Illegal Colonies: यमुनानगर के हजारों लोगों से जुड़ी खबर, 25 फीसद अवैध कालोनियों की श्रेणी में
यमुनानगर में 25 फीसद कालोनियों को अवैध कालोनियों में दिखाया गया है। इन कालोनियों में रहने वाले लोगों की धड़कनें बढ़ गई हैं। अंब एनडीसी के फेर में रजिस्ट्रियां फंस गईं। अधिकारी नहीं कर पा रहे समाधान। अब लोग निगम के चक्कर लगा रहे हैं।
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। एनडीसी पोर्टल पर वैध कालोनियों को अवैध करार दिए जाने से शहरवासियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पोर्टल पर जिन कालोनियों की संपत्तियां अवैध दिखाई दे रही हैं, उनमें खरीद फरोख्त पर ब्रेक लग गई। रजिस्ट्रियां नहीं हो पा रही हैं। प्रापर्टी डीलर भी परेशान हैं। बता दें कि निगम की बिल्डिंग ब्रांच के अधिकारियों व कर्मचारियों की चूक से शहर की संपत्तियों को वैध होने के बावजूद अवैध दिखा दिया गया है।
दुरुस्त करने की प्रक्रिया लंबी
दरअसल, शहर की 25 फीसद कालोनियों को अवैध कालोनियों में दिखा दिया। रिकार्ड अब एनडीसी पोर्टल पर अपलोड हो गया। जिससे दुुरुस्त कराने की प्रक्रिया लंबी है। इसके लिए ब्रांच से बकायदा फाइल तैयार होगी। कई-कई सप्ताह बीत जाने के बावजूद आपत्तियां दूर नहीं हो पा रही है। ऐसे में संपत्ति की रजिस्ट्री करवाने व लोन लेने वालों की दिक्कत बढ़ गई हैं। जिन लोगों की प्रापर्टी अवैध कालोनियों में दिखाई है, अब वह मारे-मारे फिर रहे हैं। निगम में चक्कर लगाने के बावजूद उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।
प्रापर्टी डीलरों ने खोला मोर्चा
नगर निगम एरिया में एक लाख 60 हजार संपत्तियां हैं। इनमें से करीब 40 हजार संपत्तियों को अवैध कालोनियों में दिखा दिया गया है। हाउस की बैठक में भी यह मुद्दा उठ चुका है। इस दौरान अधिकारियों ने 15 दिन में व्यवस्था को दुरुस्त करने बात कही थी, लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। ऐसे चार-पांच शिकायतकर्ता हर दिन पार्षदों व अधिकारियों के पास पहुंच रहे हैं। उधर, प्रापर्टी डीलरों ने भी मोर्चा खोला हुआ है। हर दिन प्रदर्शन कर रहे हैं।
मामले की जांच हो
प्रापर्टी डीलर एसोसिएशन के जिला प्रधान व पार्षद विनोद मरवाह का कहना है कि उनके पास हर दिन इस तरह की शिकायतें आ रही हैं। यमुनानगर और जगाधरी शहर वैध संपत्ति को भी अवैध दिखा दिया गया है। जिसके चलते रजिस्ट्रियां नहीं हो पा रही हैं। दूसरे आवश्यक कार्य भी रुके हुए हैं। अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा की गई गलती का खामियाजा शहरवासी भुगत रहे हैं। जबकि अधिकारी पोर्टल में गड़बड़ होने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं। इसके पीछे बड़ा कारण है। इस मामले की तह तक जांच होनी चाहिए।