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सफलता की राह पर ले जाता है अखबार

आज की पीढ़ी को यह समझाना होगा कि कुछ वक्त अखबार पढ़ने में लगाएं। फेसबुक वाट्सएप अपनी जगह पर हैं पर इसी में से आधे से एक घंटे का समय निकालें। आप रोजाना अखबार पढ़ें। खुद में आ रहे बदलाव को खुद महसूस करेंगे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Feb 2021 06:19 AM (IST)Updated: Thu, 04 Feb 2021 06:19 AM (IST)
सफलता की राह पर ले जाता है अखबार
सफलता की राह पर ले जाता है अखबार

जागरण संवाददाता, पानीपत : ''सफलता की राह पर बढ़ना है तो हमें रोज अखबार जरूर पढ़ना चाहिए। मैं यह गारंटी के साथ कह सकता हूं कि जो बच्चा अखबार पढ़ता है, वो सफल जरूर होगा। मैं आज अगर सफल हूं, मैंने बहुत सी परीक्षाएं पास की हैं तो उसमें अखबार की महत्वपूर्ण भूमिका रही। दरअसल, अखबार तो ज्ञान का भंडार है। आज की पीढ़ी को यह समझाना होगा कि कुछ वक्त अखबार पढ़ने में लगाएं। फेसबुक, वाट्सएप अपनी जगह पर हैं पर इसी में से आधे से एक घंटे का समय निकालें। आप रोजाना अखबार पढ़ें। खुद में आ रहे बदलाव को खुद महसूस करेंगे। मैंने ऐसे बच्चों को देखा है, जिनके पास सुविधाएं कम थीं। पर घर में अखबार आता था। उन घरों के बच्चे सफल हुए हैं।'' यह बात जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सचिव एवं चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (सीजेएम) अमित शर्मा ने कही। वह सेक्टर 29 पार्ट-2 स्थित दैनिक जागरण के कार्यालय में अपनी बात रख रहे थे। मौका था दैनिक जागरण की ओर से ''प्रखर स्कालरशिप'' कार्यक्रम का।

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पानीपत के कर्मयोगी नरेश की बेटी दास भारती को 21 हजार रुपये की स्कालरशिप प्रदान की गई। दैनिक जागरण की ओर से यह चेक सीजेएम अमित शर्मा एवं प्रेम कैंसर अस्पताल के निदेशक डा. अभिनव मुटनेजा ने सौंपा। देशभर में कर्मयोगियों के 21 मेधावी बच्चों को यह स्कालरशिप दी गई है।

सीजेएम अमित शर्मा ने कहा कि बारिश, आंधी-तूफान या कोई भी परिस्थिति हो, कर्मयोगी अखबार जरूर डालकर जाते हैं। उनकी नींद कर्मयोगी के आने पर खुलती थी। हम सभी को इन्हीं से सीख लेनी चाहिए। जिदगी में मेहनत करना कभी न छोड़ें। दरअसल, सफलता का कोई शार्टकट है ही नहीं। सिर्फ और सिर्फ मेहनत के बल पर ही आगे बढ़ा जा सकता है। भाग्य भी तभी साथ देगा, जब आप कर्म करेंगे। घर में अखबार आता है तो बच्चे जिज्ञासु बनते हैं

सीजेएम अमित शर्मा ने बताया, ''मेरे घर पर दैनिक जागरण आता है। छोटा बेटा मुझे अखबार पढ़ते देखता है तो कई सवाल करता है। यह अनुभव किया है कि जिनके घर में अखबार आता है, उनके बच्चे जिज्ञासु बनते हैं। जीवन में जिज्ञासु बनना बेहद जरूरी है। स्कूल या कालेज की लाइब्रेरी में अखबार पढ़ें। इससे स्किल बढ़ता है। ज्ञान बढ़ता है। समझ विकसित होती है। अखबार तो ज्ञान का भंडार होता है। मैं अपने मित्रों से कहता हूं, अपने बच्चों को अखबार पढ़ने की आदत डालें।''

स्वयं के प्रति ईमानदार बनें

अमित शर्मा ने कहा कि स्वयं के प्रति ईमानदार बनें। दबाव देकर किसी को पढ़ाया नहीं जा सकता। बच्चे खुद पढ़ें। स्कूलों में होने वाली प्रतियोगिताओं में भाग लें। इससे आत्मविश्वास बढ़ता है। कई बार ऐसा देखा जाता है कि एमए इंग्लिश करके भी युवा अंग्रेजी नहीं बोल पाते। यह शिक्षा के सिस्टम की भी खामी है। यह मत सोचें कि इंजीनियरिग करके अच्छी नौकरी मिल जाएगी। बड़ी कंपनी में नौकरी तब मिलेगी, जब आपके अंदर पढ़ाई के अलावा और भी अच्छी स्किल होंगी। जैसे अच्छा बोलना, ठीक से जवाब देना। अन्य विषयों की जानकारी होना। कर्मयोगियों के लिए जागरण की पहल, ये हैं योजनाएं कर्मयोगियों के लिए जागरण की ओर से चलाई जा रही योजनाओं के बारे में बारे में बताया गया। प्रखर व प्रशस्ति स्कालरशिप प्रोजेक्ट, कर्मयोगी क्रिकेट लीग, कर्मयोगी पेंटिग प्रतियोगिता, कर्मयोगी बीमा योजना, कर्मयोगी सम्मान योजना की जानकारी दी। इस तरह मिली स्कालरशिप

