पानीपत में बाल मजदूरी पर रोक लगाने के लिए नई पहल, आपरेशन मुस्कान ऐसे काम करेगा
पानीपत में बाल मजदूरी पर रोक लगाने को एक नई पहल शुरू की गई है। ऑपरेशन मुस्कान को लेकर सीडब्ल्यूसी ने भी इस पर सख्त रुख दिखाया। बाल श्रम निषेध अधिनियम की जानकारी दी जाएगी। सीडब्ल्यूसी की चेयरपर्सन ने बुलाई बैठक।
पानीपत, जेएनएन। औद्योगिक सेक्टरों, घरों-दुकानों, चाय, चाट-पकौड़ी की दुकानों और ढाबों में 14 साल से कम आयु के बच्चों से काम लिया जाता है, किसी से छिपा नहीं है। आपरेशन मुस्कान सहित सामान्य दिनों में क्राइम ब्रांच मधुबन की टीम बच्चों को बाल श्रम से मुक्त कराती रही है। अब बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने ठेकेदारों को जागरूक करने का निर्णय लिया है।
बाल कल्याण समिति, पानीपत की चेयरपर्सन एडवोकेट पदमा रानी ने बताया कि घरों, फैक्ट्रियों में काम करने वाले बच्चों की सटीक जानकारी नहीं मिल पाती है। देर से सूचना मिलने पर बच्चों को गायब कर दिया जाता है। पानीपत की जितनी भी फैक्ट्रियों में छापामारी की गई, अधिकांश में बाल श्रम के खेल में ठेकेदारों की संलिप्तता देखी गई। कंपनियों-फैक्ट्रियों के मालिक भी जानबूझकर अनजान बने रहते है। इसलिए ठेकेदारों की बैठक बुलाकर, उन्हें जागरुक किया जाएगा।
समिति के सदस्य डा. मुकेश आर्य, मीना कुमारी, अशोक कुमार और एडवोकेट शिव सहाय ने संयुक्त रूप से बताया कि पाश कालोनियों में संबंधित विभागों की मदद से गृह-स्वामियों को जागरुक किया जाएगा कि वे नाबालिगों को नौकर-नौकरानी बनाकर घर में न रखें।
क्या कहता है कानून :
बाल मजदूर (निषेध और रोकथाम) अधिनियम 2016 में किए गए संशोधन में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत किया गया है। 14 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को खनन, विस्फोटक सहित अन्य खतरनाक कार्य में नहीं लगाया जा सकता है। स्कूल के बाद और छुट्टियों के दौरान गैर-खतरनाक पारिवारिक उद्यमों में काम करने के लिए 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को भी अनुमति देता है। इस दौरान बच्चे के माता-पिता भी उसी पेशे से जुड़े होने चाहिए। बच्चों से श्रम कराने वाले को दो साल की सजा हो सकती है।