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की ओर से बाडी माजरा में 25 एमएलडी व 10 एमएलडी के दो सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगे हुए हैं। दूसरा कैंप में जिसकी क्षमता 25 एमएलडी है। अब रादौर रोड पर 20.49 करोड़ से 25 एमएलडी का एक और एसटीपी चालू किया है। इसके अलावा परवालो में भी 25 एमलएलडी का एसटीपी लगा हुआ है। नवंबर-2016 में सीएम मनोहर लाल भी इन नालों को एसटीपी में डालने के आदेश दे चुके हैं। मार्च-2019 में एनजीटी भी इस संदर्भ में नगर निगम, निगम सिंचाई विभाग और जन स्वास्थ्य विभाग को निर्देश जारी कर चुकी है।
यहां से गिर रहे नाले
दादुपुर, किशनपुरा माजरा, खारवन, फतेहगढ़, बूड़िया, दयालगढ़, अमादलपुर, नया गांव, परवालो, दड़वा माजरी, आजाद नगर, मुंडा माजरा, खालसा कॉलेज, हमीदा, एसटीपी यमुनानगर, तीर्थ नगर, गांव कांजनु, रादौर, पताशगढ़, दशमेश कॉलोनी, यमुना गली और पुराना हमीदा से नाले सीधे पश्चिमी यमुना नहर में गिर रहे हैं।
इसलिए एनजीटी सख्त
यमुना नहर में बढ़ रहे प्रदूषण की वजह से जलीय जीवों का जीवन संकट में है। लोगों की आस्था भी आहत होती है। इसे अलावा दूषित दूषित पानी सिर्फ नहर के पानी को ही प्रदूषित नहीं कर रहा है, इससे भूजल भी प्रदूषित हो रहा है। केमिकल युक्त दूषित पानी से टाइफाइड, डायरिया जैसे जल जनित बीमारी हो जाती हैं। हैवी मेटल (इंडस्ट्री से निकलने वाला दूषित पानी) से कैंसर, दिमाग का विकसित नहीं होना, किडनी फेल होना, फेफड़े सहित अन्य बीमारी हो जाती है।
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