कर्मयोगियों के लिए प्रखर स्कालरशिप योजना है। कर्मयोगी नरेश की बेटी दास भारती का 21 हजार की स्कालरशिप के लिए चयन किया गया। पापा से सीखा : दास भारती

तहसील कैंप में रहने वाली दास भारती ने बताया कि पापा उसके रोल माडल हैं। वह सुबह-सुबह अखबार बांटने जाते हैं। उन्हें देखकर वह सुबह जल्दी उठने लगीं। सुबह उठकर पढ़ाई करती। अब दिल्ली से बीटेक कर रही हूं। पापा जैसे ही घर आते हैं, उनसे अखबार लेकर पढ़ती हूं। जागरण ने किया सम्मान

तहसील कैंप निवासी नरेश थर्मल एरिया में अखबार वितरित करते हैं। नरेश ने कहा कि उनकी बेटी का स्कालरशिप प्रोग्राम में चयन हुआ है। जागरण ने मेहनत का सम्मान किया है। वह अपने सभी परिचितों को दैनिक जागरण पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। रोज चार बजे पहुंच जाते हैं सेंटर पर

सौदापुर में अखबार बांटने वाले कर्मयोगी रोबिन ने बताया कि वह रोजाना सुबह चार बजे पालिका बाजार सेंटर पर पहुंच जाते हैं। सात बजे से पहले सभी घरों में अखबार पहुंचा देते हैं। कोरोना में लॉकडाउन के वक्त भी उन्होंने छुट्टी नहीं की। अखबार ने सच से रूबरू कराया

तहसील कैंप निवासी ओमप्रकाश चुघ सेक्टर 11-12 में अखबार पहुंचाते हैं। ओमप्रकाश का कहना है कि कोरोना और लॉकडाउन के वक्त अफवाहें बहुत फैल रही थीं। अखबार ने सच से रूबरू कराया। दैनिक जागरण उनका पसंदीदा अखबार है। वह हमेशा बच्चों को अखबार पढ़ने के लिए कहते हैं। जरूर मंगाएं अखबार : अनिल

आजाद नगर निवासी अनिल नांगलखेड़ी और एनएफएल में अखबार पहुंचाते हैं। स्कालरशिप वितरण कार्यक्रम में पहुंचे अनिल ने बताया, मेहनत करने से ही सफलता हासिल होती है। सेंटर पर सुबह-सुबह सुर्खियां पढ़ लेते हैं। घर पहुंचकर पूरा अखबार पढ़ते हैं। अखबार घर में जरूर मंगाना चाहिए।

बढ़ती है जानकारी : आदेश वत्स

आदर्श नगर में अखबार वितरित करते हैं आदेश वत्स। उनका कहना है कि अखबार पढ़ने से काफी ज्ञान हासिल होता है। कई जानकारियों में इजाफा होता है। वह अपने बच्चों और परिचितों को जागरण पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। पाठकों को जागरण ने जागरूक किया : संजय

पानीपत वितरक एसोसिएशन के प्रधान संजय माडल टाउन में अखबार पहुंचाते हैं। संजय का कहना है कि दैनिक जागरण समय-समय पर कर्मयोगियों के लिए योजनाएं लेकर आता है। बच्चों का ध्यान रखता है। क्रिकेट लीग से सभी को एकजुट किया। कोरोना के वक्त पाठकों को जागरूक किया। स्कालरशिप से मिल रही मदद : पवन मित्तल

दैनिक जागरण के अभिकर्ता तहसील कैंप निवासी पवन मित्तल ने स्कालरशिप योजना की सराहना करते हुए कहा कि इससे बच्चों को बड़ी मदद मिल रही है। कर्मयोगियों के लिए समय-समय पर कार्यक्रम होते हैं। कर्मयोगी अपने काम से कभी पीछे नहीं हटते। बारिश, तूफान में भी समय पर अखबार पहुंचाते हैं। इनको मिली स्कालरशिप शहर नाम धनराशि प्रयागराज प्राची मिश्रा एक लाख चंडीगढ़ अमन पाठक 50 हजार लखनऊ उन्नति प्रजापति 50 हजार

आगरा काजल त्रिपाठी 21 हजार

कानपुर प्रियांशी सिन्हा 21 हजार

गया अंजलि कुमारी 21 हजार

जम्मू राबिया सिद्दीकी 21 हजार

जालंधर प्रिस पांडेय 21 हजार

जालंधर अंकिता पांडेय 21 हजार

नैनीताल आयुष लोहानी 21 हजार

पानीपत दास भारती 21 हजार

पूर्णिया ह्रितिक कुमार 21 हजार

पूर्णिया मो. शरीफ 21 हजार

प्रयागराज नैंसी मालवीय 21 हजार

प्रयागराज प्रगति गुप्ता 21 हजार

प्रयागराज रिषभ दुबे 21 हजार

मुजफ्फरपुर अभिजीत दत्ता 21 हजार

मेरठ आकांक्षा वर्मा 21 हजार

मुरादाबाद अंशिता विश्नोई 21 हजार

लखनऊ सूरज यादव 21 हजार

वाराणसी रंजना पटेल 21 हजार


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