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खेल अधिकारियों की लापरवाही, ग्रुप-डी की नौकरी के लिए ग्रेडेशन सर्टिफिकेट को चक्कर काट रहे खिलाड़ी

करनाल के पांच खिलाड़ियों को ग्रुप डी में नियुक्ति के लिए ग्रेडेशन सर्टिफिकेट बनाकर नहीं दिया जा रहा है। जिला स्तर पर कमेटी ने दस्तावेजों की जांच कर अंबाला ग्रेडेशन के लिए अप्रूव कर दिया बावजूद डेढ़ माह से इन्हें सर्टिफिकेट नहीं मिला।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Fri, 31 Dec 2021 02:16 PM (IST)Updated: Fri, 31 Dec 2021 02:16 PM (IST)
खेल अधिकारियों की लापरवाही, ग्रुप-डी की नौकरी के लिए ग्रेडेशन सर्टिफिकेट को चक्कर काट रहे खिलाड़ी
करनाल के खिलाड़ियों को नहीं मिल रहा ग्रेडेशन सर्टिफिकेट।

करनाल, जागरण संवाददाता। मुख्यमंत्री मनोहर लाल और खेल मंत्री संदीप सिंह के प्रयासों के बावजूद जमीनी स्तर पर कर्मचारी खिलाड़ियों को सुविधाओं से वंचित कर रहे हैं। हालात तब गंभीर हो जाते हैं जब खिलाड़ी को सरकारी नौकरी मिलनी हो और कर्मचारी अपनी खामियों को छिपाने के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराने में लग जाएं। मामला कर्ण स्टेडियम और अंबाला खेल कार्यालय से जुड़ा हुआ है। जिला के पांच खिलाड़ियों को ग्रुप डी में नियुक्ति के लिए ग्रेडेशन सर्टिफिकेट बनाकर नहीं दिया जा रहा है। जिला स्तर पर कमेटी ने दस्तावेजों की जांच कर अंबाला ग्रेडेशन के लिए अप्रूव कर दिया बावजूद डेढ़ माह से खेल विभाग के कर्मचारी इन खिलाड़ियों का करियर में रोड़ा अटका रहे हैं।

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जिला खेल अधिकारी को मामले की जानकारी नहीं

हैरानी है जिम्मेदार पद पर होने के बावजूद कर्ण स्टेडियम में खेल अधिकारी प्रदीप पालीवाल को संबंधित मामले की जानकारी ही नहीं है। उनकी जानकारी के अनुसार बताना जरूरी है कि किसी खिलाड़ी का ग्रेडेशन सर्टिफिकेट बनाने के लिए दस्तावेजों की जांच स्थानीय कमेटी द्वारा की जाती है जिसमें अधिकारी भी मौजूद रहता है। स्थानीय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर अंबाला खेल विभाग के कर्मचारी संबंधित खिलाड़ी को ग्रेडेशन सर्टिफिकेट जारी कर देते हैं। अधिवक्ता नाथीराम के अनुसार मुख्यमंत्री मनोहर लाल और खेल मंत्री संदीप सिंह को भी समझना होगा कि खिलाड़ियों के करियर में रोड़ा अटकाने वाली इस तरह की कमजोर कार्यप्रणाली खेल के प्रति युवाओं का रुझान कम करती है।

ग्रेडेशन सर्टिफिकेट न बनाने के मामले को समझना जरूरी

जिला के पांच खिलाड़ी गौरव, राजवीर, नीरज, शमशेर, साहिल का नाम ग्रुप डी में नौकरी के चयन होता है। जिनमें चार कराटे और एक वालीबाल का है। ग्रुप डी नियुक्ति की सूचना मिलने पर संबंधित खिलाड़ी जिला कार्यालय में करीब दो माह पहले संपर्क करते हैं और सभी दस्तावेजों की जांच करवा कमेटी सदस्य दस्तावेजों को अंबाला के लिए भेज देते हैं। नवंबर माह के दूसरे सप्ताह से शुरू हुई दौड़ पर न अंबाला के अधिकारी गंभीरता दिखाते हैं और न ही करनाल के। अब 31 दिसंबर अंतिम तिथि होने पर भी इन खिलाड़ियों को अंबाला से रोजाना बैरंग लौटाया जा रहा है।

मंडल स्तर पर ग्रेडेशन बनाने का फैसला भटकाने वाला

चार माह पहले युवा एवं खेल कार्यक्रम विभाग की ओर से जिले के खिलाड़ियों के सी और डी ग्रेड के खेल ग्रेडेशन सर्टिफिकेट मंडल स्तर पर बनाने की घोषणा की गई। जबकि इससे पहले यह काम जिला स्तर पर हो जाता था। करनाल जिला अंबाला मंडल में आता है, इसलिए खिलाड़ियों को अपने खेल ग्रेडेशन सर्टिफिकेट के लिए अंबाला में जाना पड़ता है। एथलीट महावीर का कहना है कि खेल विभाग की ओर से इस तरह के प्रयोग खिलाड़ियों को भटकाने जैसे हैं। खिलाड़ी पहले मेडल जीत कर लाए और बाद में ग्रेडेशन के लिए दौड़ लगाता है। खासकर नौकरी पाने वाले को अधिक परेशान किया जाता है। अब अंबाला खेल कार्यालय के कर्मचारियों पर जिले के खिलाड़ी निर्भर हैं।

डिप्टी डायरेक्टर कविता देवी ने बताया कि पांचों खिलाड़ियों के दस्तावेजों में कमी है इसलिए ग्रेडेशन सर्टिफिकेट नहीं बना है। पांचों खिलाड़ियों संबंधित जिला खेल अधिकारी से रिपोर्ट बनवा कर लाने के लिए कहा है। जिला अधिकारी की रिपोर्ट पर ग्रेडेशन बनाई जाएगी। इधर जिला खेल अधिकारी प्रदीप पालीवाल ने बताया कि उनके पास दो जगह का चार्ज है। उक्त पांचों खिलाड़ियों का मामला उनके संज्ञान में नहीं हैं। अगर जिला स्तर पर कमेटी ने दस्तावेजों की जांच कर ली है तो अंबाला में सर्टिफिकेट बनना चाहिए।संबंधित कर्मचारियों से पूछताछ कर पांचों खिलाड़ियों के ग्रेडेशन सर्टिफिकेट बनवाए जाएंगे।


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